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Bhopal ka Tajmahal भोपाल का ताजमहल, जिसका कांच भी नहीं तोड़ पाए थे अंग्रेज, आज वक्त की मार का शिकार खूबसूरत इमारत

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Published : Aug 27, 2022, 2:04 PM IST

यह तो सभी जानते हैं कि ताजमहल आगरा में स्थित है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे की मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी एक ताजमहल है. इसे भोपाल की महिला नवाब शाहजहां बेगम ने बनवाया था. यह देखने में आगरा के ताजमहल की तरह ही खूबसूरत है. बस अंतर है कि इसे संगमरमर नहीं बल्की रेड स्टोन, गारे और चूने के मिश्रण के साथ ही अन्य खालिस देसी मटीरियल से तामीर किया गया था. मगर आज यही ताजमहल अपने रोचक इतिहास के साथ इतिहास के पन्नों में दफन होने की तैयारी करता नजर आ रहा है. एक महिला के बनाए मगर की सुंदरता और नायाब तोहफे के बारे में जाने और इसका मौजूदा हाल भी देखें. Bhopal ka Tajmahal, Pakistan sindhies Got refuge in Taj Mahal, Bhopal Archeological Monuments

Bhopal ka Tajmahal
भोपाल का ताजमहल

भोपाल। आगरा में स्थित ताजमहल ही भारत का एक मात्र ताजमहल नहीं है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी एक ताज महल है. इस महल को भोपाल की महिला नवाब शाहजहां बेगम ने बनवाया था. लेकिन उसकी खूबसूरती देख लोग उसे ताजमहल कहने लगे. यह महल 17 एकड़ से ज्यादा की जमीन पर बना है. ताजमहल में पाकिस्तान से आए सिंधियों को पनाह भी दी गई थी. लेकिन अब यह खूबसूरत ताजमहल बदतर हालत में है. (Bhopal Nawab Shahjahan Begum) (Bhopal Taj Mahal dilapidated condition) आखिर क्या है इसके पीछे की पूरी कहानी और क्यों वक्त का मारा हो गया है एक महिला नवाब की तामीर की गई कला का नायाब नमूना कहे जाने वाला ताजमहल जानते हैं. (Bhopal Archeological Monuments)

जर्जर हालत में हैं भोपाल का ताजमहल

पाकिस्तान से आए सिंधियों को ताजमहल में दी शरण:पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को 15 साल से ज्यादा समय तक ताजमहल में कमरों में शरण दी थी. भोपाल में रह रहे कई लोग इसे अभी भी याद करते हैं और कहते हैं कि यह वही ताजमहल है जिन्होंने हमारे पूर्वजों को शरण दी. 80 के दशक तक सभी को यहां से हटा दिया गया और पुरातत्व विभाग ने इसे अपने संरक्षण में ले लिया. बीते कई सालों में ताजमहल पर तीन करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके हैं, लेकिन सुधार के नाम पर कुछ भी नहीं दिख रहा, बल्कि ये खूबसूरत ताजमहल खंडहर बनता जा रहा है.

3 करोड़ खर्च फिर भी बदहाल महल: 3 साल पहले ताजमहल से लगे तीन मोहरे के पत्थर गिर गए थे. इनका दोबारा काम किया गया जो कि भोपाल स्मार्ट सिटी में जयपुर के कारीगरों से करवाया था. जब यह पुरातत्व संग्रहालय के अधीन था तो इसका रिनोवेशन कराया गया. 10 साल में पुरातत्व संग्रहालय ने इस पर करीब 3 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. World heritage Bhopal Taj Mahal

मंदिर गवाह है शरणार्थियों का:ताजमहल से लगा सिंधी समाज समुदाय का मंदिर भी है. 1952 में बना बाबा गरीब दास का बोर्ड आज भी यहां मौजूद है. सिंधी समुदाय के लोग यहां आज भी दर्शन करने मंदिर में आते हैं. यह इमारत तकरीबन 146 साल पुरानी है. इसे हेरिटेज होटल बनाने के लिए लीज निरस्त करने के बाद इंदौर की गोल्डमैन होटल्स को दोबारा सौंपा गया. इंदौर की निवेशक कंपनी को 5 करोड़ 11 लाख में इमारत 90 साल के लिए लीज पर दी गई थी. लेकिन समय सीमा में होटल नहीं बनने के कारण मार्च 2020 में लीज निरस्त कर दी गई. मामला हाईकोर्ट चला गया, हाई कोर्ट ने शासन के पास जाने के निर्देश निवेशक कंपनी को दिए. अधिकारियों के मुताबिक कोरोना के चलते यह काम नहीं हो पाया. अभी गोल्डमैन होटल एंड रिजॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का बोर्ड दरवाजे पर चस्पा है. पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर का कहना है कि कोरोना के चलते हेरिटेज होटल बनाने का काम रुक गया था.अब इस पर डीपीआर का काम चल रहा है और उसके बाद इसे हेरिटेज होटल में बदलने की कार्रवाई शुरू होगी.

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क्या इतिहास है ताजमहल का:भोपाल रियासत नवाब शाहजहां बेगम ने खुद को रहने के लिए उस का निर्माण कराया था. इस इमारत में 120 कमरे और 8 बड़े हॉल थे. जोकि बेहद खूबसूरत थे, इनमे मुगल कालीन कला दिखाई देती है. 1861 से 1901 तक यहां दावते और बैठकें भी हुआ करती थी. इसके निर्माण में 13 साल लगे यहां पर कृत्रिम झरना भी बनाया गया था. महल के दरवाजे की खासियत यह थी कि कई हाथियों की ताकत भी दरवाजे को नहीं तोड़ सकती थी.

अंग्रेज की गोली दरवाजे पर लगी, नहीं टूटा कांच:महल के दरवाजे के ऊपर जो कांच दिखाई देते हैं वह अपनी मजबूती के लिए जाने जाते हैं. यहां के लोग बताते हैं कि एक अंग्रेज को ताजमहल में अंदर जाना था. ताजमहल में जाने के लिए उससे अपना सिर झुकाने की बात की गई. क्योंकि अंग्रेज किसी के सामने सर नहीं झुकाते, इसलिए उसने गुस्से में अपनी बंदूक से कांच पर गोली चलाई, लेकिन उसके बाद भी कांच नहीं टूटा.

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