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Third Grade Teachers Transfer मुख्यमंत्री गहलोत के स्तर पर ही होंगे तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले

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Published : Jun 16, 2023, 1:17 PM IST

राजस्थान में सरकार चुनावी मोड में है. जनता को लुभाने के लिए गहलोत महंगाई राहत कैंपों का निरीक्षण कर रहे हैं और कई घोषणा भी कर रहे हैं. इन सबके बीच तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों पर निर्णय नहीं हुआ है. अब माना जा रहा है कि जून महीने में सरकार तबादलों पर कोई घोषणा कर सकती है.

Transfer of Third Grade Teachers
तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले

बीकानेर. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को बने साढ़े 4 साल का समय हो गया है और तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले पर सरकार कोई निर्णय नहीं कर पाई है. अब चुनावी साल में सरकार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों को लेकर निर्णय करने जा रही है और इस महीने शिक्षकों के तबादलों को लेकर बड़ी खबर सामने आ सकती है.

शिक्षा मंत्री नहीं मुख्यमंत्री ही करेंगे तबादले - शिक्षा विभाग के अधिकारियों और खुद शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला भी इस बात को मानते हैं कि सरकार तबादला पॉलिसी बनाने जा रही है. यह तबादला पॉलिसी अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की स्वीकृति के बाद ही जारी होगी और उसके बाद ही तबादले होंगे. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अब तक जहां विभाग के मंत्री ही अपने विभाग के तबादलों को किया करते थे, तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों में मुख्यमंत्री के स्तर पर दखल क्यों हो रहा है.

डोटासरा के समय लिए थे आवेदन - करीब 2 साल पहले तत्कालीन शिक्षा मंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा के समय भी तृतीय श्रेणी शिक्षकों से आवेदन लिए गए थे. उस समय करीब 84,000 शिक्षकों ने आवेदन किया था, लेकिन आज तक उस पर कुछ भी नहीं हुआ. इसके विपरीत शिक्षा मंत्री के पद से हटने के बाद खुद डोटासरा ने भी तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की मांग को जायज बताया था.

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कांग्रेसी विधायक मंत्री भी कर चुके मांग - प्रदेश में खुद कांग्रेस के विधायक और मंत्री भी प्रदेश प्रभारी के साथ बैठक में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की मांग कई बार कर चुके हैं. चुनावी साल आने के बावजूद अभी तक सरकार के स्तर पर इस बारे में निर्णय नहीं हुआ है, क्योंकि अंतिम निर्णय खुद मुख्यमंत्री के स्तर पर होना है.

ताकि न हो नाराजगी - जानकार सूत्र बताते हैं कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की पूरी कवायद मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से ही की जाएगी. इसका कारण यह भी है कि मंत्रियों की हाथ में तबादलों की कवायद होने के चलते कई बार खुद सत्ताधारी पार्टी की विधायक भी अपना काम नहीं होने का उलाहना सार्वजनिक रूप से दे चुके हैं. ऐसे में विधायकों की डिजायर की पूरी पालना हो, इसकी मॉनिटरिंग भी मुख्यमंत्री कार्यालय से की जाएगी ताकि चुनावी साल में विधायकों की नाराजगी न हो. अब यह देखने वाली बात है कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की पॉलिसी कब तक लागू होती है.

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