भोपाल/रायपुर ।भगवान शिव को सावन का महीना सबसे प्रिय है. इस पावन महीने की शुरुआत 25 जुलाई 2021 से हुई है. 26 जुलाई को पहला सोमवार था. अब दूसरा सोमवार 2 अगस्त को है. महादेव को प्रिय इस महीने के दूसरे सोमवार की शुरुआत कृतिका नक्षत्र के साथ होगी. इस दिन कृष्ण पक्ष की नवमी का भी योग है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक नवमी की देवी मां दुर्गा हैं. जबकि सोमवार के देवता चंद्र हैं. तो वहीं कृतिका नक्षत्र के स्वामी सूर्य और राशि शुक्र हैं. ज्योतिष और धर्मशास्त्र के नजरिए से देखा जाए तो सोमवार 2 अगस्त को भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा अत्यंत फलदायी रहेगी.
इस दिन भगवान भोलेनाथ की अराधना और पूजा करने से भक्त पर विशेष कृपा बनी रहती है. सावन में भगवान शिव के पूजन और सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है. कहते हैं कि सावन में सोमवार को व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा से लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है और सुहागनों को अमर सुहाग प्राप्त होताा है.सावन के सोमवार के दिन भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, दूध, सफेद चंदन, अक्षत् आदि अर्पित करने का विधान है. इस दिन बेलपत्र पर सफेद चंदन से राम-राम लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने से भी भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं.
2 अगस्त को सावन का दूसरा सोमवार है. इस दिन नवमी की तिथि और कृत्तिका नक्षत्र भी है. ऐसे में जिन जातकों की जन्म कुंडली में ग्रहण का योग बन रहा है वह अगर भगवान शिव की पूजा करते हैं तो उनकी कुंडली से अशुभता का नाश हो जाएगा. भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से जातक के जीवन में आने वाले सभी दुखों, परेशानियों का अंत हो जाएगा. जातक पर सदैव महादेव की कृपा बनी रहेगी. इस दिन चंद्रमा अपनी सबसे ऊंची राशि वृषभ में होगा. यह योग ज्योतिष शास्त्र में काफी शुभ माना गया है. वृद्धि योग में होने की वजह से यह काफी कल्याणकारी भी है.
सावन के दूसरे सोमवार पर विशेष शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं.
अभिजीत : 12:19 PM to 01:11 PM
अमृत काल : 08:01 PM to 09:49 PM
ब्रह्म मुहूर्त : 04:47 AM to 05:32 AM
गोधुली मुहूर्त : 07:01 PM to 07:25 PM
कैसे करें भगवान शिव की पूजा ?
सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर स्वच्छ जल से स्नान करें.स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा घर या मंदिर जाएं, वहां भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर या फिर शिवलिंग हो तो सर्वोत्तम होगा, उसे स्वच्छ जल से धोकर साफ कर लें. फिर तांबे के लोटे या कांस्य के पात्र में जल भरें. फिर उसमें गंगा जल मिला लें.भगवान शिव का जलाभिषेक करें और उनको सफेद फूल, अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, धूप आदि अर्पित करें. प्रसाद में फल और मिठाई चढाएं.भूलकर भी भगवान शिव को तुलसी का पत्र, हल्दी और केतकी का फूल कदापि न अर्पित करें. शिवलिंग (Shivling) पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, जल और दूध अर्पित करने से से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए.