जयपुर. करीब 165 करोड़ के कर्जे में डूबा हेरिटेज निगम (Jaipur Heritage Municipal Corporation) अब गजानंद की शरण में पहुंच गया है. निगम का लोन और देनदारियां विकास का रोड़ा न बने, इसके लिए यहां गजानंद की भक्ति की जा रही है. खास बात ये है कि हेरिटेज मुख्यालय में स्थापित गणेश जी का तो नाम ही ऋणहर्ता गणेश रखा गया है. जिनकी गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले महापौर सहित निगम के अधिकारी कर्मचारियों ने निगम को कर्जे की मुक्ति और निगम की तरक्की के लिए भगवान का दुग्धाभिषेक किया.
राजधानी में जगह के अनुसार मंदिर के नामकरण का इतिहास रहा है. फिर चाहे ताड़ के वृक्षों के कारण ताड़केश्वर मंदिर हो या गढ़ पर बैठे गढ़ गणेश महाराज. लेकिन जयपुर नगर निगम हेरिटेज में भगवान गणपति का अनूठा नामकरण किया गया. यहां स्थापित गणेश जी को ऋण हर्ता गणेश नाम दिया गया है. गणपति का नामकरण करने वाले पंडित अश्वनी चतुर्वेदी ने बताया कि जब यहां भगवान गणेश की प्राण प्रतिष्ठा की गई. उस दिन जो नक्षत्र था, उसके नामकरण चरण में 'ऋ' अक्षर का नाम आया. इसलिए भगवान का नाम ऋणहर्ता गणेश रखा गया.
165 करोड़ के कर्जे में डूबा हेरिटेज निगम. पढ़ें- GANESH CHATURTHI 2022 कैसे करें प्रथम पूज्य की पूजा, क्या है शुभ मुहुर्त...जानें एक क्लिक में
वहीं, मंगलवार को गणेश चतुर्थी से पहले हेरिटेज निगम में प्रथम पूज्य विनायक का दुग्धाभिषेक किया गया. गणपति का 51 किलो दूध से अभिषेक किया गया. इसका प्रसाद लोगों में वितरित भी किया गया. विधि-विधान से भगवान की यहां पूजा अर्चना की गई. खुद महापौर मुनेश गुर्जर ने भी यहां भगवान गणपति पर दुग्धाभिषेक कर उनसे निगम के विकास की प्रार्थना की. इस दौरान उन्होंने कहा कि निगम शुरुआत से कर्जे में है. इसलिए उन्होंने भगवान गणेश से यही प्रार्थना की कि निगम को कर्जे से उबारे और शहर में शांति समृद्धि हो. हालांकि उनका कहना था कि नामकरण उन्होंने नहीं, बल्कि यहां के पुजारी ने किया है.
जानकारी के अनुसार हेरिटेज निगम ने हुडको से 25 करोड़ लोन ले रखा है. इसके अलावा 80 करोड़ ठेकेदारों की देनदारी जनवरी 2021 से बकाया है. कर्मचारियों का एरियर 40 करोड़ (2020 और 2021 का बकाया), रिटायर्ड कर्मचारियों की ग्रेच्युटी और पीएल 15 करोड़ और अन्य भत्ते करीब 5 करोड़ के बकाया हैं. जबकि कर्मचारियों का वेतन भुगतान हर महीने 7 करोड़ निगम की आय से किया जा रहा है. राज्य सरकार की ओर से महज 18 करोड़ ही मिल रहे हैं. इस वजह से निगम की आर्थिक सेहत पटरी पर नहीं आ पा रही हैं. इस पर निगम महापौर मुनेश गुर्जर ने कहा कि निगम की आय बहुत कम है और खर्चे ज्यादा हैं. जिस वजह से कर्जे शुरू से रहे हैं. अब आय बढ़ाने पर भी फोकस किया जा रहा है. रेवेन्यू के संसाधनों पर ध्यान दिया जा रहा है.
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बहरहाल, जयपुर में दो निगम किए जाने के बाद पहली बार अस्तित्व में आए नगर निगम हेरिटेज की आर्थिक दशा शुरू से ही गड़बड़ाई हुई है. हालांकि अब सुख-समृद्धि और रिद्धि-सिद्धि के दाता गणपति से प्रार्थना की जा रही है कि अब वो ही निगम को देनदारियों के समुद्र से बाहर निकाल किनारे तक पहुंचाए.