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एलर्जिक और धूम्रपान की लत है तो इस मौसम में रहे सतर्क, वरना बढ़ सकती है आपकी परेशानी

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 2, 2023, 7:32 PM IST

Allergic and respiratory patients careful in winter, लोगों को बदलते मौसम में विशेष रूप से सजग रहने की जरूरत होती है, क्योंकि इस दौरान श्वास संबंधी व एलर्जिक मरीजों की समस्या बढ़ जाती है. ऐसे में बचाव के लिए जरूरी है कि वो खुद को सुरक्षित माहौल में रखें. विशेषकर बुजुर्गों को सर्दी के दौरान सावधान रहने की जरूरत है. ये बातें अजमेर जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नीरज गुप्ता ने कही. साथ ही उन्होंने बचाव के तरीकों के बारे में भी बताया.

Allergic and respiratory patients careful in winter
Allergic and respiratory patients careful in winter

अजमेर जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक व श्वास संबंधी रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज गुप्ता

अजमेर. तेज कड़ाके की ठंड पड़ने से पहले मौसमी बीमारी खासकर श्वास संबंधी व एलर्जिक मरीजों की समस्या बढ़ जाती है. इस मौसम में जरा सी लापरवाही भी लोगों को महंगी पड़ सकती है. ऐसे में इस बदलते मौसम में विशेष रूप से सजग रहने की जरूरत है. चलिए जानते हैं अजमेर जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नीरज गुप्ता से हेल्थ टिप्स व बचाव के तरीकों के बारे में.

आमतौर पर कहा जाता है कि आती और जाती सर्दी में लापरवाही भारी पड़ सकती है. शुरुआती सर्दी के दौर में दिन का तापमान ज्यादा रहता है, जबकि सुबह और रात के तापमान में गिरावट रहती है. अजमेर जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक व श्वास संबंधी रोग के विशेषज्ञ डॉ. नीरज गुप्ता ने बताया, ''मौसम सर्द गर्म रहने के कारण वायरल इनफेक्शन, ए टिपिकल बैक्टीरियल इनफेक्शन, धुआं और धूल, पेड़ पौधों से निकलने वाले परागकण और धुंध के कारण स्मोकिंग और एलर्जिक बैकग्राउंड वाले लोगों को खासी दिक्कतें पेश आती हैं. ऐसे में एलर्जिक और धूम्रपान की लत वाले लोगों को विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत होती है.''

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बुजुर्ग रहे खास तौर पर सावधान :उन्होंने कहा, ''इस मौसम में श्वास संबंधी बीमारी से ग्रस्त लोगों के अस्थमा अटैक आने और क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज ( सीओपीडी ) का दौरा (अटैक ) आने की संभावना अधिक रहती है. खासकर बुजुर्गों को इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है. खास तौर पर सुबह और शाम को बुजुर्ग घर से बाहर नहीं जाएं. धूप निकलने पर ही बाहर निकले.'' डॉ. गुप्ता ने बताया, ''स्वास्थ्य संबंधी बीमारी के लिए इनहेलर और दवाइयां कारगर है. इलाज के लिए एंटीबायोटिक नहीं दी जाती है, जब तक की तेज बुखार या अधिक कफ की शिकायत न हो.''

ऐसे करें बचाव : डॉ. गुप्ता ने बताया, ''एलर्जिक मरीज सुबह और शाम को घर से न निकले. इस समय घर के खिड़की और दरवाजे बंद रखें. सामान्य लोग भी एलर्जी से बचने के लिए मास्क का उपयोग करें.'' उन्होंने आगे बताया, ''एलर्जिक मरीज को साल में एक बार वैक्सीनेट करवाना चाहिए. इसी तरह से न्यूमोकोकल पांच साल में एक बार वैक्सीनेट होता है.'' उन्होंने बताया, ''एलर्जिक मरीजों की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है. लोगों की कार्यशैली इंडोर की बढ़ गई है. घंटों लोग बंद वातानुकुलित ऑफिस में बैठे रहते हैं, जहां सफाई रहती है, लेकिन घंटों के बाद जब ऐसे लोग खुले वातावरण में आते हैं तो वो एलर्जी के शिकार हो जाते हैं.''

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बच्चों व युवाओं में एलर्जी के ये भी हैं कारण :डॉ. गुप्ता बताते हैं कि वर्तमान में लोगों की जीवन शैली में काफी परिवर्तन आ गया है. पौष्टिक आहार की बजाय स्वाद के चक्कर में लोग ऐसा खाना खा रहे हैं, जो उन्हें बीमार बना रहा है. उन्होंने बताया कि प्रिजर्व्ड फूड, आचार, सॉस, जंक फूड, स्मोकिंग के कारण बच्चों और युवाओं में स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां अधिक हो रही हैं. इसके अलावा बच्चों और युवाओं ने आउट डोर गेम कम कर दिया है. इसी कारण उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है और वो एलर्जी के शिकार हो रहे हैं.

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