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285 करोड़ का मिड-डे-मील खा गए माफिया, CM शिवराज को नहीं आई 'डकार'

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Published : Jan 28, 2021, 3:58 PM IST

Updated : Jan 28, 2021, 9:39 PM IST

285 करोड़ के सूखे राशन में गड़बड़ी सामने के बाद सरकार एक्शन मोड में है. प्रदेश के ज्यादातर जिलों से शिकायतें मिली थी कि बच्चों को घटिया क्वालिटी का राशन मिला है. सिसके बाद सरकार इसकी जांच के लिए ईओडब्ल्यू को जिम्मेदारी सौंप सकती है.

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भोपाल।मध्यप्रदेश में मिड-डे मील में स्कूली बच्चों को बंटे 285 करोड़ के सूखे राशन में गड़बड़ी सामने के बाद सरकार एक्शन मोड में है. प्रदेश के ज्यादातर जिलों से शिकायतें मिली थी कि बच्चों को घटिया क्वालिटी का राशन मिला है. स्कूल में बच्चों में आधी-अधूरी सामाग्री बांटी गई है. इसके चलते मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस की नोटशीट के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों से राशन बंटने और बच्चों तक पैकेट पहुंचने की सत्यापन रिपोर्ट मांगी गई है. शासन इस मामले में कलेक्टरों से रिपोर्ट मिलने के बाद ईओडब्ल्यू को जांच सौंपने की तैयारी है.

रिफाइण्ड सोयाबीन तेल

285 करोड़ के दाल-तेल और चिक्की बंटाने की होगी जांच

केंद्र सरकार ने कोविड-19 के कारण प्रदेश के स्कूल बंद होने पर मिड डे मिल में स्कूली बच्चों को सूखा राशन देने के निर्देश जारी किए थे. इसके लिए प्रदेश को 285 करोड़ रुपए का बजट मिला था. 65 लाख स्कूली बच्चों को तुअर दाल, सोया तेल और मूंगफली चिक्की बंटने थे. राज्य शासन के पास शिकायतें मिली है कि सामाग्री वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती गई है.

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स्कूल बंद होने के कारण होम टू होम राशन बंटा था

दरअसल कोरोना काल में प्रदेश के सभी स्कूलों में मिड डे मील व्यवस्था के तहत होम टू होम राशन बंटना था. एक व्यवस्था विकासखंड से ग्राम स्तर तक स्कूल भवनों से ही बंटने की थी. ये राशन बच्चों तक बराबर नहीं पहुंचा है. ये सारा सूखा राशन वितरण जिला पंचायत सीईओ की निगरानी में होना था, जिसमें गड़बड़ी हुई है.

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मुख्य सचिव इकबाल बैस ने मंगाई रिपोर्ट

प्रदेश के सभी 75 विकासखंड की सभी शालाओं में बंटे दाल, तेल और चिक्की का वितरण होने की सत्यापन रिपोर्ट 25 जनवरी तक बुलाई थी. स्कूल शिक्षा विभाग की उप सचिव अनुभा श्रीवास्तव ने विकासखंड स्तर और स्कूलों तक वितरण होने के सत्यापन की जानकारी के लिए सभी जिलों के कलेक्टर और जिला मिशन संचालक को प्रपत्र भेजा है. इस प्रपत्र में सभी बिन्दुओं पर जानकारी चाही गई है ताकि हर बच्चे तक सही राशन पहुंचने की स्थिति साफ हो जाएगी. रिपोर्ट में ये भी मांगा गया है कि कितने स्थानों पर किसकी मौजूदगी में (वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ) सूखा राशन बांटा गया है। ये पूछा गया है कि कितने स्कूल दर्ज है. कितने स्कूलों में सामाग्री बंटी है. इसे बांटने वाली एजेंसी ने कितने बच्चों तक राशन वितरित किया है.

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केंद्रीय भंडार को सौंपी जिम्मेदारी

शिक्षा मंत्रालय ने 12 अक्टूबर 2020 को पत्र ग्रामीण विकास विभाग को भेजते हुए यह सलाह दी कि इस काम के लिए केंद्रीय भंडार जैसे संगटन की सेवाएं ली जा सकती है. सुझाव में को-ऑपरेटिव, स्वयंसेवी संस्था, एसएजजी का जिक्र भी था. फैसला विभाग को लेना था. विभाग ने यह काम केंद्रीय भंडार (केंद्रीय कर्मचारियों की को-ऑपरेटिव) को सौंप दिया. केंद्रीय भंडार ने पहले ऑर्डर दिल्ली की सोनारतारी मल्टी स्टेट एग्रो को-ऑपरेटिव सोसायटी (सोनाको) को दिया था. सोनारतारी ने यहीं काम छत्तीसगढ़ की केके ऑटोमेटिव को सबलेट कर दिया. बाद में केंद्रीय भंडार ने सोनारतारी का ऑर्डर होल्ड कर दिया. यहीं पूरा काम निजी कंपनी केके ऑटोमेटिव को सौंप दिया गया. इस आर्डर के बाद केके ऑटोमेटिव और प्रदेश में पोषण आहार सप्लाय करने वाली कंपनियों के पार्टनरों ने एक नई कंपनी बना ली है. पोषण आहार के वितरण में गड़बड़ियों पर पहले ही प्रधानमंत्री कार्यालय नाराजगी जता चुका है.

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65 लाख बच्चों को होम टू होम राशन

लॉकडाउन में मिड डे मिल नहीं मिल पाया तो केंद्र सरकार ने अगस्त से होम टू होम (घर-घर) सूखा राशन (ड्राइ राशन) देने का फैसला लिया. इसमें तुअर दाल और सोया तेल देने का फैसला लिया गया. ये सामाग्री 1 लाख 13 हजार शालाओं में प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के चिन्हित 65 लाख 66 हजार बच्चों को वितरित होना थी. बच्चों को 73 दिन के लिए भोजन पकाने की राशि के बराबर दाल और तेल सप्लाय होना था. मिड डे मिल को लेकर जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल किया तो, मुख्यमंत्री शिवराज चुप्पी साधे नजर आए.

Last Updated : Jan 28, 2021, 9:39 PM IST

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