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पुलिस में भर्ती के लिए महिलाओं को दी जा रही निशुल्क कोचिंग

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Published : Feb 16, 2021, 9:02 PM IST

पुलिस में भर्ती होने के लिए पुलिस विभाग इन दिनों निशुल्क कोचिंग दे रही है. इस कोचिंग में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाएं भाग ले रही है.

Free coaching being given to women in training program
प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिलाओं को दी जा रही निशुल्क कोचिंग

नीमच।जिले में चल रहे पुलिस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहले घर की जिम्मेदारी फिर कुछ कर गुजरने की तमन्ना के लिए बालिका और महिला भाग ले रही हैं, इस प्रशिक्षण की खास बात यह है कि पूरे मध्यप्रदेश में मात्र नीमच में ही निशुल्क महिला बाल विकास विभाग, पुलिस व खेल विभाग द्वारा संयुक्त रूप प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

बता दें कि इस प्रशिक्षण में ऐसी महिलाओं और बालिकाओं ने भाग लिया है, जो बांछड़ा समुदाय की हैं. इनका परिवार देह व्यापार से जुड़ा हुआ है. इन कुरीतियों से दूर होकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से बांछड़ा समुदाय की महिलाएं व बालिकाएं भी कोचिंग ले रही हैं.

गरीब छात्रों को मिल रहा सबसे ज्यादा लाभ

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का सबसे ज्यादा लाभ उन गरीब बच्चों को मिल पा रहा है, जो कि पैसे के अभाव में प्रतियोगिता परीक्षा में भाग नहीं ले पाते हैं. ऐसे कई विद्यार्थी प्रतिदिन नीमच कोचिंग से लाभ ले रहे हैं. साथ ही इन्हे प्रतिदिन लिखित परीक्षा, फिजिकल ट्रेनिंग और रिटर्न आदि की तैयारी कराई जा रही है.

पुलिस अधिकारियों का प्रयास है कि पुलिस के प्रशिक्षण कार्यक्रम में जितने भी युवा भाग ले रहे हैं, सब का चयन हो. चयन के लिए एक विशेष व्यक्ति प्रतिदिन 2:00 से 5:30 तक विभिन्न सत्रों में तैयारी करवा रहे हैं. वहीं प्रशिक्षण कार्यक्रम में आने के लिए युवक-युवतियों का परिचय पत्र बनाया गया है, ताकि बस परिवहन में भी किराया न लगे.

इस बारे में प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाली मोनिका ने बताया कि उनका विवाह 2004 में हो गया था और उनका 15 वर्ष का बेटा भी है. महिला के विरुद्ध बढ़ते अपराधों के मद्देनजर पति ने उन्हें महिला पुलिस में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया और अब उनके मन में भी पुलिस में भर्ती होने का जज्बा जाग गया है.

प्रशिक्षण देने वाले शिक्षक 80% दिव्यांग

परीक्षण कार्यक्रम महिला बाल विकास के माध्यम से 1 फरवरी से शुरू हो चुका है जो कि 3 मार्च तक आयोजित होगा. प्रशिक्षण केंद्र की खास बात यह है कि जो इन बालक बालिकाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं, वह टीचर 80% दिव्यांग हैं. ऐसे में कही ने कही यह टीचर भी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं.

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