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स्पेशल: गांव की 'सरकार' के लिए बाप-बेटे ने ठोकी ताल, मैदान में कुल 14 प्रत्याशी

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Published : Oct 1, 2020, 10:01 PM IST

ऐसी कहावत है कि 'इश्क और जंग में सब कुछ जायज है' और चुनाव के मौसम में चुनाव लड़ने वाले भी अपने भाग्य से जंग लड़ते हैं. आखिर लड़े ही क्यूं न, क्योंकि 5 साल में एक बार चुनावी मौसम जो आता है. और यह मौसम प्रत्याशियों के लिए किसी अखाड़े से कम नहीं होता. ऐसे में चुनाव भी रिश्ते नातों की परवाह किए बगैर लड़ा जाता है. कुछ ऐसी ही जंग देखने को मिली है, दौसा की लोटवाड़ा पंचायत में. यहां पर सरपंच पद के लिए बाप-बेटे ने आमने-सामने ताल ठोक दी है.

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सरपंच चुनाव में बाप-बेटे आमने-सामने

दौसा.लोटवाड़ा पंचायत में बाप-बेटे ने आमने-सामने चुनावी ताल ठोककर सरपंच पद के मुकाबले को और भी ज्यादा रोचक बना दिया है. गांव की सरकार चुनने का मौसम है, ऐसे में सभी प्रत्याशी अपने-अपने अपने भाग्य को आजमा रहे हैं. लेकिन लोटवाड़ा में बाप-बेटे का आमने-सामने चुनाव लड़ना एक उदाहरण बन गया है. यहां बाप-बेटे दोनों ही एक ही पंचायत से हैं और आमने-सामने चुनाव लड़कर अपने आप को सरपंच पद का दावेदार बता रहे हैं.

सरपंच चुनाव में बाप-बेटे आमने-सामने

विश्राम मीणा और नमोनारायण मीणा ने लोटवाड़ा पंचायत से सरपंच पद की उम्मीदवारी के लिए ताल ठोक दी है. ऐसे में अब लोटवाड़ा पंचायत में 14 उम्मीदवार सरपंच पद के लिए चुनावी मैदान में डटे हुए हैं. लेकिन इस बाप-बेटे की जोड़ी ने चुनावी मैदान में ताल ठोककर आसपास के इलाकों में हलचल तो पैदा की ही है. साथ ही मुकाबले को और भी ज्यादा रोचक बना दिया है. राजनीतिक गलियारों में दोनों का आमने-सामने चुनाव लड़ना चर्चा का विषय बन गया है. आने वाला वक्त ही बताएगा कि विश्राम मीणा और नमोनारायण मीणा में से जनता किसको अपना सरपंच चुनती है या किसी और को. लेकिन दोनों ने चुनावी महासंग्राम में एक दूसरे के सामने ताल ठोककर यह तो साबित कर दिया की राजनीति में सब कुछ जायज है. फिर भले ही बाप-बेटे हों या सगे भाई. इससे पहले भी दौसा में पिछले लोकसभा चुनाव में हरीश मीणा और नमोनारायण मीणा दोनों सगे भाइयों ने बीजेपी और कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं और अब बाप-बेटे सरपंच पद की दौड़ के लिए अपनी उम्मीदवारी जताए बैठे हैं.

चुनाव प्रचार करते हुए प्रत्याशी और समर्थक

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बेटा अपनी युवा सोच और शिक्षा को लेकर चुनाव मैदान में वोट मांग रहा है तो बाप विश्राम मीणा अपने अनुभव को लेकर लोगों के बीच अपनी जानकारी के नाम पर वोट मांग रहे हैं. इस मैदान में पूर्व सरपंच लोकेंद्र सिंह लोटवाड़ा भी दावेदारी कर रहे हैं. ऐसे में कुल 14 प्रत्याशियों के चलते लोटवाड़ा का चुनाव काफी रोचक बना हुआ है. हालांकि लोटवाड़ा की जनता इस बार अपने सरपंच के रूप में एक विकास पुरुष को देखना चाहती है.

मूलभूत सुविधाओं की कमी

लोटवाड़ा में पानी, सड़क और शिक्षा की समस्या तो है ही. साथ ही बालिका शिक्षा के लिए कोई उच्च शिक्षण संस्थान भी नहीं है. वहां से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर बांदीकुई उपखंड मुख्यालय पर आवाजाही के लिए सड़क मार्ग भी नहीं है. ऐसे में लोगों को अस्पताल सुविधा के लिए भी टूटी-फूटी सड़क पर घंटों का सफर तय करके जाना पड़ता है. इसलिए जनता इस बार लोटवाड़ा के लिए विकास पुरुष ढूंढ रही है.

लोटवाड़ा पंचायत के ग्रामीण

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लोटवाड़ा ग्राम पंचायत की मुख्य समस्या है कि वहां से महिलाओं को प्रसव के लिए ले जाने के लिए न ही कोई साधन है. यदि निजी साधन से भी अस्पताल के लिए लेकर जाते हैं तो प्रसूता को टूटी सड़क के कारण हॉस्पिटल पहुंचने में तकरीबन दो घंटे से भी अधिक का समय लगता है. जो कि प्रसूता के लिए काफी परेशानी भरा समय होता है. ऐसे में अपनी विभिन्न समस्याओं के समाधान को लेकर इस बार लोटवाड़ा की जनता अपने लिए विकास पुरुष ढूंढ रही है.

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