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National Sports Day एमपी की कराटे चैंपियन, मैच दर मैच गोल्ड जीतकर बना रहीं अलग पहचान, जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप खेलने जाएगी तुर्की

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Published : Aug 29, 2022, 12:23 PM IST

National Sports Day 2022

शहडोल जिले की कराटे चैंपियन आरती तिवारी का चयन जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए हुआ है. वह अक्टूबर में खेलने के लिए तुर्की जाएंगी. आरती अब तक 6 गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी हैं. वह जिस तरह का प्रदर्शन कर रही हैं उसे देखकर इन्हें भविष्य का स्टार कहा जा सकता है.National Sports Day 2022, Shahdol karate Champion, Aarti Tiwari won 6 gold Medals

शहडोल। कोई भी खिलाड़ी जब सफलता की ऊंचाइयों को छू लेता है, तो उसके पीछे संघर्ष की एक बड़ी कहानी होती है. जिसे सुनने के बाद हर कोई हैरान हो जाता है. इन खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानी कई लोगों के लिए बड़ी प्रेरणा स्रोत भी बन जाती हैं. आज बात एक ऐसे ही उभरते युवा कराटे चैंपियन आरती तिवारी की है, जो टूर्नामेंट दर टूर्नामेंट गोल्ड मेडल जीत रही है इस सपने के साथ की आगे उसे ओलंपिक खेलना है और कराटे में भारत को मेडल दिलाना है. आरती अक्टूबर में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप खेलने के लिए तुर्की भी जाने वाली हैं.

6 गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी हैं आरती तिवारी

कराटे में इस युवा चैंपियन का तोड़ नहीं:खेल की बात हो और शहडोल जिले का नाम ना आए ऐसा भला हो सकता है क्या. शहडोल जिले की क्रिकेटर पूजा वस्त्रकार वर्ल्ड क्रिकेट में अपनी धमक दिखा रही हैं. शहडोल जिले के ही हिमांशु मंत्री मध्य प्रदेश की रणजी टीम के चैंपियन खिलाड़ी हैं. शहडोल जिले का विचारपुर ऐसा गांव है जहां हर दूसरे घर में आपको फुटबॉल के नेशनल खिलाड़ी मिल जाएंगे. शहडोल जिले की ही कराटे खिलाड़ी हैं आरती तिवारी जो इन दिनों अपने खेल से सभी को चौंका रही हैं. मेडल दर मेडल जीतकर अपने कद को तो बढ़ाती ही जा रही हैं, साथ ही जिले का नाम भी लगातार रोशन कर रही हैं. आरती तिवारी शहडोल जिले के गोरतरा गांव की रहने वाली हैं जो जिला मुख्यालय से महज कुछ ही किलोमीटर दूर है.

कराटे चैंपियन आरती तिवारी

जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए चयन:शुरुआत से ही कराटे के गुर सिखाने वाले उनके कोच रामकिशोर चौरसिया बताते हैं कि ''कराटे खिलाड़ी आरती तिवारी हाल ही में तुर्की में होने वाले जूनियर वर्ल्ड कप के लिए सिलेक्ट हो चुकी है. वह अक्टूबर महीने के फर्स्ट वीक में तुर्की जाएंगी. जहां वो जूनियर कराटे वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगी, और वहां उनसे फिर से गोल्ड मेडल की उम्मीद होगी''. आरती तिवारी अभी जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए साईं सेंटर जबलपुर में 1 महीने के कैंप में ट्रेनिंग कर रही हैं.

अपने परिवार के साथ आरती तिवारी

कराटे चैंपियन की कामयाबी:हाल ही में आरती तिवारी ने पुणे में नेशनल गोल्ड मेडल जीतकर जमकर वाह वाही बटोरी. कराटे खिलाड़ी आरती ने ये कमाल जूनियर कैटेगरी 47 से 53 किलोग्राम में किया. दिल्ली में आयोजित हुए ऑल इंडिया इंडिपेंडेंस कप में भी उन्होंने गोल्ड मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की है. आरती तिवारी के कराटे के सफर पर नजर डालें तो वैसे तो ये कराटे चैंपियन कई टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं, लेकिन उनके बड़े टूर्नामेंट के आंकड़े को देखें तो आरती तिवारी अबतक लगभग 7 नेशनल में खेल चुकी हैं जिसमें से 6 में गोल्ड मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की है.

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एक दिन ओलंपिक में गोल्ड जीतेगी:आरती तिवारी के शुरुआती कोच रामकिशोर चौरसिया को पूरी उम्मीद है कि जिस लय और गति से आरती तिवारी कराटे में आगे बढ़ रही हैं और गोल्ड पर गोल्ड जीत रही हैं, आने वाले वक्त में वह भारत के लिए कराटे में एक बड़ी उम्मीद बनकर उभरेंगी. उसे बराबर मौका मिलता रहा, कोई रुकावट नहीं आई तो वह दिन दूर नहीं जब ओलंपिक में भी देश के लिए कराटे में आरती तिवारी मेडल लेकर आएगी.

अभी बहुत कुछ करना है:अपने इस खेल को लेकर आरती तिवारी कहती हैं कि ''वह तो बस मेहनत करना जानती हैं. 12 साल की उम्र से वह कराटे खेल रही हैं और इस खेल में उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. कराटे को लेकर उनके अंदर अलग तरह का जुनून है, जिसके लिए वह कितनी भी मेहनत कर सकती है. उसका अब बस एक ही सपना है कि देश के लिए वह कराटे में मेडल लेकर आएं, तभी वो सही सफलता कहलाएगी''.

पिता को बेटी के खेल पर भरोसा:आरती तिवारी को लेकर उनके पिता कहते हैं कि ''आरती 12 साल की थी तब से उसने कराटे के खेल में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. वह गांव से हर दिन 8 किलोमीटर साइकिल चलाकर कराटे के लिए ट्रेनिंग करने जाती थी. कई साल तक साइकिल से पहले सुबह ट्रेनिंग करने जाती फिर लौट कर स्कूल जाती थी. 2 घंटे रेस्ट करती और फिर शाम को ट्रेनिंग करने निकल जाती. इस तरह से लगभग 40 किलोमीटर वह हर दिन साइकिल चलाती और कराटे की ट्रेनिंग करती''. कई साल तक इस रूटीन को मेंटेन रखना यह खिलाड़ी के जुनून को ही दिखाता है. उसके पिता कहते हैं कि ''आरती की लगन को देखते हुए उन्होंने कभी उसके खेल के आगे रुकावट बनने की कोशिश नहीं की. भले ही आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी लेकिन उनसे जितना सहयोग हो पाता है बेटी के लिए करते थे. उन्हें भी इस खेल में अपनी बेटी से बहुत उम्मीदें हैं''.
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