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मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में MT-2 के शावक के मिलने की संभावना कम

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Published : Sep 2, 2020, 10:21 PM IST

कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघिन एमटी-2 और बाघ एमटी-3 की मौत के बाद उनके दोनों शावक गुम हो गए थे. जिसके बाद एक शावक को तो सर्च ऑपरेशन के दौरान ढूंढ लिया गया, लेकिन दूसरे का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है. जिसके बाद अब वन विभाग को उसके मिलने की उम्मीदें कम होती जा रही हैं.

Mukundra Tiger Reserve, बाघ मौत मामला मुकुंदरा
MT-2 के मिसिंग शावक के मिलने की संभावना कम

जयपुर. पिछले दिनों कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघिन एमटी-2 और बाघ एमटी-3 की मौत से वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों को गहरा आघात लगा था. मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघिन एमटी-2 की मौत के बाद उसके दोनों शावक गुम हो गए थे.

बाघिन की मौत के बाद शावक जंगल में गुम हो गए. जिसके बाद वन विभाग ने शावकों की तलाश मे सर्च ऑपरेशन शुरू किया. जिनमें से एक शावक तो मिल गया था, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. वहीं दूसरा शावक अभी भी लापता है. दूसरे लापता शावक को लेकर अब वन विभाग की उम्मीदे भी कम होती जा रही हैं.

MT-2 के मिसिंग शावक के मिलने की संभावना कम

वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर का कहना है कि काफी समय बीत गया है, एमटी-2 के मिसिंग शावक के मिलने की संभावना कम है. चीफ वाइल्ड लाइफ तोमर ने बताया कि मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में एमटी-2 के 2 शावक मिसिंग हो गए थे. जिनमें से एक शावक मिल गया था. जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. शावक को बचाने का काफी प्रयास किया गया. आईवीआरआई बरेली के विशेषज्ञों से भी लगातार संपर्क साधते हुए उनकी सलाह पर शावक का उपचार किया गया, लेकिन काफी प्रयासों के बाद भी शावक को बचाया नहीं जा सका, आखिरकार इलाज के दौरान शावक की मौत हो गई.

एमटी- 2 के दूसरा शावक का अभी तक सुराग नहीं लग पाया है. दूसरे शावक की तलाश में सघन अभियान चलाया गया. कैमरा ट्रैप भी लगाए गए, लेकिन उसका अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है. काफी समय बीत गया है, शावक के मिलने की संभावना कम है.

पढ़ें-मुकुंदरा टाइगर रिजर्व : शावक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई सामने, डॉक्टरों ने क्या कहा सुनिये

चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर ने एमटी-1 और एमटी-4 को लेकर कहा कि टाइगर एमटी-1 और एमटी-4 के लिए गहन विचार करने की आवश्यकता है. एनटीसीए से भी इस संबंध में वार्ता और सलाह लेने की आवश्यकता है. पूर्ण प्रक्रिया सोच समझकर की जाएगी, जिसमें राज्य सरकार और विशेषज्ञों की सलाह लेकर ही निर्णय लिया जाएगा.

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