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Morena corruption मुरैना मुक्तिधाम में भ्रष्टाचार, बारिश में चिता जलाना मुश्किल, रास्ता और टीनशेड तक नहीं

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Published : Sep 23, 2022, 3:23 PM IST

MP Morena difficult to light a pyre in the rain

सरकार से लेकर बड़े धनकुबेर और नेता तक अंतिम संस्कार के स्थल मुक्तिधाम में सुविधाओं का निर्माण करवाते रहते हैं. इसके बाद भी मध्य प्रदेश के मुरैना के एक गांव में मुक्तिधाम की स्थिति इतनी दयनीय है कि अगर मूसलाधार बारिश हो रही हो तो वहां पर अंतिम संस्कार करना नामुमकिन सा हो जाता है. चिता जलना तो दूर की बात है वहां तक शव को ले जाना भी मुश्किल हो जाता है. न तो वहां टीन शेड है, न ही कोई अंतिम स्नान का साधन और न कोई चबूतरा है जिस पर शव को रखकर अंतिम क्रिया को सुचारु रूप से किया जा सके. (Morena Corruption in Muktidham)

मुरैना। मुरैना जिले के पोरसा में रूअर पंचायत का बाग पुरा गांव का मुक्तिधाम हैं. जहाँ सभी वर्गों का अंतिम संस्कार होता है. लेकिन यहाँ गांव के दबंग,रसूखदार और सरकारी सिस्टम की वजह से मुक्तिधाम तक शवों को ले जाने के लिए सुगम रास्ता है और न अंतिम संस्कार के लिए टीनशेड. इसलिए यहाँ ग्रामीण सर्दी-गर्मी, बारिश के मौसम में तिरपाल, छतरी या पेड़ की छांव में ही लकड़ी-कंडों के बीच अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं. यह कोई कल्पना नहीं बल्कि एक मुक्तिधाम की व्यथा है. जिस पर हर पांच साल में सरकारी सिस्टम ने जगह चिन्हित कर टीनशेड और चबूतरा बनाने एवं पक्का पहुंच मार्ग बनाने के लिए लाखों का बजट खर्च हुआ है. इसके बाद भी अंतिम संस्कार की समुचित व्यवस्था नहीं हो पाई है. सोचने वाली बात यह है कि यह लाखों का बजट गया तो आखिर कहां गया? (MP Morena difficult to light a pyre in the rain)

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जाने पूरा मामलाः पोरसा जनपद की रूअर पंचायत के गांव के बाग का पुरा की रहने वाली 50 वर्षीय शीलादेवी पत्नी विजय सिंह का बुधवार को कैंसर की वजह से निधन हो गया. शव देर शाम ग्वालियर से बाग का पुरा पहुंचा. शाम से ही पोरसा ब्लॉक में तेज बारिश जारी थी. ऐसे में रात का समय होने की वजह से महिला के शव को परिजन ने घर में रख लिया. अगले दिन गुरुवार को जैसे ही परिजन अंतिम संस्कार के लिए निकले तो बारिश फिर शुरू हो गई. इसकी वजह से शाम 3 बजे परिजन महिला शीलादेवी के शव को लेकर अंतिम संस्कार के लिए निकले. मुक्तिधाम तक न तो पक्का रास्ता था न पहुंच मार्ग. इसलिए शीलादेवी के शव को 4 ग्रामीण कंधों पर उठाकर निकले सुगम रास्ता ना होने की वजह से ग्रामीण खेतों के बीच भरे बारिश के पानी से ऊबड़-खाबड़ रास्ते और कीचड़-मिट्‌टी के बीच से जैसे-तैसे मुक्तिधाम पर पहुंचे. यहां पर मुक्तिधाम में टीनशेड नहीं था. ऐसे में ग्रामीणों ने आनन-फानन में टीन के पल्लड़ का इंतजाम किया. तिरपाल लेकर आए, तब कहीं जाकर मृतका का अंतिम संस्कार हो सका. मुक्तिधाम पहुँचने के दौरान कीचड़ वाले रास्ते का किसी ग्रामीण ने ये वीडियो बनाकर शोसल मिडिया पर वायरल कर दिया हैं.जिसको लेकर पूरे इलाके में रोष है. जब इसको लेकर रूअर पंचायत के सरपंच रामसेवक धानुक से चर्चा की तो उनका कहना था कि ग्रामीण क्षेत्रों में मुक्तिधाम की समस्या हमारे संज्ञान में आई है. हमने बाग का पुरा गांव के मुक्तिधाम में टीनशेड बनवाने और कच्चे रास्ते का सीमांकन कराकर पक्का रोड बनाने का प्रस्ताव बनाकर भेजा है. (MP Morena not even the way and tinshed)

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