सरायकेला: 1 जनवरी 1948 को खरसावां गोलीकांड में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खरसावां शहीद स्थल पहुंचे. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शहीद बेदी पहुंचे और जवानों को श्रद्धांजलि दी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने शहीद स्मारक की परिक्रमा की और शहीदों को नमन किया. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने खरसावां शहीद दिवस के मौके पर आयोजित जनसभा को भी संबोधित किया, जहां मुख्यमंत्री ने बीजेपी की डबल इंजन सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पिछली सरकार के मुखिया ने इस पवित्र शहीद स्थल पर शहीदों का अपमान किया था. जिसका परिणाम सभी ने देखा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार ने आदिवासियों को दबाने और कुचलने की कोशिश की. पत्थलगड़ी जैसे मुद्दों पर आदिवासी समाज को लगातार अस्थिर करने का प्रयास किया गया, राज्य में अराजकता का माहौल कायम हो गया, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय आदिवासियों ने पिछली सरकार को उखाड़ फेंकने का काम किया. झारखंड अलग गठन हुए 19 सालों तक आदिवासियों का दमन और शोषण हुआ, आदिवासी को वनवाशी की संज्ञा दी जाती रही. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे ही समाज के कुछ सोरेन, मुंडा, बोदरा, बिरुवा, आदिवासी हक की तो बात करते हैं लेकिन वह अपने आका के हुकुम के गुलाम हैं.
शहादत स्थल बना आदिवासियों के लिए प्रेरणा:मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि एक जनवरी को जहां पूरा देश नये साल का जश्न मनाता है, वहीं खरसावां के लोग इस पवित्र भूमि पर पहुंचकर शहीदों को नमन करते हैं. आज खरसावां का यही स्थान आदिवासियों के लिए प्रेरणा स्थल बन गया है. आदिवासी समाज का सदियों से संघर्ष का इतिहास रहा है, इसी संघर्ष के कारण आदिवासियों ने अपनी पहचान बनाई है, आदिवासी समुदाय के लोगों का आर्थिक, सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर विकास नहीं हो सका, इसका नतीजा नीति निर्धारण करने वालों की उपेक्षा रही है. लेकिन अब सरकार पहल कर रही है.