पूरे देश में Janmashtami 2022 की सही तारीख को लेकर लोग परेशान हैं और इस पर बहस भी चल रही है. Etv Bharat Madhya Pradesh ने इसे लेकर बात की मध्य भारत के बड़े ज्योतिषाचार्यों से और जानी कि आखिर कब श्रद्दालु अष्टमी का व्रत करें तो कि फलदायी हो. साथ ही वो कौन कौन से 56 प्रकार के व्यंजन अर्पित करें भगवान को ताकि बाल गोपाल खुश हो सकें. जानें विशेषज्ञों का क्या कहना है इस बारे में. जानें मध्य भारत के ज्योतिषाचार्य शिव मल्होत्रा क्या कहते हैं जन्माष्टमी की तिथि पर साथ ही ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला से जानें 56 भोग के बारे में. How 56 bhog offer krishna, krishan ka janm kab hua, janmashtmi kab hai 2022 me, kaise kraren janmashtmi vrat
Janmashtami 2022 Date: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. क्योंकि श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में वृषभ लग्न में हुआ था. इस साल अष्टमी तिथि 18 अगस्त की रात 09:20 से शुरू होगी और 19 अगस्त को रात 10:59 तक रहेगी. एवं रोहिणी नक्षत्र 19 अगस्त रात 01:53 से प्रारंभ होगा. 18 तारीख को अष्टमी तिथि रात को प्रारंभ होगी उदया तिथि नहीं रहेगी, 19 तारीख को अष्टमी तिथि उदया तिथि रहेगी और रात 10:59 तक रहेगी. निर्णय सिंधु के अनुसार अष्टमी युक्त रोहिणी नक्षत्र अगर एक कला भी हो तो उसे जयंती मान जाएगा. (krishan ka janm kab hua) (janmashtmi kab hai 2022 me)
मध्य भारत के ज्योतिषाचार्य शिव मल्होत्रा कहते हैं कि लोगों को किसी भी सूरत में इन गणनाओं में शंका या शुबा नहीं होना चाहिए. 19 तारीख को अष्टमी तिथि उदया तिथि रहेगी लिहाजा उसे जयंती मान जाएगा.
नक्षत्रों के हिसाब से सटीक तारीख: ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों का एक विशेष महत्व होता है इसलिए 19 अगस्त को ही जन्माष्टमी व्रत एवं उत्सव मनाना उत्तम रहेगा. इस दिन लड्डू गोपाल को धनिया, पंजीरी का भोग अवश्य लगाएं. साथ ही सामर्थ्य के अनुसार आप पूरे 56 भोग का भी अर्पण कर सकते हैं. (How 56 bhog offer krishna) लेकिन अगर 56 भोल ना लगा पाएं तो कम से कम धनिया, पंजीरी हर हाल में चढाएं.
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ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला से जानें 56 भोग की कथा: भगवान श्रीकृष्ण के मथुरा के लोगों से गोवर्धन पूजा करने के लिए कहने पर देवराज इंद्र हंगामा कर दिया. उन्होने मथुरा में भारी बारिश की, गांव में बाढ़ आई. लोगों को इंद्रदेव के कोप से बचाने के लिए बाल गोपाल ने गोवर्धन पर्वत को ही अपनी छोटी उंगली से उठाया और रक्षा की. इसके बाद ही इंद्रदेव को जानकारी हुई कि जिसे वो मामूली मानने की भूल कर रहे हैं वो साक्षात परमेश्वर हैं. इस दौरान 7 दिनों तक भगवान कृष्ण ने अन्न-जल नहीं लिया था लिहाजा माता यशोदा ने उनके लिए 56 भोग बनाए. अष्टमी के दिन अपने पुत्र कृष्ण को ब्रज के लोगों के साथ 7 दिन और 8 पहर के हिसाब से 56 तरह के व्यंजनों का भोग लगाया.
ये हैं 56 भोग जिसे भगवान श्रीकृष्ण को अष्टमी पर अर्पित किया जाता है.
श्रीकृष्ण को लगने वाले 56 भोग