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Health Tips: टीबी नहीं लाइलाज मगर इन बातों का रखें ध्यान

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Published : Mar 14, 2023, 12:51 PM IST

टीबी संक्रमण से फैलने वाली एक ऐसी बीमारी है जिसका समय पर इलाज नही कराया तो जानलेवा भी हो सकती है. इलाज मुमकिन है. जानते है अजमेर के राजकीय कमला नेहरू टीबी अस्पताल में सहायक आचार्य डॉ रमाकांत दीक्षित से टीबी से बचाव से जुड़े हेल्थ टिप्स

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वरिष्ठ चिकित्सक डॉ रमाकांत दीक्षित ने बताया टीबी से बचाव के हेल्थ टिप्स

अजमेर.एक समय था जब टीबी की बीमारी को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियां थी लेकिन वक्त के साथ टीबी के प्रति भी लोग जागरूक हो गए है. वही अब टीबी यानी क्षय रोग की रोकथाम के लिए सरकारी स्तर पर कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं. वही टीबी की जांच और दवा तक निशुल्क है. हर सरकारी डिस्पेंसरी पर इसकी दवा उपलब्ध है. सहायक आचार्य डॉ रमाकांत दीक्षित बताते है कि टीबी संक्रामक बीमारी है जो बैक्टेरिया से फैलती है.

टीबी के बैटरियां फेफड़ों में पाए जाते हैं. संक्रमित व्यक्ति के खांसने से यह बैक्टीरिया दूसरे व्यक्ति शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और फेफड़ों को संक्रमित करते है. जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उन लोगों को संक्रमण से बचने की ज्यादा जरूरत है. बातचीत में डॉ दीक्षित ने बताया कि टीबी दो तरह की होती है. इन्हें Pulmonary TB और Extra Pulmonary TB कहा जाता है. पल्मोनरी टीबी में (ट्यूबरक्लोसिस ) बैक्टीरिया फेफड़ों को प्रभावित करते हैं.

टीबी के 90 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में फेफड़ों में संक्रमण पाया जाता है. जबकि 10 प्रतिशत लोगों के एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी फेफड़ों के अलावा शरीर के दूसरे अंग को प्रभावित करती है. मसलन पसलियों में पानी भरना, पेट की आंतों, जननांग, गुर्दे, मस्तिष्क, ऑडियो में भी हो सकती है. इसके अलावा शरीर पर गांठ भी एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी हो सकती है.

टीबी के लक्षण
डॉ दीक्षित बताते हैं कि टीबी होने पर खांसी बार-बार आती है. बुखार भी रहता है और रोगी को भूख कम लगती है. रोगी का वजन भी गिरने लगता है. रोगी का कफ बनने लगता है कई बार कफ में खून भी आता है. सांस फूलती है और कभी-कभी छाती में दर्द भी रहता है. जबकि एक्स्ट्रा Pulmonary TB से ग्रसित रोगी के किसी भी अंग में लक्षण दिखने लगते है. मसलन शरीर पर गांठों का उभरना, जोड़ों में सूजन आना या फिर हड्डियों में दर्द रहना. घाव नहीं भरना, पेट में दर्द रहना, पेट में पानी भरना, आंखों से धुंधलापन दिखाई देना, दिमाग पर असर होना, शारीरिक कमजोरी और उल्टियां होना टीबी के लक्षण है. धूम्रपान से फेफड़े कमजोर हो जाते हैं जिससे टीबी होने की संभावना ज्यादा रहती है.

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शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने न दें
डॉ दीक्षित बताते हैं कि टीबी की बीमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से टीवी की संभावना बढ़ जाती है. सहायक आचार्य डॉ रमाकांत दीक्षित बताते हैं कि संक्रमित व्यक्ति जांच करवाकर इलाज करवाएं ताकि उसके कारण किसी अन्य व्यक्ति को टीबी का संक्रमण नहीं फैले. उन्होंने बताया कि स्वस्थ खानपान, व्यायाम से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहिए. ताकि संक्रमण प्रभावित न करे. खुले में न थूकें, टीवी के मरीज खांसते हुए कपड़े का उपयोग करें. भीड़भाड़ वाले स्थान पर मास्क लगाएं.

चिकित्सक के मुताबिक टीवी किसी भी उम्र में हो सकती है. अगर मां ने इलाज नहीं कराया तो गर्भावस्था में बच्चा भी इससे प्रभावित हो सकता है. उन्होंने बताया कि टीबी का लगभग छह माह तक कोर्स चलता है. नियमित रूप से रोगी को टीबी की दवा खानी होती है. यह दवा सभी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त मिलती है. उन्होंने यह भी बताया कि बीमारी बढ़ने पर एक्स्ट्रा पल्मनरी टीबी से ग्रसित रोगी ऑपरेशन करके भी इलाज किया जाता है.

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