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Jhabua Tiger Viral Video: टाइगर का वायरल वीडियो निकला फेक, वन विभाग को नहीं मिला कोई सुराग, जानें कहां का है वीडियो

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Published : Jun 15, 2023, 10:26 PM IST

रेलवे के इंजीनियर नरेश शर्मा ने सोशल मीडिया पर टाइगर का वीडियो देखकर उसे झाबुआ का बताकर वायरल किया था. वह फेक निकला है. इस मामले में वन विभाग ने इसकी जांच की, जिस पर उन्हें टाइगर का कोई सुराग नहीं मिला. (Jhabua Tiger Fake Viral Video)

Jhabua Tiger Fake Viral Video
टाइगर का वायरल वीडियो निकला फेक

टाइगर का वायरल वीडियो निकला फेक

झाबुआ।पिछले 24 घंटे के दौरान वायरल हुआ टाइगर का वीडियो पूरी तरह से फेक निकला. जांच में पता चला कि रेलवे के इंजीनियर नरेश शर्मा ने सोशल मीडिया पर यह वीडियो देखा था और उसे झाबुआ का बताकर वायरल कर दिया था. यह भी सामने आया है कि वीडियो पेंच टाइगर रिजर्व के पास शिवनी-छपरा का है और करीब पांच साल पुराना है. हालांकि इस हकीकत का पता करने से पहले वन विभाग के अधिकारियों को घंटों मशक्कत करनी पड़ी.

टाइगर का एक वीडियो वायरलः दरअसल बुधवार को एक टाइगर का एक वीडियो वायरल हुआ था, यह वीडियो निर्माणाधीन दाहोद-इंदौर रेलवे ट्रेक के अंतर्गत पिटोल कस्बे के पास के गांव पांच का नाका का बताया जा रहा था. वीडियो में टाइगर नजर आ रहा है और कुछ दूर पर एक पोकलेन भी खड़ी है. साथ ही वीडियो बनाने वाला बोल रहा है कि शेर निकला शेर. इस वीडियो को निर्माणाधीन रेलवे ट्रेक का कार्य देख रहे सब इंजीनियर नरेश शर्मा ने वन विभाग के अधिकारियों को भेज दिया. ऐसे में पूरे वन विभाग में हड़कंप मच गया.

डीएफओ ने दिआ सर्चिंग का आदेशः डीएफओ एचएस ठाकुर ने तत्काल एक टीम गठित कर आसपास के पूरे क्षेत्र में सर्चिंग करने के आदेश दे दिए. दल का प्रभारी रेंजर हरिशंकर पांडेय को बनाया गया. उनके साथ पिटोल के परिक्षेत्र सहायक बापूसिंह बिलवाल, वनरक्षक जोरावर सिंह नायक, लालसिंह, गौरव सोलंकी, इरफान खान और जुवान सिंह सेमलिया को शामिल किया गया. इस पूरी टीम ने करीब 5 घंटे तक निर्माणाधीन दाहोद-इंदौर रेलवे ट्रेक के साथ आसपास के करीब 25 किमी के हिस्से में सर्चिंग अभियान चलाया. बावड़ी फाटे से लेकर गुजरात की सीमा पर स्थित खाटापानी और पिटोल से खाटापानी तक टाइगर के पगमार्क ढूंढे गए. इसके अलावा मजदूरों और ग्रामीणों से चर्चा की गई. किसी ने भी टाइगर देखे जाने का जिक्र नहीं किया. (Jhabua Tiger Viral Video)

इस तरह पता चली वीडियो की हकीकतः जब कहीं भी टाइगर का कोई सुराग नहीं मिला तो फिर वन विभाग के अधिकारियों ने रेलवे के सब इंजीनियर नरेश शर्मा से चर्चा की कि क्या उन्होंने स्वयं ये वीडियो बनाया है या फिर कही और से उनके पास ये वीडियो आया है. इसके बाद कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए अधिकारियों को गणेश नामक उस वक्त से संपर्क करने में सफलता मिल गई, जिसने यह वीडियो अपने फेसबुक पेज पर अपलोड किया था. पता चला कि वीडियो पेंच टाइगर रिजर्व के पास शिवनी-छपरा का है और करीब पांच साल पुराना है. उस वक्त वहां भी रेलवे ट्रेक का काम चल रहा था। पुष्टि होने के बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली.

दो कारण जिससे पता चलता है कि वीडियो झाबुआ का नहीं है

  • वीडियो में जहां टाइगर चल रहा है वह पीली मिट्टी है. झाबुआ जिले में इस तरह की मिट्टी नहीं है. यहां पूरे रेलवे ट्रेक पर मुरम है.
  • झाबुआ जिले में जो रेलवे ट्रेक बन रहा है वह वीडियो की तरह अपडाउन में नहीं है.

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बिना सोचे इस तरह के वीडियो वायरल न करेंःकई बार देखने में आया है कि लोग बिना सोचे समझे कोई भी वीडियो वायरल कर देते हैं. इससे मुश्किल भी खड़ी हो सकती है. भ्रामक जानकारी का प्रसार करने पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. इसलिए सत्यता परखे बिना कोई भी तस्वीर या वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपलोड करने से बचे और किसी को भी इस तरह की गलत जानकारी शेयर न करें.

टाइगर का वीडियो शिवनी का हैःटाइगर का जो वीडियो झाबुआ जिले का बताकर वायरल किया जा रहा है. वह असल में पेंच टाइगर रिजर्व के पास शिवनी का है और काफी पुराना है. इसके बावजूद हमारे अमले ने पूरे क्षेत्र में सर्चिंग अभियान चलाया था. कही भी टाइगर का कोई सुराग नहीं मिला है. डीएफओ ने कहा कि मेरी सभी लोगों से अपील है कि इस तरह से वीडियो वायरल न करें. यदि कही भी कोई वन्य प्राणी नजर आए तो तत्काल वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दें. (Jhabua News)

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