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MP Assembly Election Podcast: एमपी के किस सीएम को लड़ना पड़ा एक साथ दो सीटों से चुनाव, जानिए राजनीति से जुड़े दिलचस्प किस्से

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 14, 2023, 5:55 PM IST

एमपी के इतिहास में कौन सा चुनाव था जब एक मुख्यमंत्री ने एक साथ दो सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया.....ऐसा क्या हुआ था कि शिवराज ने बुधनी के साथ विदिशा से भी पर्चा भरा....शिवराज विदिशा से भी चुनाव लड़ेंगे ये एलान सुषमा स्वराज के बंगले से क्यों किया गया था आखिर...आइए सुनते हैं एमपी की चुनावी राजनीति से जुड़े दिलचस्प किस्से.

ETV Bharat MP Election Podcast episode 7
एक साथ दो चुनाव लड़ने वाले CM शिवराज

एक साथ दो चुनाव लड़ने वाले CM शिवराज

भोपाल।तो एमपी के इतिहास में एक साथ दो चुनाव लड़ने वाले मुख्यमंत्री थे शिवराज.....2013 के विधानसभा चुनाव में शिवराज एक साथ दो नावों की सवारी कर रहे थे. हर तरफ यही सवाल था कि आखिर शिवराज को बुधनी के साथ विदिशा से चुनाव लड़ने की जरुरत क्यों पड़ी. वजह ये कि मध्यप्रदेश की बाकी 228 सीटों पर भी भाजपा की तरफ से नाम के ही उम्मीदवार थे. चुनाव तो शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर ही लड़ा जा रहा था. असल में विदिशा भाजपा का ऐसा गढ़ मानी जाती है कि जिसने न सिर्फ भाजपा को मजबूत जमीन दी. बल्कि भाजपा के दिग्गज नेताओं को भी ये सीट समय समय पर पनाह देती रही.

विदिशा राजनीति का अहम पड़ाव: भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर सुषमा स्वराज जैसे दिग्गजों की राजनीति में ये विदिशा अहम पड़ाव की तरह सामने आती रही. 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले तक बीजेपी के मामले में विदिशा की दिशा कभी नहीं भटकी. इस चुनाव में 46 साल बाद कांग्रेस ने बीजेपी से ये सीट छीन ली थी. खैर....फिर मुद्दे पर आते हैं सीएम शिवराज ने विदिशा और बुधनी से एक साथ चुनाव क्यों लड़ा. असल में 2008 के चुनाव में राघवजी इस सीट से चुनाव जीतते हैं. लेकिन 2013 के चुनाव में राघव जी के विवादों में घिर जाने के बाद उनका टिकट कट जाता है.

विदिशा की नाव पर सवार शिवराज: निर्विवाद चेहरे के तौर पर पार्टी की तलाश शिवराज पर आकर खत्म होती है. जो विदिशा में कमल खिलाने की गारंटी भी माने जाते हैं. पार्टी ये फैसला विधानसभा सीट बचाने भर के लिए नहीं लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लेती है. सेमीफाइनल की परफॉर्मेंस लोकसभा के फाइनल में भी काउंट की जाएगी. इसी चिंता ने शिवराज को बुधनी के साथ विदिशा की नाव पर सवार हो जाने के लिए मजबूर किया. असल में विधानसभा चुनाव में शिवराज के अलावा कोई भी उम्मीदवार होता तो तय था कि राघवजी के विरोध के बाद उसकी हालात कमजोर हो जानी थी और इसका लाभ कांग्रेस को मिलता.

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सुषमा स्वराज के निवास से ऐलान:लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज के लिए स्थिति मुश्किल हो जाती. लिहाजा पूरी रणनीति तय की गई और सुषमा स्वराज की साख को बचाए रखने शिवराज को मैदान में उतारा गया. ये भी इत्तेफाक नहीं था कि 2013 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान के विदिशा से चुनाव लड़ने का ऐलान बीजेपी मुख्यालय नहीं बल्कि सुषमा स्वराज के निवास से किया गया. पॉडकास्ट की इस सीरिज में ऐसे ही अनसुने किस्से लेकर फिर आएंगे...बने रहिए ईटीवी भारत के साथ.

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