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विधायक राजकुमार रोत बोले, आदिवासी क्षेत्रों में धार्मिक गतिविधियां बंद हो, बच्चे स्वतंत्रता सेनानी को नहीं काल्पनिक देवी-देवताओं को जानते हैं

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Published : Mar 1, 2023, 10:07 PM IST

राजस्थान विधानसभा में बुधवार को प्रारंभिक माध्यमिक और उच्च शिक्षा की अनुदान मांगों पर चर्चा से ज्यादा सुर्खियां विधायकों ने धर्म पर आधारित बात रखते हुए बटोरी.

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विधायक राजकुमार रोत बोले, आदिवासी क्षेत्रों में धार्मिक गतिविधियां बंद हो

विधायक राजकुमार रोत बोले, आदिवासी क्षेत्रों में धार्मिक गतिविधियां बंद हो

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में बुधवार को प्रारंभिक माध्यमिक और उच्च शिक्षा की अनुदान मांगों पर चर्चा थी. विधायक अमीन खान ने भारत को धर्मनिरपेक्ष मानने से इंकार करने और सफिया जुबेर के मेव मुसलमानों के कृष्ण और राम के वंशज होने की बात कहकर ज्यादा सुर्खियां बटोरी. विधानसभा में चर्चा के दौरान भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायक राजकुमार रोत ने भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों को धार्मिक प्रयोगशाला बनाए जाने के आरोप लगाए.

विद्यालयों के अंदर धार्मिक गतिविधियां बंद होंः उन्होंने कहा कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में कहीं ईसाई मिशनरियों का प्रचार हो रहा है, कहीं हिंदुत्व का तो कहीं अलग-अलग बाबाओं का. इनसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र एक धार्मिक प्रयोगशाला में तब्दील हो गया है. विधायक राजकुमार रोत ने कहा कि हम धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष की बात करते हैं, ऐसे में विद्यालयों के अंदर जो धार्मिक गतिविधियां चल रही हैं उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरा कई विद्यालयों में जाना हुआ. वहां बच्चे यह तो नहीं जानते कि पहली शिक्षिका ज्योतिबा फुले थी या फिर हमारे स्वतंत्रता सेनानी कौन थे? वहीं बच्चों से काल्पनिक देवी-देवताओं के बारे में पूछेंगे तो सारी जानकारी मिल जाती है. विधायक राजकुमार रोत ने कहा कि अगर इन धार्मिक गतिविधियों का उदाहरण देखना है तो सोमवार को देखा जाए, जब हमारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 30 से 40 फीसदी ही मिलती है. वहीं बालिकाओं की उपस्थिति तो सोमवार को 20 फीसदी भी नहीं होती.

बच्चों को स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाएः उन्होंने स्पष्ट किया जिन दिनों में धार्मिक गतिविधियों के लिए व्रत किए जाते हैं, उन दिनों में बच्चियां स्कूल नहीं आती. चाहे नवरत्रि हो या दशा माता की पूजा हो बच्चे 12 से 15 दिन तक स्कूल नहीं आते. उनकी शुरुआत उसी धार्मिक माहौल वाले स्कूल से हुई है. राजकुमार रोत ने बच्चों के ड्रॉप आउट होने पर भी सरकार को सुझाव दिया कि आदिवासी इलाकों में बच्चों के ड्रॉपआउट होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि उन्हें स्थानीय भाषा में नहीं पढ़ाया जाता. ऐसे में पांचवीं तक की शिक्षा बच्चों को उनकी स्थानीय भाषा में दी जाए.

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विधायक रामलाल मीणा ने झोली फैलाकर रखी मांगःराजस्थान विधानसभा में प्रतापगढ़ से विधायक रामलाल मीणा ने सदन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला के सामने झोली फैला कर अपनी मांग रखी. रामलाल मीणा ने नॉन टीएसपी क्षेत्र के कार्मिकों को टीएसपी क्षेत्र से अपने क्षेत्र में भेजने और टीएसपी क्षेत्र में वहां के स्थानीय लोगों को नौकरी देने की मांग रखी. विधायक रामलाल मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कुछ आदिवासी क्षेत्र और मेरी विधानसभा को दिया उसका उपकार न तो मैं और न मेरी जनता कभी भूल सकती है. मैं टीएसपी क्षेत्र के युवाओं की तरफ से आपसे झोली फैला कर मांग करता हूं कि नॉन टीएसपी के कार्मिक जो अवैध तरीके से प्रतापगढ़ और टीएसपी क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उन्हें अपने क्षेत्र में वापस भेजा जाए. यही मांग डूंगरपुर से विधायक गणेश घोघरा ने सरकार से रखते हुए कहा कि स्थानीय लोगों को रोजगार देने और नॉन टीएसपी क्षेत्र के कार्मिकों को वापस उनके क्षेत्र में भेजने का काम किया जाए.

माता-पिता की भूमिका निभा रहे हैं गहलोतः विधायक रामलाल मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आदिवासी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों के माता और पिता दोनों की भूमिका में बताया. उन्होंने कहा कि मैं एक स्कूल में गया तो बच्चों से पूछा कि आप के मां और पिता का नाम क्या है? उन्होंने कहा कि हमारे माता और पिता दोनों ही अशोक गहलोत हैं. अशोक गहलोत ने ही कपड़े देने का काम उन बच्चों को किया. रामलाल मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सरकारी स्कूलों के बच्चों की मां बताते हुए कहा कि या तो दूध पिलाने का काम छोटे बच्चों को उनकी मां करती है, या फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बच्चों को दूध पिलाने का काम किया है.

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