नेशनल कार्डियोलॉजी कॉन्फ्रेंस जयपुर.राजधानी जयपुर में शनिवार को नेशनल कार्डियोलॉजी कॉन्फ्रेंस कार्डियक प्रिवेंट 2023 का आयोजन किया गया. इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र बतौर मुख्य अतिथि कांफ्रेंस से जुड़े. चिकित्सकों का आह्वान करते हुए राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि भारत में हृदय रोगों से बचाव और समय पर इलाज की उत्कृष्ट व्यवस्था के लिए चिकित्सक कार्य करें. हृदय रोगों से बचाव के लिए सभी के लिए सस्ता और सुलभ इलाज प्राथमिकता होनी चाहिए.
कोविड के विकट दौर के बाद हृदय संबंधित बीमारियों के बढ़ने के विषय पर मंथन के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ जयपुर में जुटे. इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र ने चिकित्सा विशेषज्ञों से आह्वान किया कि वो कोई ऐसा मॉडल विकसित करें, जिसके तहत हृदय रोगों के होने से पहले ही बचाव के लिए प्रभावी कार्य देशभर में हो सके. राज्यपाल ने सुझाव भी दिया कि केवल हृदय रोग विशेषज्ञ ही नहीं, सामान्य रोगों के चिकित्सकों को भी इस तरह से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि वो भी हृदय रोगों के उपचार में सहायक बन सकें.
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मुख्य कारण खराब जीवन शैली: इस कॉन्फ्रेंस से जुड़े सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट प्रो एससी मनचंदा ने कहा कि आज के दौर में हार्ट अटैक के केस बहुत बढ़ गए हैं. खासकर युवाओं में हार्ट अटैक के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं. इसके कारणों में स्ट्रेस, टेंशन, ओवर डू ( जरूरत से ज्यादा) एक्सरसाइज, रनिंग, जिम शामिल हैं. इनमें अब कोरोना भी जुड़ गया है, हालांकि अभी भी मुख्य कारण खराब जीवन शैली ही है. खान-पान सही न होना, शारीरिक व्यायाम कम होना, तंबाकू-अल्कोहल का सेवन, इसके साथ ही एटमॉस्फेयर पॉल्यूशन भी एक बड़ी वजह है.
योग ही एक मात्र उपाय : प्रो. मनचंदा ने कहा कि बदलाव तभी आ सकता है जब सबसे पहले अवेयरनेस बढ़े. ये बीमारी स्कूल लेवल से ही शुरू हो जाती है. बच्चे स्ट्रेस में एग्जाम फाइट करते हैं, जंक फूड खाने लगते हैं, एक्सरसाइज नहीं करते हैं. ऐसे में बच्चों को जागरूक करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इससे बचाव के लिए योग ही एक सफल रास्ता है. इस पर काफी स्टडी करने पर सामने आया कि एक बार यदि किसी को हार्ट अटैक आया तो वो योग शुरू कर दे. ऐसे में दोबारा हार्ट अटैक आने के चांस भी कम हो जाते हैं. यदि बचपन से ही योग को जीवन शैली के साथ जोड़ दें तो हार्ट अटैक जैसे केस में काफी कमी लाई जा सकती है.
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कॉन्फ्रेंस ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. एसएम शर्मा ने बताया कि इस नेशनल कार्डियोलॉजी कॉन्फ्रेंस में अब तक तकनीक के बारे में बताते आए हैं, लेकिन ये पहली मर्तबा है कि जब सिर्फ बचाव पर चर्चा की जा रही है. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान से बाहर 40 से 50 साल की एज ग्रुप में ये बीमारियां होती हैं, लेकिन यहां 20-30 की उम्र में ही हार्ट डिजीज होने लग गई हैं. ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर सभी टेस्ट करते हुए प्रॉपर ट्रीटमेंट लें. डबल प्रेशर प्रोडक्ट में ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट दोनों बढ़ती हैं, तो हार्ट पर लोड पड़ता है. यदि व्यक्ति स्मोक करता है, कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है या फिर इस डिजीज से जुड़ी कोई फैमिली हिस्ट्री हो, तो ऐसे मरीजों को ज्यादा खतरा रहता है. ऐसे लोग एक्सरसाइज करने पर भी डॉक्टर की सलाह जरूर लें.