रीवा। ऑनलाइन बाजार ने जहां ग्राहकों की खरीददारी आसान कर दी है वहीं स्थानीय दुकानदारों का काम ठप्प होता जा रहा है. त्योहारों में जहां पहले दुकानों में रौनक देखने को मिलती थी वह अब ऑनलाइन सेल में कहीं गुम हो गई है, जिसके कारण व्यापारी परेशान हैं और सरकार से इन्हे बंद करने की अपील कर रहे हैं.
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि अब बाजार का दौर पहले जैसा नहीं रह गया. एक तो मंदी का दौर चल रहा है, जिसने लोगों की जेबों को काट रखा है. वहीं दूसरी ओर यह ऑनलाइन कंपनियां स्थानीय व्यापारियों की दुकानों पर हाथ डाल रही हैं, जिसके कारण अब धंधा करना भी मुश्किल हो चला है.
व्यापारियों ने ऑनलाइन कंपनियों के प्रति आक्रोश जागृत करते हुए कहा कि यह कंपनियां छोटे-मोटे ऑफर देकर लोगों को लुभा लेती, जिसके कारण रोज के ग्राहक अब ऑनलाइन की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
Body:इस दिवाली जब ईटीवी भारत ने रीवा के स्थानीय व्यापारियों की राय जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि अब बाजार का दौर पहले जैसा नहीं रह गया एक तो मंदी का दौर चल रहा है जिसने लोगों की जेबों को काट रखा है वहीं दूसरी ओर यह ऑनलाइन कंपनियां स्थानीय व्यापारियों की दुकानों पर हाथ डाल रही हैं जिसके कारण अब धंधा करना भी मुश्किल हो चला है।
व्यापारियों ने ऑनलाइन कंपनियों के प्रति आक्रोश जागृत करते हुए कहा कि यह कंपनियां छोटे-मोटे ऑफर देकर लोगों को लुभा लेती जिसके कारण हमारे रोज के ग्राहक अब ऑनलाइन की तरफ बढ़ चले हैं हम लोग पैसे लगाकर खरीददारी करके सामान लेकर बाजार में बेचने आते हैं लेकिन इन कंपनियों के कारण हमारा व्यवसाय लगता है बंद हो चला है।
चाहे कपड़े व्यापारी हूं या फिर इलेक्ट्रॉनिक सामान के व्यापारी इन कंपनियों के खिलाफ सरकार से गुहार लगाने को मजबूर हैं और बारंबार यह निवेदन कर रहे हैं कि ऐसे कंपनियों के खिलाफ सरकार कोई ना कोई कदम जरूर उठाएं जिससे कि हम व्यापारियों का रोजगार भी चलता रहे अब तो हालात ऐसे बन गए हैं कि कभी-कभी दुकानों का किराया भी निकालने पर मुश्किल पड़ जाती है और इस दिवाली तो मानो ग्रहण लग गया है बाजार एकदम से खाली पढ़ चुके हैं वह पहले जैसी रौनक दिवाली जैसे त्योहारों में देखने को मिल तक नहीं रही है।
बाइट- व्यापारी।
बाइट- व्यापारी।
बाइट- व्यापारी।
Conclusion:....