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Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot Dispute: किस्सा, कांग्रेस और कमेटी का! जानिए क्या है आलाकमान की रणनीति

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Published : Apr 16, 2023, 8:24 PM IST

Updated : Apr 16, 2023, 10:38 PM IST

सचिन पायलट और सीएम गहलोत के बीच खींचतान जारी है. वहीं, इस मामले को सुलझाने के लिए अब भी आलाकमान की ओर से कमेटियों के गठन का सिलसिला बरकरार (Sachin Pilot vs Ashok Gehlot) है.

Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot Dispute
सचिन पायलट व अशोक गहलोत.

जयपुर.साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर दो प्रमुख नेताओं अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान साल 2020 में कांग्रेस सरकार की अंदरूनी बगावत में तब्दील हो गई. इसके बाद साल 2022 में गहलोत गुट के विधायकों ने भी अपने तीखे तेवर पार्टी आलाकमान के सामने रख दिए. अब जब गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल के आखिरी साल में इलेक्शन की एंट्री के लिए तैयार हैं तो ठीक उसके पहले बीते दिनों 11 अप्रैल को पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर पायलट ने अनशन किया. सरकार के गठन से लेकर अब तक दोनों नेताओं के बीच की तकरार कायम है. इस बीच मतभेद से लेकर मनभेद तक पहुंचे इस मामले को सुलझाने के लिए कांग्रेस आलाकमान की ओर से कमेटियों के गठन का सिलसिला भी बरकरार है.

पूर्व की कमेटियों का अंजाम बेनतीजाः प्रदेश कांग्रेस ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच तकरार के मामले में सुलह का रास्ता तैयार करने की जिम्मेदारी सबसे पहले तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को सौंपी थी. इसके बाद अजय माकन को 2020 की बगावत के बाद सुलह का रास्ता तैयार करने का काम सौंपा गया था. लेकिन पांडे और माकन इस मामले को निपटा नहीं पाए. हाल में राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को दोनों नेताओं के बीच सुलह का रास्ता बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन वे भी इसमें अब तक कामयाब नहीं हो पाए हैं.

केसी वेणुगोपाल के साथ सचिन पायलट व अशोक गहलोत.

ऐसे में अब कांग्रेस आलाकमान ने पूरे मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को आगे किया है. कमलनाथ को केसी वेणुगोपाल के साथ मिलकर राजस्थान के सियासी संकट का हल निकालना है. वहीं, राजनीति के जानकार यही समझ रहे हैं कि दोनों नेताओं के बीच सुलह को के लिए कमेटियां कितनी भी बना दी जाए, पर मतभेद और मनभेद कायम है. दोनों नेताओं के बीच की खींचतान को खत्म कर सुलह के रास्ते पर लाने के लिए अभी तक कांग्रेस आलाकमान के पास कोई स्थाई समाधान नहीं है.

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2020 में बनी थी ये कमेटीःसाल 2020 में जब पहली बार कांग्रेस के अंतर कलह खुलकर सामने आई थी, तब इस मामले के निपटारे के लिए अहमद पटेल के साथ अजय माकन और वेणुगोपाल की समिति बनाई गई थी. जिसका नतीजा सिफर रहा था. इस कमेटी को बनाए जाने से पहले सचिन पायलट, प्रियंका गांधी से मिले थे और उन्हें यकीन दिलाया गया था कि उनकी हर परेशानी का समाधान निकाला जाएगा. उस समय तय की गई 6 महीने की मियाद के बाद भी इस मामले में नतीजा नहीं निकल सका था. हालांकि तब अहमद पटेल के निधन के बाद इस दिशा में काम नहीं हो सका था.

राहुल गांधी के साथ सचिन पायलट व अशोक गहलोत.

गहलोत गुट के विधायकों ने सौंपा था इस्तीफाःइस बीच आलाकमान ने जब अशोक गहलोत को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर जिम्मेदारी सौंपने का मानस बनाया तो गहलोत समर्थक विधायकों ने राजस्थान में पायलट को जिम्मेदारी सौंपी जाने की संभावनाओं के बीच बगावत का बिगुल बजा दिया था. इन विधायकों ने पायलट के खिलाफ लामबंदी कर अपना इस्तीफा तक सौंप दिया था. जिसके चलते कमेटी के दूसरे सदस्य और पूर्व राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने भी अपना पद छोड़ दिया.

अब दोबारा हो रही कोशिशःअब तीसरी बार जब पायलट के अनशन के बाद विवाद खड़ा हुआ है, तो फिर कांग्रेस पार्टी गहलोत और पायलट को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रही है. वेणु गोपाल के साथ इस विवाद को सुलझाने के लिए आलाकमान ने कमलनाथ को जिम्मेदारी सौंपी है. इससे पहले गहलोत और पायलट के विवाद के बीच 2020 में तत्कालीन प्रभारी अविनाश पांडे की कुर्सी गई थी. उसके बाद प्रभारी बने अजय माकन ने भी इसी विवाद के चलते कुर्सी छोड़ दी थी. वहीं अब राजस्थान में कांग्रेस प्रभारी की जिम्मेदारी निभा रहे सुखजिंदर सिंह रंधावा को 4 महीने ही मुश्किल से पूरे हुए हैं. इस दौरान पायलट के अनशन पर बैठने और उसके बाद तेज हुई सियासी हलचल के बीच रंधावा की भूमिका पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं.

राजस्थान कांग्रेस के पूर्व प्रभारी अविनाश पांडेय

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कई मौकों पर गले मिले पायलट-गहलोत, पर नहीं मिले दिल: 2018 में आए नतीजों के बाद जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बनाया गया, तो दोनों नेताओं के विवाद को सुलझाने के लिए राहुल गांधी ने कमान संभाली. राहुल गांधी ने अपने एक तरफ सचिन पायलट और दूसरी तरफ अशोक गहलोत को खड़ा कर फोटो खिंचवा कर यह मैसेज करवाया कि दोनों नेता अब एक साथ हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाकर राहुल गांधी ने पायलट को भरोसा दिलाया कि उनकी मेहनत खराब नहीं होगी, लेकिन स्थितियां नहीं सुधरी और साल 2020 में पायलट ने गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी थी. एक महीना चली सियासी रस्साकशी के बाद आखिर प्रियंका गांधी ने मध्यस्थता की और पायलट को ही भरोसा दिलवाया गया की उनकी मांगों पर कार्रवाई होगी.

राजस्थान कांग्रेस के पूर्व प्रभारी अजय माकन

इस दौरान चाहे राहुल गांधी कि राजस्थान में की गई रैलियां ओर सभाएं हो या भारत जोड़ो यात्रा हर समय राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट बराबर दिखाई दिए. भारत जोड़ो यात्रा से पहले जब 25 सितंबर की घटना को लेकर दोनों नेताओं के बीच विवाद हो रहा था ,तब भी संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने दोनों नेताओं कि हाथ खड़े करवा कर इस तरह तस्वीरें खिंचवाई थी कि जैसे अब इन दोनों नेताओं के बीच कोई विवाद नहीं है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के सचिन पायलट और अशोक गहलोत को एक जाजम पर लाने के सारे प्रयास अब तक विफल रहे हैं. ऐसे में अब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी जिस विवाद को हल नहीं कर सके क्या उसका कोई हल निकल सकता है यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है?.

Last Updated :Apr 16, 2023, 10:38 PM IST

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