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Exclusive : 2 साल में 7 सरकारी नौकरियां, आशीष की सफलता की कहानी सुनिए उन्हीं की जुबानी

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Published : Jun 7, 2023, 3:46 PM IST

इरादे बुलंद हों तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. बीकानेर के आशीष ने कुछ ऐसा ही कमाल कर दिखाया है. उन्होंने 2 साल में 7 सरकारी नौकरियां हासिल की है. ये कहना गलत नहीं होगा कि आशीष उन लोगों को लिए प्रेरणा बन गए हैं जो जिंदगी में सफलता हासिल करना चाहते हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

Success Story of Ashish
2 साल में 7 सरकारी नौकरियां

आशीष और उनकी मां ने क्या कहा, सुनिए...

बीकानेर. सकारात्मक विचार और लक्ष्य का निर्धारण करने से व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता है, लेकिन इसके साथ ही जरूरी है उस लक्ष्य के प्रति समर्पण, जिद और जुनून. हालांकि, कई बार ऐसा देखने में आता है कि असफलता हाथ लगते ही लोग पीछे हट जाते हैं और सफल नहीं होने से निराश भी हो जाते हैं. लेकिन व्यक्ति यदि लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ने का प्रयास करता है तो सफलता उसके कदम चूमती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बीकानेर के युवा आशीष गहलोत ने. आशीष उन लोगों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं जो जिंदगी में कुछ करने की चाहत रखते हैं.

पिता चाहते थे बेटा बने क्रिकेटर : बीकानेर के उपनगर किसमीदेसर गांव के रहने वाले आशीष के पिता जो खुद पेशे से मजदूर थे. उन्होंने अपने बेटे के क्रिकेट के प्रति लगन को देखकर हमेशा से ही चाह रखी कि उनका बेटा क्रिकेटर बने. आशीष अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए क्रिकेट में पूरी तरह से रम गए और सीके नायडू कॉल्विन शील्ड सहित कई प्रतियोगिताओं सिलेक्शन भी हो गया.

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पिता के निधन के बाद छूटा क्रिकेट : क्रिकेट की प्रति दीवानगी रखने वाले आशीष कहते हैं कि 2019 में उनके पिताजी का निधन हो गया और घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए घरवालों और खासतौर से उनकी मां की इच्छा थी कि वह सरकारी नौकरी में लग जाए. इसलिए अपनी क्रिकेट के शौक को छोड़ दिया और सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट गए. एक बार रेलवे के एग्जाम में उनका सिलेक्शन नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि अब सरकारी सेवा में चयनित होकर ही रहना है. उसके बाद 2020 और 2021 में लगातार उन्होंने इसको लेकर मेहनत की और उसके बाद होने वाले 6 एग्जाम में लगातार उनका सिलेक्शन हुआ.

पटवारी के रूप में कार्यरत, अब बने थानेदार : आशीष कहते हैं कि उस समय वनरक्षक, कंप्यूटर अनुदेशक, बेसिक कंप्यूटर शिक्षक, बिजली विभाग में कमर्शियल असिस्टेंट के साथ ही पटवारी की परीक्षा को भी उन्होंने पास किया, लेकिन पटवारी के रूप में ज्वाइन किया. फिलहाल, सूरतगढ़ में पिछले एक साल से कार्यरत हैं. इस दौरान वे RAS प्री-एग्जाम में भी पास हो गए, लेकिन इसी के साथ सब इंस्पेक्टर भर्ती के चलते RAS Mains में कुछ अंक से रह गए. आशीष कहते हैं कि इस दौरान राजस्थान पुलिस की सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में सिलेक्शन होना उनके लिए एक अचीवमेंट है और इस अचीवमेंट के सहारे उन्होंने परिवार के हर शख्स की उम्मीद को भी पूरा किया है. क्योंकि बड़े भाई-भाभी, बहन चाहते थे कि मैं पुलिस में अधिकारी बनूं और मां चाहती थी कि सरकारी सेवा में रहो. सबकी इच्छा इस नौकरी से भी पूरी हो गई.

भविष्य में प्रशासनिक अधिकारी बनने का लक्ष्य : हालांकि, सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में उनका सिलेक्शन हो गया है, लेकिन वे कहते हैं कि उनका लक्ष्य प्रशासनिक अधिकारी बनना है और जरूरतमंदों की सेवा का भाव जो उनके मन में है उसको पूरा किया जा सके. आने वाले भविष्य में आरएएस के एग्जाम में वो सिलेक्शन के लिए तैयारी कर रहे हैं.

मां बोली- बहुत खुश हूं : आशीष की मां मंजू देवी कहती हैं कि एक समय ऐसा था जब मैं केवल यह चाहती थी कि बेटा कैसे भी करके सरकारी नौकरी में लग जाए. लेकिन आज वह थानेदार बन गया है और एक साथ कई नौकरियों में उसका सिलेक्शन हो गया. यह मेरे लिए खुशी की बात है और अब वह अपने पिता के सपनों को पूरा करते हुए क्रिकेट में भी कुछ करके दिखाए.

युवाओं को संदेश : आशीष कहते हैं कि कई लोग संसाधनों के अभाव और अवसर नहीं मिलने की बात कह कर अपने लक्ष्य से पीछे हट जाते हैं. ऐसे लोगों के लिए मैं कहना चाहता हूं कि जिंदगी में जो भी काम करना है, उसको पूरी शिद्दत से करना चाहिए. मैंने हर बार अपने जीवन के अलग-अलग ट्रैक पर अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किया और सफलता हासिल की. मेरी सफलता में किसी कोचिंग का कोई योगदान नहीं है, मेरे एक दोस्त ने मेरा साथ दिया.

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