मध्य प्रदेश

madhya pradesh

खासगी ट्रस्ट को लेकर सीएम ने की उच्च स्तरीय बैठक, EOW को दिए जांच के आदेश

By

Published : Oct 6, 2020, 4:47 PM IST

Updated : Oct 6, 2020, 6:07 PM IST

खासगी ट्रस्ट को लेकर हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद सीएम शिवराज ने उच्च स्तरीय बैठक की. सीएम ने बैठक में निर्णय लिया है कि इस मामले की जांच अब EOW (economic offences wing) करेगा.

EOW
ईओडब्ल्यू

भोपाल। खासगी ट्रस्ट को लेकर हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद सीएम शिवराज ने उच्च स्तरीय बैठक की. सीएम ने बैठक में निर्णय लिया है कि इस मामले की जांच अब EOW (economic offences wing) करेगा. जो भी खाद्य ट्रस्ट की संपत्ति बेची गई है, उन पर अवैध निर्माण हुआ है और खुर्द बंद करने के आरोप लगे हैं. इस मामले की जांच EOW करेगा.

खासगी ट्रस्ट पर सीएम ने दिए जांच के आदेश

उच्च स्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया है कि ट्रस्ट की संपत्ति जिन व्यक्तियों द्वारा अवैध रूप से बेची गई है, उन पर सरकार कार्रवाई की जाएगा. ट्रस्ट की संपत्तियों को वापस लेने का हर संभव प्रयास किया जाएगा. बैठक के दौरान सीएम शिवराज कहा कि खासगी ट्रस्ट की जमीनों पर जो निर्माण हुआ है, उन्हें हटाकर उनकी मूल स्थिति में पहुंचाया जाए.

मुख्य सचिव और डीजीपी सहित आला अधिकारी रहे मौजूद

सीएम शिवराज ने कहा कि ट्रस्ट की संपत्तियों को वापस लेने के लिए स्पेशल पुलिस स्क्वायड रिवेन्यू की एक टीम का गठन किया जाए. खासगी ट्रस्ट की प्रदेश समेत देशभर में 246 संपत्तियां हैं, जिसमें 138 मंदिर, 18 धर्मशालाएं, 34 घाट, 12 छतरियां और 24 बगीचे एवं कुड आदि शामिल हैं. खासगी ट्रस्ट को लेकर हुई इस बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, डीजीपी विवेक जौहरी, मुख्यमंत्री सचिवालय के ओएसडी मकरंद देउसकर और EOW के डीजी मौजूद रहे.

जीत सिंह राठौर और कैलाश तिवारी ने नहीं बेचे महल

दरअसल, हरिद्वार के कुशावर्त घाट के बाद खासगी ट्रस्ट की रामेश्वरम में 14 एकड़ से ज्यादा अलग-अलग तीन जमीन 17 साल पहले महज एक करोड़ रुपए में बिक गई. वहीं 11 एकड़ जमीन साल 2003-4 के दौरान बिकी, इसकी प्रारंभिक सूचना मिलने पर कलेक्टर ने मौके पर जाकर जमीनों की जांच की रजिस्ट्रार कार्यालय से इन जमीनों के बिकने की रजिस्ट्री निकलवाई, जिसमें पता चला कि खासगी ट्रस्ट के महल जीत सिंह राठौर और कैलाश तिवारी ने नहीं बेचे हैं. देश आजाद होने के बाद साल 1948 में विभिन्न रियासतों का भारत सरकार में विलय हुआ.

मध्यभारत में दर्ज की गई होलकर रियासत की संपत्ति

1948 में विलय के साथ ही राजाओं की संपत्ति भी शासन की संपत्ति हो गई. होलकर रियासत (Holkar State) का समूचा क्षेत्र और संपत्ति भी शासन में निहित हो गई. भारत सरकार ने होलकर रियासत की संपत्ति को मध्यभारत में दर्ज कर दिया. तब मध्यभारत सरकार के पास संसाधनों की कमी थी. जमी-जमाई व्यवस्था को ध्यान में रख एक अनुबंध किया गया और होलकर राजघराने को ही इन संपत्तियों की देखभाल की जिम्मेदारी दी गई. देशभर में फैली होलकर राजघराने की संपत्तियों के रखरखाव के लिए हर साल 2 लाख 92 हजार रुपए का शुल्क तय किया गया. यह शुल्क होलकर राजवंश के प्रतिनिधियों को दिया जाने लगा.

उषाराजे बनी खासगी ट्रस्ट की अध्यक्ष

मध्यप्रदेश राज्य के गठन तक यह व्यवस्था चलती रही. नवंबर, 1961 में मध्य प्रदेश के गठन के बाद 27 जून 1962 को खासगी देवी अहिल्याबाई होलकर चैरिटिबल ट्रस्ट बना. होलकर राज्य की धार्मिक व सांस्कृतिक संपत्ति को इस ट्रस्ट में शामिल किया गया. यशवंतराव होलकर की बेटी उषाराजे को अध्यक्ष बनाया गया. राज्य के प्रतिनिधि के रूप में कमिश्नर व केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में एक अधिकारी को ट्रस्टी नामित किया गया.

Last Updated : Oct 6, 2020, 6:07 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details