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विदेशों में भी बज रहा है संस्कृत का डंका, अमेरिका के वर्जीनिया में खुला संस्कृत भाषा का नया केंद्र, अफसोस! भारत में संकट में है भाषा

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Published : Oct 15, 2022, 3:13 PM IST

Updated : Oct 15, 2022, 4:15 PM IST

संसार में जितनी भी भाषा है, उसमें संस्कृत सबसे प्राचीन है. संस्कृत भाषा को प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का भंडार माना जाता है. अब इसी संस्कृत भाषा का डंका विदेशों में भी बज रहा है. संस्कृत भारती का नया केंद्र अब वर्जीनिया में खोला गया है. वहीं अमरिका में संस्कृत भाषा में अतिथियों का स्वागत किया जा रहा है. वहीं भारत की बात करें, जिस भाषा की जननी भारत को माना जाता है, वहीं पर उसके अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. posts of sanskrit teachers vacant in mp, new office of sanskrit language opens in virginia, welcoming guests in america in sanskrit language

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वर्जीनिया में खुला संस्कृत भाषा का नया केंद्र

भोपाल।महोदय! भगवत: अमेरिकादेशे स्वागतम् अस्ति. भारत के किसी संस्कृतभाषी विश्वविद्यालय में नहीं बल्कि अमेरिका में अगर आपका ऐसे स्वागत हो तो हैरत में पड़ जाएंगे ना आप, लेकिन वाकई दुनिया में संस्कृत का डंका इसी तरह से बज रहा है. संस्कृत के देश दुनिया में प्रचार के लिए शुरु की गई संस्था संस्कृत भारती ने अमरिका के वर्जीनिया में संस्कृत का नया कार्यालय खोला है. इसके पहले अमरिका में ही संस्कृत के 40 केन्द्रों में संस्कृत संभाषण सिखाया जा रहा है. जर्मनी में विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग है और लंदन के कई स्कूलों में संस्कृत पाठ्यक्रम का हिस्सा है. वहीं मध्यप्रदेश में ही संस्कृत अध्यापकों के पद खाली हैं. गुरुकुल सरकारी अनुदान ना मिलने से बंद हो रहे हैं. posts of sanskrit teachers vacant in mp, new office of sanskrit language opens in virginia

वर्जीनिया में नए संस्कृत केन्द्र की शुरुआत: दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत दुनिया के हर कोने तक पहुंचे, इसी कोशिश में संस्कृत भारती ने अमरिका समेत दुनिया के 21 देशों में संस्कृत भारती के केन्द्र शुरु किए. अकेले अमरिका में ही 1995 से संस्कृत भारती के केन्द्रों में कार्य शुरु हुआ. ये वो केन्द्र हैं, जहां सरल भाषा में संस्कृत संभाषण सिखाया जाता है. इसी कड़ी में वर्जीनिया में संस्कृत का नया केन्द्र शुरु किया गया है. 1981 में शुरू हुआ संस्कृत के प्रचार के लिए संस्कृत भारती आज पूरे विश्व में संस्कृत के प्रसार के लिए जाना जाता है. संस्कृत भारती कार्यकर्ता विनय सिंह राजपूत कहते हैं 21 देशों में चार गल्फ कंट्रीज भी शामिल हैं. जहां हम संस्कृत की पुस्तिकाएं भेजते हैं, लेकिन जर्मनी और लंदन दो देश हैं. जहां बाकायदा संस्कृत विभाग हैं. लंदन के विद्यालयों में पाठ्यक्रम का हिस्सा संस्कृत है. अमरिका, अफ्रीका और जर्मन ये तीन देश हैं, जहां संस्कृत को लेकर काफी रुझान है. राजपूत कहते हैं संस्कृत भारती का आग्रह तो सभी देशों में संस्कृत के प्रचार प्रसार का है, लेकिन कई देशों में उस तरह से राजकीय प्रयास दिखाई नहीं देते.

विदेशों में भी बज रहा है संस्कृत का डंका

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दुनिया में संस्कृत का डंका और भारत में: एक तरफ संस्कृत भारती के प्रयासों से दुनिया में संस्कृत का डंका बज रहा है. दूसरी तरफ भारत में संस्कृत को लेकर ये स्थिति है कि जिन महाविद्यालयों में संस्कृत को लेकर छात्रवृत्ति दी जाती थी. वहां स्कॉलरशिप बंद कर दी गई है. संस्कृत सेवक विनय सिंह राजपूत कहते हैं. संस्कृत के शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं. एमपी में ही 2016 तक दसवीं तक संस्कृत अनिवार्य थी. अब उसे भी वैकल्पिक कर दिया गया है. काशी और चित्रकूट जैसे स्थानों पर गुरुकुल बंद हो गए हैं. क्योंकि वहां उन्हें सरकारी मदद नहीं मिल पा रही है.

ट्वीट से मिली जानकारी

व्हाट्सअप ग्रुप में संस्कृत संभाषण: संस्कृत संभाषण बना रहे इसके लिए संस्कृत भारती नए-नए प्रयोग करती है. विनय बताते हैं हमारा व्हाट्सअप ग्रुप है. जिसमें हम सब संस्कृत में ही संवाद करते हैं. सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हम सब लोग संस्कृत में ही संवाद करते हैं.( posts of sanskrit teachers vacant in mp) (new office of sanskrit language opens in virginia) (welcoming guests in america in sanskrit language)

Last Updated :Oct 15, 2022, 4:15 PM IST

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