टीकमगढ़। पितृ पक्ष के आखिरी दिन और शनिश्चरी अमावस्या के मौके पर जिले के प्रमुख जलाशयों और घाटों पर काफी भीड़ देखने को मिली. लोगों ने घाटों पर विधि-विधान से पितरों को जल का तर्पण किया.
पितृपक्ष अमावस्या पर पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण, घाटों पर लगी लोगों की भीड़
अमावस्या के मौके पर सुबह से ही जिले के प्रमुख जलाशयों और धार्मिक घाटों पर लोगों की भीड़ लगी रही. पितृ पक्ष के आखिरी दिन लोगों ने पूर्वजों की पूजा-अर्चना कर उन्हें विदाई दी.
हिन्दू धर्म में श्राद्ध और पूजा का बड़ा महत्व है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के नाम पर पूजा-अर्चना कर उनका श्राद्ध करवाते हैं, ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके. इस बार अमावस्या शनिवार को होने से इसका और भी महत्व बढ़ जाता है. इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है. इस मौके पर लोगों ने अपने पूर्वजों को याद कर उनका पिंडदान किया और ब्राह्मणों को भोजन करवाया.
अमावस्या के मौके पर जिले के कई धार्मिक घाटों पर पहुंचकर अपने पूर्वजों का पिंडदान किया गया. पुराणों के अनुसार पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलता है, भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक ये होता है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की पूजा-अर्चना करते हैं और फिर अमावस्या को उनका पिंडदान कर उन्हें विदा कर देते हैं.
Body:वाइट/01 पंडित राजेन्द्र दुबे कुंडेश्वर
वाइट् /02 हरिशंकर चौबे कुंडेश्वर
वाइस ओबर / टीकमगढ़ जिले में जलाशयों पर लोगो की काफी भीड़ रही और घाटों पर पंडितों ने पितृ देवो की बिधि बिधान से बिदाई करवाई गई क्योकि आज पितृ मोक्ष अमाबस्या है !आज के दिन सभी पितृ यमलोक को रवाना होते है !साल में एक बार पित्रो का समय होता है !सितंबर माह में यह 16 दिन का समय पित्रो का होता है !जिसमे सभी पितृ अपने अपने पोत्र ओर प्रपौत्र से भोजन और जल लेने आते है !इस दोरान सभी लोग सुबह से ही जलाशयों में अपने अपने पित्रो को जल का तर्पण करते है !जिसमे चावल और काला तिल और जवा लेकर कुसा से तीन दिशाओं में जल का तर्पण किया जाता है !दक्षिण दिशा में पितृ देवो के नाम से जल का तर्पण कर प्यासे पित्रो को पानी दिया जाता है !और उत्तर दिशा में ऋषि मुनियों को जल का तर्पण किया जाता है !और पूर्व दिशा में सूर्य भगवान को जल दिया जाता है !हाथों में कांश की मुद्रिका पहिनकर तभी जल का तर्पण करना सुभ माना जाता है !फिर इसके बाद घर पर जाकर अपने अपने पितृ देवो का पुजन कर उनको भोजन करवाये जाते है जिसमे 5 स्थानों पर पत्तों पर भोजन रखा जाता है और सभी रूप में पितृ आकर भोजन करते है !जिसमे कौया , गाय, कुत्ता, ओर कन्या के नाम पर यह भोजन दिए जाते है !और सभी रूपो में आकर पितृ देव यह भोजन करने आते है और अपने पोत्र ओर प्रपौत्रों को आशीर्वाद देकर जाते है और जो अपने पित्रो को जल का तर्पण नही करता और भोजन नही खिलाता उसके पित्र देव उनको श्राप देकर जाते है
Conclusion:टीकमगढ़ हिन्दू धर्म मे श्राद के वाद पितरों की पूजा का बड़ा महत्व होता है!और पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए उन्हें साल में एक बार जल का तर्पण किया जाता है और पिंड दान कर श्राद्ध कर ब्राम्हणों को भोजन करवाया जाता है बेसे इस बार शनि अमाबस्या पड़ने पर इसका बड़ा महत्व होता है !आज सभी ने 16 दिनों तक अपने पितरों को जल तर्पण कर ओर भोजन करवाकर आज बिधि बिधान के साथ अपने अपने पितरों का मुंह खट्टा मीठा कर सम्मान बिदाई की गई विद्वान पंडितों के द्वारा जिस दौरान जिले के सभी नदियो ओर जलाशयों पर काफी भीड़ रही और लोगो ने अपने पितरों की बिदाई कर उनको यमलोक के लिए बिदा किया गया