झाबुआ में 'मामा' कंधे पर गैती उठाकर चले, बोले- हलमा परंपरा है अद्भुत
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Published : Feb 26, 2023, 7:04 PM IST
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Updated : Feb 26, 2023, 7:36 PM IST
रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान झाबुआ की हलमा परंपरा में शामिल हुए, इस दौरान उन्होंने कंधे पर गैंती उठाई और एक कंटूर ट्रेंच भी खोदा. इसके अलावा सीएम ने झाबुआ की हलमा परंपरा को अद्भुत भी बताया.
झाबुआ। झाबुआ की प्राचीन परंपरा हलमा में अब ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज का हल ढूंढा जा रहा है, खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजाति समाज की इस परंपरा को अद्भुत बताते हुए पूरे प्रदेश में लागू करने की बात कही है क्योंकि इसी परंपरा को जरिया बनाकर शिवगंगा संगठन वर्ष 2007 से बारिश के पानी को जमीन में उतार कर भू-जल स्तर बढ़ाने के प्रयास में लगा है.
कंधे पर गैती लेकर उतरे शिवराज:दरअसल शिवगंगा संगठन ने रविवार को शहर से लगी हाथीपावा की पहाड़ी पर जल संरक्षण के लिए हलमा का आयोजन किया था, इसमें खास तौर पर राज्यपाल मंगू भाई पटेल के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए. करीब 11 बजे पहुंचे मुख्यमंत्री अपनी गाड़ी में से कंधे पर गैती लेकर उतरे, सबको लगा था कि वे सांकेतिक रूप से गैती चलाएंगे, लेकिन मुख्यमंत्री ने अन्य ग्रामीणों की तरह ही गैती से कंटूर ट्रेंच (जल संरचना) खोदना शुरू कर दिया. इस दौरान शिवगंगा प्रमुख महेश शर्मा ने उन्हें कुछ कहा तो मुख्यमंत्री बोले "मैं भी किसान हूं महेश जी." इसके अलावा यहां मुख्यमंत्री ने न केवल गैती से कंटूर ट्रेंच खोदा, बल्कि फावड़े से मिट्टी भी बाहर निकाली. इसके बाद कंधे पर गैती उठाए आगे तक चले और पहाड़ी के अलग-अलग हिस्से में ग्रामीणों के द्वारा बनाए जा रहे कंटूर ट्रेंच देखे. यहां उन्हें शिवगंगा प्रमुख महेश शर्मा ने पूरी स्थिति से अवगत कराया, इसके बाद पहाड़ी पर मुख्यमंत्री ने पीपल का एक पौधा भी लगाया. इस मौके पर सीएम के साथ सांसद गुमान सिंह डामोर भी मौजूद रहे.
हलमा परंपरा है अद्भुत:मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने झाबुआ की हलमा परंपरा को लेकर कहा कि "ये अद्भुत है. दुनिया को इससे सीखना चाहिए, अगर ये भाव दुनिया में आ जाए तो ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की समस्या ऐसे ही खत्म हो जाए. इसके लिए शिवगंगा का अभिनंदन हैं कि व्यक्तिगत से आगे बढ़कर आपने इस परंपरा को सामाजिक बना दिया. यह परंपरा उदाहरण है कि केवल एक व्यक्ति का कल्याण नहीं, सबका कल्याण कैसे हो. हजारों साल पहले भारत ने कहा वसुधैव कुटुंबकम्, सारी दुनिया ही एक परिवार है, उसका सबसे उत्तम कोइ उदाहरण है तो वह है हलमा परंपरा... हलमा सबको जोड़ने का काम करता है. हलमा का भाव यही है कि हमारा कोई भाई संकटग्रस्त हो जाता है, कोई काम करने में उसे देर हो जाए, खेती बाड़ी में पिछड़ जाए तो उसे पिछड़ने मत दो उसके साथ उसका काम करवाओ. जनजाति भाई , बहनों की इस परंपरा को मैं प्रणाम करता हूं. हमारे जनजाति समाज की, आदिवासी भाई बहनों की यह परंपरा यह अद्भुत परंपरा है."
पूरे MP तक जाएगी झाबुआ की हलमा परंपरा:सीएम शिवराज ने ये भी कहा कि "हाथीपावा की पहाड़ी पर वर्ष 2007 से यह अभियान प्रारंभ हुआ, सरकार की प्रतीक्षा करने की बजाए लोगों ने गैती फावड़ा उठाया. तालाब, ट्रेंच व पानी रोकने के बाकी साधन समाज ने स्वयं अपने स्तर पर जुटाए, इस दृश्य को देखकर मेरे मन में यही भाव आया कि समाज के पास भावनाएं हैं और सरकार के पास संसाधन. ये भावना और संसाधन दोनों मिल जाए तो चमत्कार किया जा सकता है, इसलिए हलमा की इस पवित्र परंपरा को पूरे मध्यप्रदेश में लेकर जाएंगे. धरती को आने वाली पीढ़ियों के रहने लायक बचने देंगे, हाथीपावा के पास महेश जी ने अपने साथियों के साथ मिलकर जो काम किया है उससे जल स्तर बढ़ने लगा. पहाड़ियां हरी भरी होने लगी, झाबुआ की तस्वीर भी बदलने लगी है."