भिंड।कभी बाढ़, कभी ओलावृष्टि तो कभी सूखा से प्रभावित किसान इतनी परेशानियां झेल कर भी हर साल फसल उगाता है और देश का पेट भरता है, फिर भी किसान को अक्सर सिस्टम से मायूसी हाथ लगती है. किसानों की सरकार होने का दावा करने वाली शिवराज सरकार के दौर में भी किसान खाद के लिए परेशान हैं, कुछ ऐसा ही हाल है भिंड में जहां सरकारी नुमाइंदों के मुताबिक खाद की कमी तो नहीं है, लेकिन किसान फिर भी सोसायटी से खाली हाथ जाने को मजबूर हो रहा है.
भिंड में हर रोज सैकड़ों किसान खेतों में खड़ी फसल के लिए खाद लेने सरकारी सोसायटी और खाद वितरण केंद्रों पर पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां किसानों को घंटों इंतजार के बाद भी सिर्फ मायूसी हाथ लग रही है. किसानों ने बताया कि, पिछले कई दिनों से वे घंटों लाइन में लग रहे हैं, लेकिन कभी ड्यूटी में लगे पुलिसकर्मी लाइन को तितर-बितर कर देते हैं, तो कभी टोकन खत्म होने की बात कह दी जाती है, जिससे उन्हें यहां से खाली हाथ लौटना पड़ता है.
कर्मचारियों ने किसान के आरोप को बताया निराधार
खाद लेने पहुंचे किसानों ने सोसायटी पर खाद की कालाबाजारी कर प्राइवेट दुकानों को बेचने के आरोप लगए हैं. किसानों ने बताया कि, नियमानुसार आधार कार्ड पर 2 बोरी और किताब के साथ होने पर 5 बोरी खाद मिलने का प्रावधान है. लेकिन यहां आधार कार्ड पर एक और किताब के साथ दो से तीन बोरी खाद ही दी जा रही है. लेकिन सोसायटी कर्मचारी किसान के आरोप को निराधर बताते हैं.