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बहरोड़ थाना कांड के बाद पुलिस पर उठने लगे सवाल, क्या पहले से रची गई थी विक्रम उर्फ पपला को छुड़ाने की साजिश

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Published : Sep 8, 2019, 10:01 PM IST

अलवर जिले के बहरोड़ थाने में हुए लॉकअप ब्रेककांड में पुलिस की लापरवाही और मिलीभगत की बात सामने आ रही है. बता दें बहरोड़ विधायक बलजीत यादव ने भी बहरोड़ थाने में हुई घटना का जिम्मेदार पुलिस को ठहराया है. उन्होंने कहा कि बहरोड़ में भ्रष्ट अधिकारी और पुलिसकर्मी लगे हुए हैं.

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बहरोड़ (अलवर). जिले के बहरोड़ थाने में हुए लॉकअप ब्रेककांड में पुलिस की लापरवाही और मिलीभगत की बात सामने आ रही है. बता दें कि बहरोड़ विधायक बलजीत यादव ने हाल ही में बहरोड़ थाने में हुई घटना का जिम्मेदार बहरोड़ पुलिस को ठहराया है. उन्होंने कहा कि बहरोड़ में भ्रष्ट अधिकारी और पुलिसकर्मी लगे हुए हैं. यह लोग बहरोड़ में बदमाशों को पनाह देते हैं. इस मामले में उनकी डीजीपी व मुख्यमंत्री से बात हुई है. उन्होंने इस मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिलाया है.

जानकारी के अनुसार जिले के बहरोड़ थाने की लॉकअप ब्रेककांड की रणनीति थाने में ही रची गई. जिसके बाद विक्रम उर्फ पपला को भगाकर ले जाने की वारदात हुई. बदमाश को डॉक्टर कुलदीप और महाकाल की गैंग छुड़ा कर ले गई. हालांकि पुलिस खुद पर लगे आरोपों से बच रही है. साथ ही कोई भी पुलिस अधिकारी कैमरे के आगे कुछ भी बोलने से कतरा रहा है.

बहरोड़ बदमाश विक्रम उर्फ पपला को छुड़ाने की रणनीति

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लेकिन ये बात अब जोर पकड़ने लगी है कि बहरोड़ थाने में पुलिस की लापरवाही और मिलीभगत के खेल के कारण बदमाश विक्रम उर्फ पपला को फायरिंग करते हुए लॉकअप को तोड़कर छुड़ा कर फरार हो गए. जानकारी के अनुसार पुलिस की टीम रात को करीब एक बजे विक्रम पपला को पकड़ कर थाने में लेकर आई थी. पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने अपना नाम साहिल बताया और बुआ के प्लॉट की रजिस्ट्री करवाने के लिए पैसे लेकर आने की बात कही.

लेकिन शक इस बात से और बढ़ जाता है कि इस दौरान पुलिस ने रोजनामचे में कोई रिपोर्ट उसी वक्त नहीं डाली. ये बात चर्चा में आ रही है कि कहीं ना नहीं कोई सौदेबाजी जरूर तय हुई होगी. हालांकि इस बात का आधार अभी तक कोई सामने नहीं आया है. बाद में पुलिस ने जब्त राशि को सुबह 8 बजे के करीब डयूटी ऑफिसर की वापसी पर रोजनामचे में पुलिस एक्ट 38 के तहत 31 लाख 90 हजार की राशि जब्त दिखा कर रपट रोजनामचे में डाल दी.

जिस तरह से अपराधियों ने वारदात को अंजाम दिया उससे भी यही लगता है कि बदमाशों को थाने की पल पल की अपडेट थी. जिसके बाद इशारा मिलने पर ही पूरी गैंग को हथियारों के साथ बहरोड़ थाने में एके 47 जैसी राइफल और अत्याधुनिक हथियारों की सहायता से पपला को छुड़ाकर ले गए. इस घटनाक्रम में पुलिस दोषी है, क्या इसमें किसी प्रकार की कोई साजिश थी. इसका खुलासा जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही होगा. लेकिन इतना जरूर है कि पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में है.

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