मध्य प्रदेश

madhya pradesh

Yogini Ekadashi 2021: आषाढ़ की पाप मुक्तिदायिनी एकादशी के नियम जानना भी जरूरी है

By

Published : Jul 4, 2021, 6:44 AM IST

Updated : Jul 4, 2021, 7:42 AM IST

आषाढ़ के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं. कुछ ऐसा योग बनता है कि पाप मुक्ति की राह निकल आती है. कुछ नियम हैं जिन्हें अपनाया जाए तो श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है.

Yogini Ekadashi 2021
योगिनी एकादशी

भोपाल। चतुर्मास में भगवान श्री हरि निद्रामग्न हो जाते हैं. और संसार को पालने का दायित्व भोले बाबा पर आ जाता है. इसलिए आषाढ़ मास को पुण्यदायी मास भी कहा जाता है. आषाढ़ के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं. पद्मपुराण के उत्तरखण्ड में इसका जिक्र है. कृष्ण एकादशी को "योगिनी" अथवा "शयनी" एकादशी भी कहा जाता है. इस व्रत कथा के वक्ता श्रीकृष्ण एवं मार्कण्डेय हैं. श्रोता युधिष्ठिर एवं हेममाली हैं। युधिष्ठिर के आग्रह पर वासुदेव जी इस कथा को कहते हैं।योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से अट्ठासी हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना पुण्य मिलता है ।

इस वर्ष योगिनी एकादशी की तिथि 04 जुलाई, दिन रविवार से प्रारम्भ हो जाएगी. इसके बाद शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार मास को लिए योग निद्रा में लीन हो जाते हैं, जिसे चतुर्मास कहते हैं. चतुर्मास में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. सभी एकादशी व्रत की तरह योगिनी एकादशी का व्रत भी भगवान विष्णु को समर्पित है परंतु इस व्रत के कुछ विशेष नियम हैं, आइए जानते हैं उसके बारे में...

योगिनी एकादशी व्रत के विशेष नियम

• योगिनी एकादशी पर सात्विक भोजन और भोग ही लगाना चाहिए

• इस दिन जो लोग व्रत नहीं भी रख रहे हों, उन्हें चावल नहीं खाना चाहिए.

• एकादशी के व्रत के दिन झूठ बोलने से परहेज करें तथा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

• इस दिन घर के किसी भी सदस्य को मांस, मदिरा आदि तामसिक भोजन से बचना चाहिए.

• एकादशी के व्रत के दिन बाल कटवाना तथा झाड़ू लगाना शुभ नहीं माना जाता है.

• योगिनी एकादशी व्रत के पारण पर ब्राह्मण को भोजन कराना या सीधा दान करने का प्रावधान है

• योगिनी एकादशी व्रत का महत्व बताते हुए स्वयं भगवान कृष्ण ने इस व्रत को 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समतुल्य माना है.

• पौराणिक कथा के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत रखने से कुष्ठ रोग से भी मुक्ति मिलती है तथा व्यक्ति को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है.

शुभ मुहुर्त

एकादशी तिथि 04 जुलाई को रात 07 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी और 05 जुलाई की रात 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगी. एकादशी व्रत पारण 06 जुलाई को सुबह 05 बजकर 29 मिनट से सुबह 08 बजकर 16 मिनट तक किया जा सकता है.

Last Updated :Jul 4, 2021, 7:42 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details