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गांवों में बसती है भारत की आत्मा: सोलर विलेज 'बाचा' गांव के ग्रामीणों को राज्यपाल ने सराहा

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Published : Aug 3, 2021, 4:56 PM IST

The soul of India resides in the villages

गांवों में भारत की आत्मा बसती है, इसका आदर्श बैतूल जिले का बाचा गांव है, यहां आकर ऐसा महसूस हो रहा है जैसे मैं कुदरत की गोद में आ गया हूं. यह बातें राज्यपाल राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने सोलर विलेज 'बाचा' गांव के ग्रामीणों से कही है.

बैतूल। मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने मंगलवार को देश के पहले सोलर विलेज बैतूल जिले के ग्राम बाचा का दौरा किया, इस अवसर पर उन्होंने कहा कि देश के विकास में गांवों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, हम सबको यह तय करना चाहिए कि सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर आर्थिक उन्नति करें और सभी को लाभ दिलाने का प्रयास करें, सरकार के प्रयास पूरी तरह से तभी सफल होते हैं, जब समाज पूरा सहयोग प्रदान करे.

गांवों में बसती है भारत की आत्मा

राज्यपाल ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की

केंद्र और प्रदेश सरकार की तत्तपरता से दूरस्थ अंचलों में बसे लोगों को सभी योजनाओं का लाभ मिल रहा है, राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि पहले ग्रामीणों के लिए पैसा तो आता था, लेकिन बीच में ही गड़बड़ हो जाती थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी व्यवस्था बनाई है कि अब हर हितग्राही के बैंक खाते में सीधे राशि जमा हो रही है.

कोरोना महामारी से सबक लेकर अधिक से अधिक पौधरोपण करने की सीख देते हुए राज्यपाल ने कहा कि गांव, सड़क किनारे पौधे लगए और उन्हें पालने का संकल्प लें ताकि वे वृक्ष बनकर आने वाली पीढ़ी को प्राणवायु दे सकें. राज्यपाल ने कहा कि इस बीमारी ने कई पैसों वालों को भी बचने का मौका नहीं दिया.

स्कूल में लगाया पौधा, बच्चों को बांटे चॉकलेट

बाचा गांव के माध्यमिक स्कूल परिसर में राज्यपाल ने रूद्राक्ष के पौधे का रोपण किया और बच्चों को चॉकलेट बांटी, इसी दौरान उन्होंने स्कूली बच्चों का बैग का वितरण करते हुए उन्हें बेहतर तरीके से पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया, उन्होंने परिसर में आजीविका मिशन की महिला समूह द्वारा बनाई सामग्री का अवलोकन किया और जानकारी ली कि कैसे सामान बनता है और इससे क्या फायदा उन्हें होता है.

ग्रामीणों ने राज्यपाल का किया स्वागत

महिलाओं ने बताया कि इससे उन्हें डेढ़-दो सौ रुपये प्रतिदिन का फायदा होता है, राज्यपाल ने गांव की चौपाल पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचने पर आदिवासी परंपरा से स्वागत किया गया, इसके साथ ही राजभवन से आई टीम ने परंपरागत रूप से उनकी आगवानी की.

नसीहत भी दे गए महामहिम

कार्यक्रम के दौरान महामहिम राज्यपाल एक नसीहत भी दे गए, दरअसल बांचा के अनिल उईके ने यहां का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कई जानकारी उनके सामने रखी, जनसंपदा, भूमि संपदा, जल संपदा, वन संपदा, पशु संपदा, देवस्थान संपदा को लेकर उन्होंने विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए गांव में किए गए सोलर सिस्टम के बारे में भी जानकारी दी.

उन्होंने गांव के मूर्गे और बकरे की भी जानकारी अपने प्रतिवेदन में रखी, जब राज्यपाल के संबोधन की बारी आई तो उन्होंने कहा कि मूर्गे और बकरे की जानकारी के बजाय गांव की कितनी बेटिया पढ़ी लिखी हैं, यह जानकारी दी जाती, तो काफी बेहतर होता, राज्यपाल की इस नसीहत के बाद कुछ देर के लिए कार्यक्रम में सन्नाटा पसर गया.

शाहपुर में नवनिर्मित स्वास्थ्य भवन का निरीक्षण

बांचा से वापस लौटते समय राज्यपाल ने शाहपुर में नवनिर्मित सामुदायिक स्वास्थ्य भवन का बारीकी से मुआयना किया, उन्होंने निरीक्षण के बाद भवन की काफी सराहना की, इस दौरान उन्होंने स्वास्थ्य केन्द्र के सामने गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया, कार्यक्रम में मौजूद सीएमएचओ डॉ एकेे तिवारी ने बताया कि एक माह बाद स्वास्थ्य केन्द्र शुरू हो जाएगा, शाहपुर के बाद राज्यपाल भौंरा गेस्ट हाउस पहुंचे यहां कुछ देर रूकने के बाद तवा डैम के लिए रवाना हो जाएंगे.

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तूअर की घुघरी और कनकी का लिया स्वाद

राज्यपाल पटेल गांव के अनिल उइके के निवास पर भोजन करने पहुंचे, यहां उन्होंने भोजन में कुटकी की खीर, तुअर की घुंघरी, मक्के की रोटी, गिलकी की सब्जी और दाल-चावल खाए, इस दौरान उनके साथ सांसद दुर्गादास उइके, विधायक योगेश पंडाग्रे, मोहन नागर, बुधपाल सिंह ठाकुर, सरपंच राजेंद्र कवड़े, अनिल उइके की मां शांतिबाई उइके ने भी भोजन किया, यहां राज्यपाल ने घर में सौर ऊर्जा से चलने वाला इंडक्शन चूल्हा भी देखा और भोजन बना रही महिलाओं से चर्चा कर जाना कि वे इस पर भोजन कैसे बनाती है, इसके लिए सब्सिडी मिली क्या और इंडक्शन चूल्हे से क्या-क्या लाभ है.

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