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MP Seat Scan Bichhiya: इस विधानसभा सीट पर पुरुष वोटर्स से ज्यादा महिला मतदाता, यहां की जनसंख्या में 70% आदिवासी, गोंड और बैगा जनजाति का वर्चस्व

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 26, 2023, 9:53 PM IST

मध्यप्रदेश में चुनावी सरगर्मी तेज हैं. बीजेपी और कांग्रेस अपनी पूरी ताकत के साथ इस चुनावी रण में उतर चुकी हैं. ऐसे में ETV Bharat आपके सामने प्रदेश की हर विधानसभा सीट का विश्लेषण ला रहा है. आज बात मंडला की बिछिया विधानसभा सीट की.

MP Election 2023
बिछिया विधानसभा

मंडला.जिले की पहचान पूरे भारत में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की वजह से है, यह भारत के कुछ उन इलाकों में आता है, जहां सबसे ज्यादा टाइगर पाए जाते हैं. यहां राजनीति में दो ही टाइगर हैं, जो बिछिया विधानसभा मैं अब तक अपना वर्चस्व बनाए हुए हैं. हालांकि, इस बार ऐसा लगता है कि एक शेरनी भी मैदान में आने वाली है और परंपरागत उम्मीदवारों की जगह भारतीय जनता पार्टी ने भी एक नए चेहरे पर दांव लगाया है.

यहां कितने मतदाता:इस विधानसभा सीट पर कितने मतदाता है, इसकी जानकारी आपको दे देते हैं. यहां कुल मतदाता 2,53,160 हैं. इनमें महिला मतदाता 1,27,697 और पुरुष मतदाता की संख्या 1,25,461 है और थर्ड जेंडर मतदाता सिर्फ दो हैं. यहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से ज्यादा है.

बिछिया का कुल मतदाता



क्या है इस सीट का राजनीतिक समीकरण:जंगल की राजनीति में अपने इलाके की सुरक्षा जरूरी होती है. जैसे ही इलाके की सुरक्षा कमजोर होती है, तुरंत दूसरा प्रतिद्वंदी इलाके पर कब्जा कर लेता है. बिछिया विधानसभा की इस मौलिक रणनीति को इस इलाके के दो धुरंधर राजनेता भी जानते हैं. इनमें से एक का नाम है नारायण पट्टा और दूसरे का नाम है पंडित सिंह धुर्वे है. बीते 15 सालों की राजनीति पर यदि हम बिछिया विधानसभा की राजनीतिक स्थिति पर नजर डालें तो बिछिया विधानसभा के मतदाताओं की आदत समझ में आएगी. 2008 में नारायण पत्ता कांग्रेस से और पंडित सिंह धुर्वे भारतीय जनता पार्टी से विधानसभा के उम्मीदवार बने थे. इस विधानसभा चुनाव में नारायण पत्ता ने पंडित सिंह धुर्वे को 5000 वोटो से हरा दिया था. लेकिन 2014 में यह बाजी पलट गई. एक बार फिर नारायण और पंडित सिंह धुर्वे चुनाव मैदान में थे, लेकिन इस बार पंडित सिंह धुर्वे ने नारायण पत्ता को लगभग 18000 वोटो से हरा दिया और यह सीट भारतीय जनता पार्टी के पास चली गई.

बिछिया में हुए तीन चुनाव

2018 के चुनाव में भी परंपरागत रूप से नारायण पत्ता और पंडित सिंह धुर्वे ही चुनाव मैदान में थे, लेकिन इस बार एक बार फिर बाजी पलटी और नारायण पट्टा ने पंडित सिंह धुर्वे को 21000 वोटो से हरा दिया. अभी तक यह सीट कांग्रेस के पास है. यदि बीते तीन चुनाव का ट्रैक रिकार्ड देखा जाए तो इस बार यहां भारतीय जनता पार्टी की स्थिति ठीक होनी चाहिए. इस विधानसभा की जनता एक ही विधायक को 5 साल से ज्यादा बर्दाश्त नहीं करती. भले ही उसको दोबारा मौका मिल जाए.

2018 बिछिया विधानसभा सीट रिजल्ट

इस बार इस 15 साल की राजनीति में थोड़ा परिवर्तन हुआ है और पंडित सिंह धुर्वे की जगह भारतीय जनता पार्टी ने डॉक्टर आनंद मोहन मरावी को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. डॉ आनंद मोहन मरावी एक पढ़े-लिखे डॉक्टर हैं और इन्हें टिकट मिलने के मंत्र 15 दिन पहले ही इन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की है. हालांकि, उनके लिए यह लड़ाई आसान नहीं होगी, क्योंकि कांग्रेस भी नारायण पत्ता की जगह कौशल्या मरावी पर बाजी लगाने वाली है. कौशल्या मरावी जिला और जनपद के चुनाव अच्छे अंतर से जीतकर आई थी. कौशल्या इस इलाके की तेज तर्रार और सक्रिय कार्यकर्ता है.

बिछिया की खासियत:मंडला की बिछिया विधानसभा का जिक्र हो और कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की बात ना की जाए तो चर्चा अधूरी रह जाएगी. बिछिया विधानसभा में कान्हा के दो मुख्य गेट हैं खटिया और सरई हैं, इन्हीं दरवाजा से होकर कान्हा के जंगलों में जाया जा सकता है.

बिछिया की खासियत


कान्हा आने वाले पर्यटक बिछिया विधानसभा के बहुत से लोगों को रोजगार भी देते हैं. इसमें टूरिस्ट गाइड ,जिप्सी ड्राइवर ,होटल रिसोर्ट में काम करने वाले लोग, बाहर से आने वाले पर्यटकों को सामान बेचने वाले लोग हैं. इस तरह के बहुत से लोगों के रोजगार कान्हा नेशनल रिजर्व फॉरेस्ट की वजह से मिलते हैं. यही इस इलाके का आकर्षण का केंद्र भी है.

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बिछिया का प्राकृतिक क्षेत्र:मध्य प्रदेश के सबसे पुराने जंगलों में से कुछ जंगल मंडल के बिछिया विधानसभा में ही हैं. इसलिए इन जंगलों से जड़ी बूटियां निकल जाती हैं और न केवल आदिवासी वेदय इन जड़ी बूटियां का इस्तेमाल लोगों के इलाज में करते हैं. बल्कि इनका कलेक्शन किया जाता है और इन्हें कुछ बड़ी आयुर्वेदिक कंपनियां को बेचा भी जाता है. जनसंख्या की दृष्टि से देखा जाए तो इस इलाके में 70% से भी ज्यादा आदिवासी रहते हैं इसमें गोंड जनजाति और बैगा जनजाति के लोग शामिल हैं

बिछिया का जातीय समीकरण



बिछिया विधानसभा के मुद्दे: भले ही विधानसभा चुनाव के पार्टियों के अपने मुद्दे हो लेकिन बिछिया विधानसभा के कुछ अपनी ज़रूरतें हैं. जो यहां के विधायकों को पूरा करना चाहिए. कान्हा राष्ट्रीय उद्यान लोगों को रोजगार देने की स्थिति में है. इसके बफर जोन में भी टाइगर दिखने लगा है. ऐसी स्थिति में यहां साल भर पर्यटन कारोबार किया जा सकता है. वहीं, ज्यादातर रिसोर्ट में काम करने वाले लोग बाहरी हैं. यदि, स्थानीय स्तर पर होटल इंडस्ट्री की ट्रेनिंग आदिवासियों को दी जाए तो यहां जंगल के बीच में रोजगार की ढेर सारी संभावनाएं तलाशी जा सकती हैंं. वहीं, जिन आयुर्वेदिक जड़ी बूटी की उपज को आदिवासी सीधे बेच देते हैं. उस वन उपाजो को यदि प्रसंस्कृत करके बेचा जाए तो इस इलाके के आदिवासियों का जीवन सुधर सकता है और लोगों को शुद्ध प्राकृतिक जड़ी बूटियां मिल सकती हैं.

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