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Rajasthan : डूंगरपुर में कुपोषित बच्चों के मामले में मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, एक सप्ताह में मांगी तथ्यात्मक रिपोर्ट...

डूंगरपुर जिले में (Dungarpur News) बड़ी संख्या में कुपोषित बच्चों के सामने आने से जुड़ी मीडिया की खबरों पर राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग (Rajasthan State Human Rights Commission) ने संज्ञान लेते हुए महिला बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव और डूंगरपुर कलेक्टर से एक सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.

malnourished children in dungarpur
मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

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Published : Nov 23, 2021, 6:00 PM IST

जयपुर. आयोग अध्यक्ष जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास (Justice GK Vyas) ने हाल ही में मीडिया में प्रसारित इससे जुड़ी खबरों के आधार पर संज्ञान लिया है. इस संबंध में आयोग (Rajasthan State Human Rights Commission) की ओर से जारी आदेश में लिखा गया कि 23 नवंबर को विभिन्न मीडिया में डूंगरपुर जिले में 25,000 से अधिक बच्चे कुपोषित, जिसमें 29 बच्चे अति कुपोषित पाए जाने की खबरें चली हैं.

आयोग ने लिखा कि डूंगरपुर में 2017 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होने के बावजूद इस वर्ष 25000 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं और वर्ष 2020 में डूंगरपुर में 3565 बच्चे कुपोषित पाए गए थे. आयोग ने कहा कि प्रसारित खबरों में यह भी बताया गया कि 6 माह में 5 वर्ष तक के बच्चों का नामांकन कर उन्हें पोषाहार दिया जाता है, जिसमें बच्चों को गर्म और पैकिंग पोषाहार के अतिरिक्त दूध भी दिया जा रहा है. सरकार द्वारा कुपोषण (Malnutrition) को दूर करने के लिए कई कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. इसमें लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं, लेकिन कुपोषण की स्थिति जस की तस बनी हुई है.

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आयोग ने निम्न बिंदुओं पर विभाग की प्रमुख सचिव डूंगरपुर कलेक्टर से जवाब मांगा है...

1. महिला एवं बाल विकास विकास विभाग द्वारा क्या-क्या स्कीम कुपोषण को दूर करने के लिए चालाई जा रही है.

2. पिछले पांच वर्ष से आज दिनांक तक कुपोषण से कितने बच्चों की मृत्यु हुई है तथा पिछले पांच वर्ष में कितने बच्चे स्वस्थ हुए.

3. कुपोषण के शिकार होने वाले बच्चों के परिवार किस आय वर्ग के हैं, जिससे उनके बच्चे कुपोषण का शिकार हुए हैं.

4. कुपोषित बच्चों को एवं उनके परिवार को अब तक क्या-क्या सहायता प्रदान की गई है.

5. कुपोषित बच्चों को जो भोजन और दूध इत्यादि दिया जाता है, वह किस गुणवत्ता का है और कितना कितना, कितने-कितने समय में दिया जाता है.

अयोग ने 29 नवंबर तक तथ्यात्मक रिपोर्ट पेट करने के निर्देश दिए हैं.

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