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कहां है पाताल लोक तक जाने वाला कुंड, इसकी तीन बूंदों से ही बुझ जाती है प्यास, 21वीं सदीं में भी अनसुलझा रहस्य

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Published : Sep 13, 2021, 3:35 PM IST

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भीम कुंड की गहराई मापने के लिए कई वैज्ञानिकों ने दिन रात एक कर दिए. लेकिन आज तक कोई भी वैज्ञानिक पता नहीं कर पाया कि आखिर भीम कुंड कितना गहरा है. क्यों इस कुंड का पानी नीला दिखाई देता है. विज्ञान के लिए आज भी ये कुंड किसी रहस्य से कम नहीं है.

छतरपुर। 21वीं सदी में भी ऐसा बहुत कुछ है, जो रहस्य बना हुआ है (Bheemkund mystery). जिसके आगे वैज्ञानिक भी नतमस्तक हो जाते हैं. ऐसा ही है भीमकुंड. पानी का ये कुंड कैसे बना, ये कितना गहरा है, इसकी कोई पुख्ता जानकारी वैज्ञानिकों के पास नहीं है. लेकिन स्थानीय लोग भीमकुंड (Bheemkund) के बारे में वो जानते हैं जो वैज्ञानिकों को हैरान करता है.

कहां है पाताल लोक तक जाने वाला कुंड

Mystery Of Bheemkund: भीमकुंड का रहस्य

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से 77 किलोमीटर और बिजावर मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर बाजना गांव है. इस गांव की पहचान है भीमकुंड (Bheemkund) . विंध्य पर्वत पर जंगल में प्राकृतिक वनों के बीच भीमकुंड सदियों से पर्यटकों (Favourite Place Of Tourists )की पसंसदीद जगह रही है. लोग यहां आकर कुंड के शीतल जल का आनंद लेते हैं. आने वाले हर पर्यटक के मन में यहां आकर एक सवाल जरूर आता है, कि ये भीमकुंड कितना गहरा है. आगे हम इसके बारे में जरूर जानेंगे.

भीमकुंड नाम से पता चलता है कि इसका पांडवों में से एक भीम (Bheem Of Mahabharat) से कोई ना कोई रिश्ता है. चलिए आपको बताते हैं क्या है भीमकुंड और क्या है इसका रहस्य.

भीम की गदा के प्रहार से बना कुंड

Mystery Of Bheemkund: भीम की गदा के प्रहार से बना कुंड

मान्यता है कि महाभारत काल में पांडव जब अज्ञातवास में थे, तो उन्होंने यहां भी समय बिताया था. यहां के लोगों का मानना है कि अज्ञातवास के समय जंगल में घूमते समय द्रोपदी को प्यास लगी, तो उन्होंने साथ चल रहे भीम (Bheem Of Mahabharat) से पानी लाने को कहा. काफी खोजबीन के बाद आस-पास कहीं पानी नहीं दिखा तो उनके भाई नकुल ने उन्हें बताया कि इस जगह पर पानी है. फिर भीम ने अपनी गदा से वहां प्रहार किया. उसी गदा के प्रहार से इस पाताली कुंड का निर्माण हुआ. इसके बाद अर्जुन ने तीर चलाकर यहां तक पहुंचने का रास्ता भी बना दिया. इस तरह ये गुफा बन गई. इसी कुंड भीमकुंड (Bheemkund) कहा जाने लगा.

कोई नहीं नाप सका भीमकुंड की गहराई

Mystery Of Bheemkund: कोई नहीं नाप सका भीमकुंड की गहराई

जिस तरह से यहां चट्टानों के बीच गुफाएं (Caves) बनी हुई हैं, उससे लगता है कि यहां पांडव (Pandawas) रहे होंगे. गुफाओं की चट्टानें गोल आकार में हैं. ऐसा लगता है कि इन्हें काटकर इस आकार में बनाया गया है. इन्हीं चट्टानों के बीच गोलाकार विशाल छेद है. लेकिन ऊपर से देखने पर ये गदा नुमा आकार में दिखाई देता है. यहां से सूर्य की किरणें इस जल कुंड पर पड़ती है तो यहां पर पानी सतरंगी और चमकीला दिखाई पड़ता है.जलकुंड के पास भोलेनाथ का शिवलिंग है. यहां रोजाना पूजा-अर्चना होती है. लोगों का कहना है कि यहां आकर उन्हें मानसिक शांति (Peace of Mind) मिलती है.

पाताल तक जाता है भीमकुंड!

Mystery Of Bheemkund: तीन बूंदों से ही बुझ जाती है प्यास!

कुंड का जल नीले रंग का और पारदर्शी दिखाई (Transparent ) देता है. कुंड में काफी गहराई तक चट्टानें, यहां डाले गए सिक्के और दूसरी कई चीजें साफ नजर आती हैं. यहां के लोग मानते हैं कि भीम कुंड से ज्यादा साफ और निर्मल पानी सिर्फ हिमालय पर ही मिल सकता है. लोग यहां का पानी भी बोतलों में भरकर अपने साथ ले जाते हैं, उनका कहना है कि ये पानी कई दिनों तक खराब नहीं होता.

तीन बूंदों से ही बुझ जाती है प्यास!

अब बात करते हैं भीमकुंड से जुड़े रहस्य (Mystery Of Bheemkund) की. कहते हैं कि इस कुंड की गहराई आज तक कोई नाप नहीं सका है. कई लोगों ने ये जानने की कोशिश की, कि आखिर भीमकुंड कितना गहरा है. लेकिन कोई सफल नहीं हो सका. जटाशंकर धाम के अभिषेक कठैल बताते हैं कि पुराने लोग ये मानते थे, कि इस कुंड की सिर्फ तीन बूंद पीने से ही प्यास बुझ जाती थी.

Mystery Of Bheemkund: 200 फीट के बाद खड़े किए हाथ

पाताली भीम कुंड से जुड़े रहस्य (Mystery Of Bheemkund) के बार में यहां के पुजारी रमेश प्रसाद पाण्डेय बताते हैं कि आज तक कोई इसकी गहराई नहीं नाप सका. टीवी चैनल वाले भी यहां आए थे. उन्होंने इस रहस्य को जानने की कोशिश की. लेकिन 200 फीट की गहराई के बाद वे भी हिम्मत हार गए. अपना बोरिया बिस्तर समेटकर वो भी चले हैं. जाते-जाते कहा कि हम फिर आएंगे, अपनी एक्सपर्ट टीम के साथ. लेकिन वो दोबारा नहीं आए.

Mystery Of Bheemkund: पाताल तक जाता है भीमकुंड!

भीम कुंड की गहराई (Depth Of Bheemkund)आज भी रहस्य बनी हुई है. इसकी गहराई कोई नहीं नाप सका. लोग मानते हैं कि जमीन के अंदर से प्रवाहित प्रबल जलधारा के कारण ये कुंड बना है. जो पाताल तक जाता है. एक बार छतरपुर जिला कलेक्टर ने कुंड को खाली कराने का आदेश दिया. लेकिन 5 दिनों तक मोटरों से पानी पानी निकालने के बाद भी भीमकुंड का पानी कम नहीं हुआ. इसके बाद प्रशासन ने भी हार मान ली और कुंड को खाली करने का काम रोक दिया.

खुद में कई रहस्य समेटे ये भीमकुंड काफी समय से रिसर्च का केन्द्र रहा है. सुनामी के वक्त कुंड में करीब 10 से 20 फीट तक ऊंची लहरें उठी थीं. जिसके बाद से यह देश- विदेश की मीडिया की सुर्खियों का केंद्र बना गया था.

Mystery Of Bheemkund: आने वाले खतरे का पहले ही दे देता है संकेत

कभी पांडवों के आश्रय स्थल रहे इस महाभारत कालीन पाताली भीमकुंड में अब संस्कृत विद्यालय चलता है. आसपास कई मंदिर भी हैं . यहां हर साल मकर संक्रांति पर आठ दिनों तक मेला लगता है. लोगों की मान्यता है कि इस कुंड में नहाने से की कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं. एक और हैरान करने वाली बात लोग यहां के बारे में बताते हैं. जब भी कई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है तो इस भीमकुंड का जल स्तर बढ़ जाता है. यानि ये पहले से ही खतरे का संकत दे देता है.

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