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फर्जी RAS अफसर बनकर बांसवाड़ा के डॉक्टर से 9.37 लाख रुपए की धोखाधड़ी

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Published : Feb 28, 2021, 10:02 AM IST

बांसवाड़ा के एक डॉक्टर से फर्जी RAS अफसर बनकर 9.37 लाख रुपए धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है. इस मामले में दो लोगों पर केस दर्ज करवाया गया है, जिसमें एक डॉक्टर भी शामिल है.

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बांसवाड़ा के डॉक्टर से 9.37 लाख रुपए की धोखाधड़ी

बांसवाड़ा. फर्जी RAS अफसर बन बांसवाड़ा के एक डॉक्टर से 9.37 लाख रुपए धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि बदमाश ने जयपुर के SMS अस्पताल के डॉक्टर के संपर्क के जरिए बांसवाड़ा के एमजी अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर से ठगी की. पहले परिवादी के तबादले और फिर विभाग में अपने परिचित का एलडीसी भर्ती में चयन करवाने के नाम पर आरोपी ने धोखाधड़ी की.

अब डॉक्टर और फर्जी RAS अफसर के खिलाफ कोतवाली में प्रकरण दर्ज करवाया गया है. सीआई मोतीराम सारण ने बताया कि एमजी अस्पताल में ईएनटी विशेषज्ञ रातीतलाई निवासी सुरेश कुमार पुत्र भैरुलाल यादव ने शाहपुरा जयपुर निवासी मनोज कुमार पुत्र जगदीश कुमार यादव और एसएमएस अस्पताल जयपुर के डॉक्टर रवि यादव के खिलाफ रिपोर्ट दी है. इसमें बताया कि 2017 में वे SMS अस्पताल में कार्यरत होने से डॉ. रवि यादव से अच्छे संपर्क में थे.

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मई 2020 में मनोज कुमार नाम के शख्स ने डॉ. रवि यादव का खास बताकर इधर-उधर की बातें की. फिर मनोज ने खुद को चिकित्सा विभाग के सचिवालय में आरएएस अफसर होना बता कर स्थानांतरण करवाने की बात की. इस पर जब डॉक्टर रवि यादव ने बात की तो उन्होंने अपना आदमी बता कर आश्वस्त किया. फिर मई में ही वापस मनोज का कॉल आया, जिसमें उसने खुद को एसीएस चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाएं रोहित कुमार सिंह के अधीन कार्यरत होना बताते हुए तबादला करवाने की बात कह कर पैसे व्हाट्सएप पर भेजने की बात कही. तब भरोसे में आकर उसने किस्तों में 15 हजार रुपए जमा करवाएं. इसके कुछ दिन बाद मनोज का फिर फोन आया, जिसमें उसने विभाग में लिपिक भर्ती का नोडल अधिकारी बताते हुए किसी का चयन करवाना हो तो खर्चा करने की बात कही और सूची में जोड़ने के लिए नाम भेजने को कहा. तब भी उसने डॉ. रवि यादव से सत्यता पूछी तो बिना संकोच लेन-देन की बात आने पर उसने जुलाई 2020 में किस्तों में 9.37 लाख रुपए बताए गए बैंक खाते में डालें, लेकिन उसके तुरंत बाद डॉक्टर रवि यादव का कॉल रिसीव होना बंद हो गया.

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मामले में मनोज से बात की तो, उसने काम होने से इंकार कर पैसा वापस करने की बात कही. बाद में विभाग जाकर परिवादी को मालूम हुआ कि मनोज नाम का कोई आरएएस अफसर वहां नहीं है. तब डॉक्टर रवि यादव से संपर्क किया तो उसने पहचानने से ही इंकार कर दिया और धमकी दी कि आगे से फोन किया तो ठीक नहीं रहेगा. मामले में परिवादी ने दोनों आरोपियों के खिलाफ साजिश के तहत धोखाधड़ी और अमानत में खयानत करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की. इस पर पुलिस ने केस दर्ज किया. इस मामले की जांच उपनिरीक्षक रमेशचंद्र के जिम्मे सौंपी गई है.

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