भोपाल। राज्यसभा कोटे से टिकट की आस लगाए बैठी उमा भारती को तगड़ा झटका लगा है. यही वजह है कि उमा भारती ने अब एमपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उमा भारती को उम्मीद थी कि एमपी कोटे से बीजेपी उन्हें राज्यसभा भेजेगी, लेकिन केंद्रीय मंत्री मुरुगन को बीजेपी ने मध्य प्रदेश कोटे से राज्यसभा भेजने के लिए उम्मीदवार बनाया है. उमा भारती का दर्द सामने तो आया लेकिन ये कहकर उन्होने संतोष कर लिया कि मैंने पार्टी के सामने कभी कोई बात नहीं रखी. उमा भारती ने कहा कि मुझे पार्टी की जरूरत नहीं, पार्टी को मेरी जरूरत है.
उमा भारती अपने मन की बात सामने लेकर आईं है, उन्होंने पार्टी को दो टूक संदेश दे दिया कि उनको पार्टी की जरुरत नहीं है, बल्कि आज भी भाजपा को उनकी जरुरत है. पिछले कार्यकालों का अनुभव साझा करते हुए उमा ने कहा कि उन्होंने कभी भी टिकिट या पद नहीं मांगा बल्कि पार्टी खुद बुलाकर उनको तवज्जो देती है. उमा कहती है कि कई बार तो वो निर्वाचन का चुनाव भरते वक्त गायब हो जाती और फिर पार्टी को कहना पड़ता कि पार्टी को उनकी जरुरत है.
उमा ने शिवराज सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
उमा भारती के शराबबंदी पर पहले भी दिए गए बयानों को एमपी सरकार ने तवज्जो नहीं दी, लेकिन अब उमा ने सड़कों पर उतरने का ऐलान कर सरकार में हडकंप मचा दिया है. काफी दिनों बाद उमा के चुप्पी तोड़ने को उनकी अनदेखी का असर माना जा रहा है. यही वजह है कि उमा को प्रेस कांफ्रेस कर सफाई देनी पड़ी कि उनको कभी भी पार्टी की जरुरत नहीं पड़ी, बल्कि पार्टी ने कई मौकों पर बुला बुलाकर उन्हें पद दिए.
माना जा रहा है कि उमा भारती नई जिम्मेदारी की चाह में है. लेकिन उन्हें प्रदेश कार्यकारिणी में भी जगह नहीं दी गई है. इधर गुजरात का मुख्यमंत्री बदलने के बाद पुराने नेताओं को एमपी को लेकर थोड़ी उम्मीदें भी जागी है.
2003 में दिग्विजय सिंह को दी पटखनी