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MP Seat Scan Ujjain South: बाबा की नगरी में बीजेपी का सुरक्षित गढ है उज्जैन दक्षिण, इस चुनाव में सीट बचाने की चिंता

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 3, 2023, 5:49 PM IST

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे उज्जैन जिले की दक्षिण सीट के बारे में. उज्जैन की दक्षिण सीट पर 20 सालों से बीजेपी का कब्जा है. इस बार चुनाव में कांग्रेस जी तोड़ कोशिश कर रही है, कि वह बीजेपी को हराकर अपना विधायक बना सके.

MP Seat Scan Ujjain South
एमपी सीट स्कैन दक्षिण

भोपाल।मध्य प्रदेश में उज्जैन को बाबा महाकाल की नगरी कहा जाता है, वे ही यहां के राजाधिराज हैं. बाबा महाकाल के दर पर लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकमानाएं लेकर पहुंचते हैं. अपार आस्था का केन्द्र उज्जैन राजनीति का केन्द्र भी रहती है. कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों के ही यहां से अपना चुनावी शंखनाद करते आए हैं. चुनावी नजरिए से देखें तो उज्जैन शहर दो विधानसभाओं उत्तर और दक्षिण उज्जैन में बंटा है और दोनों ही विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस पिछले 20 सालों से वापसी को तरस रही है. इन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस 1998 के बाद से कभी वापसी नहीं कर पाई. इसकी एक वजह पार्टी की अंदरूनी कलह भी रही है. हालांकि इस बार महाकाल लोक में भ्रष्टाचार का मुद्दा कांग्रेस ने खूब उठाया, लेकिन क्या इस मुद्दे के बूते कांग्रेस स्थानीय मतदाताओं का मत बदल पाएगी यह एक बड़ा सवाल है.

उज्जैन दक्षिण के मतदाता

उज्जैन दक्षिण में बीजेपी को सीट बचाने की चिंता:उज्जैन दक्षिण विधानसभा उज्जैन जिले की 7 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. इस विधानसभा सीट पर 1957 से लेकर अब तक 14 विधानसभा चुनाव हुए हैं. इसमें से 8 बार बीजेपी और 6 बार कांग्रेस जीत दर्ज कर चुकी है. 1985 तक इस सीट पर कांग्रेस की स्थिति बेहद मजबूत रही, लेकिन इसके बाद यह बीजेपी का गढ़ बन गया. 1990 से 2018 के बीच हुए 7 विधानसभा चुनाव में से सिर्फ 1 बार ही कांग्रेस यहां से जीत दर्ज कर सकी. पिछले दो चुनावों से इस सीट से बीजेपी के डॉ. मोहन यादव चुनाव जीतते आ रहे हैं, जो प्रदेश की शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री भी हैं.

उज्जैन सीट का रिपोर्ट कार्ड
साल 2018 का रिजल्ट

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

उज्जैन दक्षिण सीट का जातीय समीकरण

कांग्रेस टिकट के पहले समन्वय में जुटी:बीजेपी से इस बार भी डॉ. मोहन यादव की दावेदारी मजबूत है. इसके अलावा पूर्व नगर अध्यक्ष इकबाल सिंह गांधी, युवा नेता भानु भदौरिया भी दावेदारी कर रहे हैं. वहीं इस सीट को हथियाने के लिए कांग्रेस चुनाव के पहले स्थानीय नेताओं के बीच समन्वय बनाने में जुटी है. पिछले चुनावों में यहां कांग्रेस की हार एक वजह अंदरूनी कलह भी रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी से बगावत कर निर्दलीय उतरे जय सिंह दरबार ने 19 हजार 560 वोट काटे थे. नुकसान कांग्रेस का हुआ और बीजेपी उम्मीदवार जीत गए. इस सीट पर जीत-हार का अंतर 18960 वोटों का रहा था. इस बार कांग्रेस से चेतन यादव, अजीत सिंह ठाकुर, भरत पोरवाल सहित कई नेता दावेदारी जता रहे हैं.

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