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Kuno National Park: चीता ज्वाला के चौथे शावक की हालत स्थिर, अधिकारी बोले-गर्मी से हुई बच्चों की मौत

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Published : May 26, 2023, 1:57 PM IST

एमपी के कूनो नेशनल पार्क में चीता ज्वाला के चौथे शावक की हालत स्थिर है. हालांकि तीन बच्चों की मौत हो चुकी है. कूनो निदेशक उत्तम शर्मा का कहना है कि ''कोई बीमार जानवर कब तक जीवित रहेगा इसके बारे में कहना मुश्किल काम है.''

fourth cub of Cheetah Jwala condition is stable
चीता ज्वाला के चौथे शावक की हालत स्थिर

भोपाल, भाषा पीटीआई। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में अब तक तीन चीता शावकों की मौत हो चुकी है. वहीं चौथे शावक की हालत स्थिर बताई जा रही है. शुक्रवार को कूनो निदेशक उत्तम शर्मा ने एक सवाल के जवाब में कहा, "चौथे शावक की हालत स्थिर है. लेकिन किसी (बीमार) जानवर के जीवित रहने के बारे में बताना बहुत मुश्किल है, हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि जीवित शावक पूरी तरह स्वस्थ्य रहे. वन विभाग के एक अन्य अधिकारी ने इस शावक के तीन भाई-बहनों की मौत के लिए भीषण गर्मी को जिम्मेदार ठहराया. जब तीन शावकों की मृत्यु हुई, तो पारा 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर था, उन्होंने कहा कि ''शावक तापमान के मामले में वर्ष के प्रतिकूल समय के दौरान पैदा हुए थे.''

नामीबिया में बारिश में बच्चों को जन्म देते हैं चीते: अधिकारी ने बताया कि ''नामीबिया में चीते बारिश के मौसम की शुरुआत में अपने बच्चों को जन्म देते हैं, जिसके बाद वहां सर्दी होती है. लेकिन ज्वाला ने गर्मियों की शुरुआत में कूनो में चार शावकों को जन्म दिया.'' उन्होंने बताया कि ''अभी रातभर हुई बारिश के कारण केएनपी में मौसम खुशनुमा है.''

तीन शवकों की हो चुकी मौत: इस सप्ताह केएनपी में भारत में जन्मे तीन चीता शावकों की मौत के बाद भारत के महत्वाकांक्षी चीता जनसंख्या पुनरुद्धार कार्यक्रम को झटका लगा. ज्वाला (जिसे पहले सियाया के नाम से जाना जाता था) ने पिछले साल सितंबर में नामीबिया से स्थानांतरित होने के बाद मार्च के अंतिम सप्ताह में चार शावकों को जन्म दिया था. चार शावकों में से एक की मौत 23 मई को पार्क में हुई थी. दो अन्य शावकों की भी उसी दिन मंगलवार दोपहर मौत हो गई थी, लेकिन उनकी मौत की गुरुवार को पुष्टि की गई. गुरुवार को जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि 23 मई को पहले शावक की मौत के बाद वन विभाग की निगरानी टीम ने मादा चीता ज्वाला और उसके बाकी तीन शावकों की गतिविधियों पर नजर रखी. निगरानी दल ने 23 मई को पाया कि उसके बाकी तीन शावकों की स्थिति अच्छी नहीं थी और उन्हें बचाने का फैसला किया. तब दिन का तापमान 46-47 डिग्री सेल्सियस के आसपास था. शावक गंभीर रूप से निर्जलित पाए गए. इलाज के बावजूद दोनों शावकों को नहीं बचाया जा सका.

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तीन चीतों ने भी तोड़ा दम: तीन चीता शावकों के अलावा, दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से स्थानांतरित किए गए 20 वयस्क चीतों में से तीन की केएनपी में मौत हो गई है. जो बहुप्रचारित बड़े मांसाहारी पुनरुत्थान कार्यक्रम के भाग्य पर आक्षेप लगाते हैं. इससे पहले, ट्रांसलोकेटेड नामीबियाई चीतों में से एक साशा की 27 मार्च को गुर्दे से संबंधित बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी, और एक अन्य चीता उदय की 13 अप्रैल को मृत्यु हो गई थी. चीते दक्ष ने 9 मई को संभोग के प्रयास के दौरान एक नर के साथ हिंसक घटना में दम तोड़ दिया.

1947 के बाद भारत में पैदा हुए थे चीता शवक:ज्वाला के चार शावक 1947 में वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में आखिरी चीता के शिकार के बाद भारतीय धरती पर पैदा होने वाले पहले बच्चे थे. इस सबसे तेज भूमि पशु प्रजाति को 1952 में देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था. 17 सितंबर, 2022 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नामीबिया से लाए गए पांच मादा और तीन नर चीतों को केएनपी में बाड़ों में छोड़ दिया गया था. अन्य 12 चीतों को फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था और एक संगरोध बाड़े में रखा गया था.

(भाषा- पीटीआई)

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