राजस्थान

rajasthan

Special : किस्मत का ये कैसा खेल ...'करंट' ने मां छीन ली और 'हालात' ने पिता

By

Published : Nov 9, 2020, 7:39 PM IST

नागौर के जयराम को कड़ाके की ठंड में जयपुर एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी के बाहर गोद में दो छोटी बच्चियों को लेकर बैठे देख हर कोई ठिठक रहा था. एक दुधमुंही बच्ची और एक डेढ़-दो साल की. नाम पूछा तो बताया दीपिका और पायल. एक ही रात में इन बच्चियों की किस्मत बदल गई है. मां से चिपकी रहने वाली बच्चियों के सिर से मां का साया उठ गया है. जयराम अब इन दोनों बच्चियों को शिशु गृह में छोड़ने जा रहा है...

jaipur news, rajasthan news
बच्चियों के सिर से उठा मां का साया

जयपुर.आज तक दुनिया में कोई ऐसी कलम नहीं बनी है जो 'मां' शब्द की परिभाषा लिख सके. जब मां नहीं रहती तो दुनिया नहीं रहती. बच्चों के लिए तो मां की मौजूदगी ही खुशहाल दुनिया होना है, लेकिन दो नन्हीं बच्चियों दीपिका और पायल की खुशी को अचानक किसी की नजर लग गई. करंट लगने से मां की मौत हो गई और पिता मजबूरियों के चलते उन दोनों को पाल नहीं सकता.

करंट ने छीन ली मां...

प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल की मोर्चरी के बाहर एक पिता ने अपनी पत्नी को खोने के बाद दुधमुंही दो बच्चियों को लेकर कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारी. दो बच्चियों को लिए बैठा जयराम नागौर का रहने वाला है. उसकी पत्नी बरनाली को करंट लग गया था. बरनाली जयपुर के एसएमएस में दो दिन जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही. फिर उसने दम तोड़ दिया. मां के चले जाने के बाद पति जयराम पर डेढ़ साल की दीपिका और डेढ़ माह की पायल की जिम्मेदारी आ गई.

पिता की गोद में दुधमुंही पायल...

पढ़ें-राजस्थान में त्योहारों पर थम सकते हैं बसों के पहिए, रोडवेज यूनियन की सरकार को चेतावनी

नागौर जिले के बोरावड़ निवासी जयराम ने अपनी मर्जी से विवाह किया था, इसलिए वह परिवार से अलग हो गया था. पत्नी की मौत के बाद अब वह अपनी बच्चियों का जिम्मा अपने परिवार पर नहीं डालना चाहता. लिहाजा चाहता है कि कुछ समय के लिए बच्चियां शिशु गृह में रहें. यूं भी मेहनत मजदूरी करने वाला जयराम दोनों बच्चियों का अकेले पालन-पोषण नहीं कर सकता.

मोर्चरी के बाहर बच्चियों के साथ पिता...

कुछ दिन पहले तक जयराम के घर लक्ष्मी का जन्म हुआ था, जयराम के आंगन में यह दूसरी बच्ची थी. इसके बाद बरनाली हादसे का शिकार हो गई, करंट की चपेट में आ गई. जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

पढ़ें-मित्र बनकर समाज को आर्थिक व शैक्षिणक रूप से उन्नत बनाएंगे : VHP

अस्पताल में अकाल मौत के बाद जयराम की पत्नी का नगर निगम के कर्मचारियों ने अंतिम संस्कार किया. सदमे से सहमा जयराम अपनी दोनों बच्चियों को लेकर रातभर मोर्चरी के बाहर ही बैठा रहा. सुबह तक दोनों बच्चियों भूख-प्यास में बिलबिला रहीं थीं, बच्चियों की आंखों से छलकते आंसू उसके पिता की मजबूरी को बयां कर रहे थे, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था. पीड़ित जयराम ने बताया कि वो इन दोनों बच्चियों को पालन में समर्थ नहीं है. उसने कहा कि बच्चियां छोटी हैं और मां के बिना लालन-पालन मुश्किल है. ऐसे में जयराम इन बच्चियों को शिशु गृह को सौंपने जा रहा है.

मां की मौत के बाद बिलखती दीपिका...

बहरहाल, मां को करंट क्या लगा जिंदगी ने दो मासूम बच्चियों से उनके पिता का साया भी छीन लिया. मां जिंदा नहीं है और पिता जिंदा होकर भी इतना मजबूर है कि उन्हें दुलार नहीं सकता. खैर, शिशु गृह में इन बच्चियों को मां-बाप तो नहीं मिलेंगे, लेकिन भूखे उदर का इंतजाम जरूर हो जाएगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details