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Jabalpur High Court: कैथोलिक स्कूल के प्राचार्य को हाईकोर्ट से राहत, यौन उत्पीड़न मामले में मिली जमानत

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Published : Apr 14, 2023, 9:42 PM IST

जबलपुर हाईकोर्ट ने डिंडौरी के कैथोलिक स्कूल के प्राचार्य को जमानत दे दी है. प्राचार्य पर नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के चलते पास्को व जुवेनाइल एक्ट सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज था. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि पूर्व में न्यायालय में उपस्थित होकर पीडित बच्चों ने आरोपों से इंकार किया है. बच्चों ने न्यायालय को बताया कि पुलिस व बाल आयोग के सदस्य उन्हें ले गये थे. डर के कारण उन्होंने कोरे कागज पर हस्ताक्षर कर दिये थे.

Catholic school principal got bail
कैथोलिक स्कूल के प्राचार्य को हाईकोर्ट से राहत

जबलपुर।डिंडौरी के जुनवानी स्थित कैथोलिक स्कूल के प्राचार्य को हाईकोर्ट से राहत मिली है. प्राचार्य पर पास्को तथा जुवेनाइल एक्ट सहित अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज था. कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है. हाईकोर्ट जस्टिस नंदिता दुबे ने अपने आदेश में कहा है कि ''पीड़ित बच्चों ने कोर्ट में उपस्थित होकर आरोपों से इंकार किया है. दो बच्चों के अभिभावकों ने सीडब्ल्यूसी तथा पुलिस कार्यवाही के संबंध में कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक से शिकायत करने की बात कही है. एकलपीठ ने प्राचार्य को जमानत का लाभ प्रदान करते हुए कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को शिकायत पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.''

यह है पूरा मामला:डिंडौरी जिले के जुनवानी स्थित कैथोलिक स्कूल के प्राचार्य नाम सिंह यादव की तरफ से जमानत के लिए उक्त याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि 3 मार्च को मध्य प्रदेश के बाल अधिकार संरक्षण आयोग की एक टीम ने स्कूल और उसके छात्रावास का निरीक्षण किया था. टीम आठ लड़कियों को अपने साथ ले गयी थी. जिसकी सूचना उनके माता-पिता तथा छात्रावास के अधिकारियों को नहीं दी गयी थी. महिला व बाल कल्याण विभाग की शिकायत पर उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है. प्रिंसिपल को गिरफ्तारी के बाद जेल भेज दिया गया था.

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आरोपों से बच्चों का इंकार: एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि ''पूर्व में न्यायालय में उपस्थित होकर पीडित बच्चों ने आरोपों से इंकार किया है. बच्चों ने न्यायालय को बताया कि पुलिस व बाल आयोग के सदस्य उन्हें ले गये थे. डर के कारण उन्होंने कोरे कागज पर हस्ताक्षर कर दिये थे. एक बच्ची ने अपने बयान में कहा कि उनका नाम अखबारों के आने के कारण उसका बाहर तक निकलना मुश्किल हो गया है.'' सुनवाई के दौरान दो बच्चों के अभिभावक भी उपस्थित हुए थे. जिन्होंने अपने बयान में कहा कि ''बिना सूचना दिये दो दिन तक बच्चों को सेंटर में रखा गया. बच्चों से उन्हें मिलने तक नहीं दिया गया.'' इस संबंध में उन्होंने जिला कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक से शिकायत की है. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये.

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