जबलपुर। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच केन्द्रीय शासन के खाद्य आपूर्ति विभाग के उपायुक्त विश्वजीत हलधर द्वारा की गई थी. प्रदाय किये गये चावल के नमूने का परीक्षण किये जाने पर इसे मानव उपभोग के लिये अनुपयोगी पाया गया था. प्रदेश सरकार द्वारा जांच की जिम्मेदारी ईओडब्ल्यू को सौंपी गयी थी. ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद 19 अधिकारी कर्मचारी तथा राइस मिलर्स के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर प्रकरण को विवेचना में लिया गया था.
PDS के चावल घोटाले में नागरिक आपूर्ति निगम ने 2 जिला प्रबंधक और 4 गुणवत्ता निरीक्षकों को किया टर्मिनेट
बालाघाट व मंडला सहित प्रदेश के अन्य जिलों में 2 वर्ष पूर्व समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान से कस्टम मिलिंग से चावल बनाए. इसके बाद नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों व राइस मिलर्स ने करोड़ों रुपयों का अमानक स्तर का चावल (PDS rice scam) प्रदाय कर दिया. जांच के बाद 19 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गयी. नागरिक आपूर्ति निगम ने जांच के बाद अब 2 जिला प्रबंधक तथा 4 गुणवत्ता निरीक्षकों को सेवा से पृथक कर दिया है.
PDS स्कैम: सरकार के गले की हड्डी बना 350 करोड़ का धान
16 करोड़ रुपए का घोटाला :इसके बाद शासन द्वारा पूरे प्रदेश में गोदामों की जांच कराई गई थी. जिसमें भारी मात्रा में अमानक स्तर का चावल पाये गये थे. प्रकरण में दोषी पाये गये अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय आदेश जारी किये गये थे. जांच में लगभग 16 करोड़ रुपये की आर्थिक अनियमितता पाई गयी. नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा जांच में दोषी पाये गए आरके सोनी प्रभारी जिला प्रबंधक बालाघाट, मनोज श्रीवास्तव प्रभारी प्रबंधक मण्डला तथा गुणवत्ता मिश्रा मंडला एवं राकेश सेन, नागेश उपाध्याय एवं मुकेश कनेरिया की सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए गए हैं.