वर्ल्ड वाइल्ड फंड और लंदन की जूओलॉजिकल सोसाइटी की रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक धरती से दो तिहाई वन्य जीव खत्म हो चुके हैं. वन्य जीवों को दुनिया भर में खतरे का सामना करना पड़ रहा है . दुनिया भर के अवैध बाजारों में भारत की वनस्पति और जीव जन्तुओं की मांग लगातार जारी है. मध्यप्रदेश समेत देशभर में वन्य जीवों के अवैध व्यापार से कई प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं. इन सबके लिए जिम्मेदार हैं शिकारी.
66 फीसदी से ज्यादा वन्य जीव खत्म
वर्ल्ड वाइल्ड फंड एवं लंदन की जूओलॉजिकल सोसाइटी की रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक धरती से दो तिहाई वन्य जीव शिकारियों की भेंट चढ़ गए .इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जंगली जीव ही नही बल्कि पहाड़ों, नदियों और महासागरों में रहने वाले जीव भी शिकारियों के निशाने पर हैं . इस रिपोर्ट के मुताबिक 1970 से अब तक इन जीवों की संख्या में करीब 80 फीसदी की कमी आई है.
वन्य जीवों की तस्करी का हॉट स्पॉट
वन्य जीव तस्करी के अवैध कारोबार में भारत बड़ा हॉटस्पॉट बन कर उभरा है. बाघ और तेंदुए की खाल, उनकी हड्डी और शरीर के अन्य अंग, गैंडे के सींग, हाथी दांत, कछुए, समुद्री घोड़े, सांप का विष, नेवले के बाल, सांप की खाल, कस्तूरी मृग की कस्तूरी, भालू का पित्त और पिंजरे में रखे जाने वाले पक्षी जैसे पेराफीट ,मैना और मुनिया की तस्करी कई गुना बढ़ गई है.
पोचिंग के बढ़ते केस
वन विभाग के मुताबिक 2018 में शिकार के 346 केस दर्ज किए गए. जिनमें 21 टाइगर के शिकार के थे. 2017 में शिकार के 395 केस और 2016 में पोचिंग के 412 के दर्ज हुए.
1900 से अधिक शिकारियों की पहचान
वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने देश भर में ऐसे 1900 से ज्यादा शिकारियों की पहचान की है, जो वन्यजीवों के शिकार में शामिल हैं. देश में सबसे ज्यादा गैंडे के 239 शिकारी हैं. इसके अलावा 186 पैंगोलिन के शिकारी, 185 टाइगर के शिकारी, 170 तेंदुए के शिकारी, 134 कछुए और 37 हिरन के शिकारी हैं. चार साल में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने 1800 से ज्यादा वन्य जीवों के शव, खाल, नाखून, सींग जैसे चीजें जब्त की हैं.
मध्यप्रदेश का वन्यजीव शिकार का खराब रिकॉर्ड
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अनुसार 2019 में देश में 76 से ज्यादा टाइगर का शिकार हुआ . इनमें मध्यप्रदेश टॉप पर रहा. करीब 33 फीसदी से ज्यादा टाइगर का शिकार मध्यप्रदेश में हुआ.
टाइगर रिजर्व के बाहर टाइगर बने ज्यादा शिकार
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के मुताबिक 2019 में टाइगर के शिकार के 22 मामले सामने आए. 22 में 16 टाइगर का शिकार टाइगर रिजर्व के बाहर हुआ है. इनमें सबसे ज्यादा 8 टाइगर का शिकार मध्यप्रदेश में हुआ. एक्सपर्ट्स के मुताबिक टाइगर रिजर्व के बाहर शिकारियों के लिए शिकार करना आसान होता है, क्योंकि वहां ज्यादा निगरानी नहीं होती.
2014 के बाद से सबसे ज्यादा टाइगर MP में मारे गए
2012 से 2018 तक देशभर में 657 बाघों की मौत हुई. जिनमें 222 बाघों की मौत की वजह शिकार है. टाइगर स्टेट का खिताब रखने वाले मध्यप्रदेश की स्थिति यहां भी काफी खराब है. 2014 से देश भर में सबसे ज्यादा 159 बाघों की मौत मध्यप्रदेश में ही हुई.
ये है शिकारियों की पनाह गाह