अलवर. जिले में अक्सर अवैध खनन के मामले सामने आते रहते हैं, इसलिए अलवर अवैध खनन के लिए पूरे देश में बदनाम है. बीते दिनों केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए अवैध खनन पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया गया था. लेकिन कोरोना काल में फिर से अलवर में जमकर अवैध खनन शुरू हो चुका है. दूसरी तरफ खनन विभाग के पास अवैध खनन रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं है.
अलवर में जमकर हो रहा अवैध खनन क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से अलवर राजस्थान का दूसरा बड़ा जिला है, अलवर में 11 विधानसभा क्षेत्र हैं. इसके अलावा अलवर राजस्थान का प्रवेश द्वार है और सीमावर्ती जिला है. अलवर की सीमा उत्तर प्रदेश और हरियाणा से लगती है. सबसे ज्यादा औद्योगिक इकाईयां भी अलवर जिले में हैं. अलवर जिले में चारों तरफ अरावली की पहाड़ियां हैं. अलवर में मार्बल, ग्रेनाइट, कंडा और लाल पत्थर सहित कई तरह के स्टोन निकलते हैं. जिले में खनन विभाग की तरफ से करीब 250 लोगों को खनन के लिए पट्टे जारी किए गए हैं. लेकिन, हजारों लोग खुलेआम अरावली की पहाड़ियों में अवैध खनन कर रहे हैं.
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बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अरावली के 31 पहाड़ गायब हो चुके हैं. इसके बाद खनन विभाग, जिला प्रशासन और राजस्व विभाग सहित कई विभागों की संयुक्त टीम ने सभी जगहों का सर्वे किया. इसके अलावा हवाई सर्वे के दौरान बड़ी संख्या में ऐसे प्वाइंट मिले हैं, जहां अवैध खनन हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट में अरावली के खनन से जुड़ा मामला सामने आने के बाद प्रदेश सरकार हरकत में आई और फौरन अवैध खनन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई. साथ ही राजस्थान सरकार की तरफ से इस मामले में सर्वे की रिपोर्ट दायर की जा चुकी है. अवैध खनन क्षेत्रों में आरएसी के जवान तैनात किए गए हैं. इससे कुछ हद तक अवैध खनन पर काबू पाया जा सका. लेकिन, कोरोना काल के दौरान खनन माफिया एक बार फिर बेखौफ होकर खुलेआम अवैध खनन कर रहे हैं.
अनलॉक-1 के दौरान अलवर में अवैध खनन के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. वहीं, दूसरी तरफ खनन विभाग के पास अवैध खनन रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं है. पहले वन विभाग को आरएसी मिली थी. लेकिन, कोरोना संक्रमण के चलते आरएसी वापस ले ली गई. इसके अलावा खनन विभाग को बॉर्डर होमगार्ड मिले थे. लेकिन, उनको भी कोरोना महामारी के चलते वापस ले लिया गया. ऐसे में खनन विभाग के पास इस समय कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त फोर्स नहीं है.