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Sarva Pitru Amavasya 2022 : यदि पूर्वजों की श्राद्ध तिथि नहीं है याद तो इस दिन किया जा सकता है श्राद्ध

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Published : Sep 24, 2022, 10:02 AM IST

Updated : Sep 24, 2022, 1:22 PM IST

पितृ शांति के लिए श्राद्ध पक्ष (Shraddha Paksha) में पूर्वजों की आत्मिक शांति के लिए और पितृ दोष से बचने के लिए श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों की तिथि के अनुसार लोगों लोग श्राद्ध मानते हैं. चलिए जानते हैं जिन्हें अगर अपने पूर्वजों की श्राद्ध तिथि नहीं याद तो कैसे करें श्राद्ध.

Sarva Pitru Amavasya 2022
सर्वपितृ अमावस्या

बीकानेर. पितृ शांति के लिए श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों की आत्मिक शांति के लिए और पितृ दोष से बचने के लिए श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों की तिथि के अनुसार श्राद्ध मनाया जाता है और हवन पूजन तर्पण और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है. लेकिन श्राद्ध पक्ष में सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2022) का भी बड़ा महत्व है. बीकानेर पितृपक्ष पूर्णिमा से अमावस्या तक 16 दिन की अवधि को शास्त्रों के मुताबिक हिंदू पंचांग में श्राद्ध पक्ष माना गया है. पितृपक्ष 10 सितंबर को प्रारंभ हुए थे, जो कि 25 सितंबर को खत्म होंगे. 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही श्राद्धपक्ष का समापन होगा.

सनातन धर्मशास्त्रों की मान्यता के मुताबिक किसी भी प्राणी की मृत्यु होती है और श्राद्धपक्ष में आने वाली सभी 16 तिथियां उस प्राणी की मृत्यु तिथि से माना जाता है. लेकिन यदि किसी परिजन को अपने पूर्वजों की श्राद्ध तिथि ज्ञात नहीं है तो उसका श्राद्ध अमावस्या को किया जाने का शास्त्रों में वर्णन किया गया है. पंचांगकर्ता पंडित राजेन्द्र किराडू कहते हैं कि अमावस्या को किए जाने वाला श्राद्ध वैसे तो अमावस्या तिथि के लिए भी है. लेकिन 14 दिवस तिथि में यदि किसी का श्राद्ध आता है और तिथि की जानकारी नहीं है या किसी कारणवश श्राद्ध नहीं कर पाए तो उस स्थिति में अमावस्या के दिन श्राद्ध का महात्म्य बताया गया है.

पढ़ें:Sarva Pitru Amavasya 2022: पुष्कर में पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म एवं दान करने का है विशेष महत्व

हवन पूजन तर्पण: सनातन धर्म के अलग-अलग शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष के बारे में विस्तार से बताया गया है और इस दिन हवन पूजन तर्पण अपने पूर्वजों की याद में करना श्रेयस्कर कर माना गया है. वे कहते हैं कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध किया जाता है.

मातामह श्राद्ध: अश्विन कृष्ण प्रतिपदा के दिन भी मातामह श्राद्ध (नाना पक्ष) किया जाता है और यह श्राद्ध सुहागन महिला अपने ससुराल में दिवंगत पिता के निमित्त कर सकती है और और यदि पुत्री विधवा है तो वह यह श्राद्ध नहीं कर सकती है.

खीर का महत्व: पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि श्राद्ध पक्ष में सबसे उत्तम खीर बनाना है, क्योंकि खीर का भोजन देवताओं के लिए भी दुर्लभ माना गया है. पूर्वजों के निमित्त खीर का भोजन करना सबसे उत्तम बताया गया है. किराडू कहते हैं कि शास्त्र में श्राद्धपक्ष के दिन पूर्वजों के निमित्त केवल एक ब्राह्मण को ही भोजन कराने की बात कही गई है और इससे ज्यादा आयोजन शास्त्र के विरुद्ध है. उन्होंने बताया कि पूजन ब्रह्म काल में ही सूर्योदय के साथ ही तर्पण करना श्रेयस्कर है. श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों के निमित्त हवन पूजन और वस्त्र दान का महत्व शास्त्रों में बताया गया है.

Last Updated :Sep 24, 2022, 1:22 PM IST

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