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बांसवाड़ाः मध्य प्रदेश के कामगारों को रोडवेज बसों से भेजा गया घर

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Published : May 16, 2020, 9:29 AM IST

बांसवाड़ा में बीती देर रात युवा और महिला कामगारों को रोडवेज बसों की मदद से उन्हें मध्य प्रदेश के लिए रवाना किया गया. साथ महिला श्रमिकों की सुरक्षा के लिए बस में पुलिस कर्मचारी को भी साथ में भेजा गया.

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कामगार देर रात हुए घर के लिए रवाना

बांसवाड़ा. लॉकडाउन के बीच सरकार के श्रमिकों की घर वापसी के आदेश को देखते हुए कामगार अब अपने अपने घरों को जाने के लिए सड़कों पर आ रहे हैं. ऐसे ही युवा कामगारों एक टोली देर रात सैकड़ों किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के जबलपुर क्षेत्र के लिए रवाना हो गए.

कामगार देर रात हुए घर के लिए रवाना

कामगार कलेक्ट्रेट पहुंचे

इन कामगारों में अधिकांश युवा महिला श्रमिक शामिल थी. जो येन केन प्रकारेण अपने घर लौटने को लालायित थी. प्रशासन द्वारा संबंधित कपड़ा फैक्ट्री के अधिकारियों को भी बुलाया गया, लेकिन इन श्रमिकों ने उनकी एक नहीं सुनी और प्रशासन के समक्ष घर भेजने की गुहार लगाई. करीब 3 दर्जन से अधिक यह कामगार अपने घरों से निकलकर कलेक्ट्रेट गेट पहुंच गए. एक साथ इतने बच्चों को देखकर प्रशासन के भी हाथ-पांव फूल गए.

बॉर्डर तक छोड़ दें

एसपी केसर सिंह शेखावत, एसडीएम पर्वत सिंह चुंडावत, तहसीलदार बृजेश गुप्ता, शहर कोतवाली प्रभारी भैया लाल और आंजना सहित पुलिस एवं प्रशासन के कई अधिकारी पहुंच गए और उन लोगों को समझाने की भी कोशिश की. परंतु वे अपने घर जाने पर अड़ गए और रतलाम तक छोड़ने की मांग को लेकर रोडवेज बस में बैठ गए. वहीं स्थिति यह थी कि रोडवेज को मध्य प्रदेश की सीमा तक जाने का आदेश था. वहां से रतलाम की दूरी करीब 20 किलोमीटर है. इसके बावजूद युवा कामगार एक ही रट लगाए हुए थे कि हमें बॉर्डर तक छोड़ दे हम आगे का सफर पैदल पूरा कर लेंगे. जिसके बाद पुलिस अधीक्षक ने एक कर्मचारी को साथ देते हुए उन्हें रोडवेज से रवाना कर दिया.

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घर भेजने की व्यवस्था करें

छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर आने वाले बेतूल जबलपुर डिंडोरी मंडला के 25 से 30 साल की उम्र वाले युवा श्रमिक बांसवाड़ा सिंटेक्स लिमिटेड में लंबे समय से काम कर रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के बीच काम मिलना बंद हो गया और पिछले 2 महीने से किराए के कमरों में गुजर-बसर कर रहे थे. बेतूल निवासी जीवती लाल यादव अनुसार भयंकर गर्मी में कमरों में रहना मुश्किल है और उस पर किराए की चिक-चिक से परेशान थे. काम भी पूरा नहीं मिल रहा था. ऐसे में पेट भरना भी मुश्किल हो रहा था. अब हमें सरकार घर भेजने की व्यवस्था करें या नहीं जैसे तैसे कर हमें घर जाना ही पड़ेगा.

रोडवेज की व्यवस्था की

इन श्रमिकों में आधे से अधिक महिला श्रमिक थी. प्रशासनिक अधिकारियों ने उनकी जिद को देखते हुए आखिरकार रोड बस से उन्हें रतलाम बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए रोडवेज बस रवाना कर दिया. एसडीएम चुंडावत के अनुसार हम उनके खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे थे, लेकिन वह लोग अपने घर जाना चाहते थे ऐसे में हमने रोडवेज से उन्हें रतलाम पहुंचाने की व्यवस्था कर दी.

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