रांचीःसदर अस्पताल हमेशा आयुष्मान भारत योजना में बेहतर परफॉरमेंस कर रही है. इस योजना से हर महीने लाखों रुपये की आमदनी अस्पताल को हो रही है. इस स्थिति में सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीज को बेहतर सुविधा मिलनी चाहिए, लेकिन सदर अस्पताल में भर्ती मरीज भगवान भरोसे हैं. महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला अस्पताल और भोपाल के सरकारी अस्पताल में हुई आग लगने की घटना के बाद रांची सदर अस्पताल का जायजा लिया गया तो यहां कई अनियमितता पाई गई.
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रांची सदर अस्पताल में लगभग 250 मरीज हमेशा भर्ती होते हैं. इनमें गंभीर बीमारी और सिजेरियन मरीज शामिल हैं, जो लाचार होते हैं. अस्पताल में आग लगने की स्थिति में खुद से बाहर निकल नहीं सकते हैं. इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से सदर अस्पताल में आग बुझाने की कोई फूलप्रूफ व्यवस्था नहीं की गई है. अस्पताल परिसर में जगह-जगह आग बुझाने की व्यवस्था की गई है, जो बहुमंजिले सदर अस्पताल के लिए पर्याप्त नहीं है.
नहीं है फायर सेफ्टी का एनओसी
सदर अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ सव्यसाची मंडल कहते हैं कि सदर अस्पताल को अग्निशमन विभाग से फायर सेफ्टी का एनओसी नहीं मिला है. फायर सेफ्टी का एनओसी मिल जाता, तो अच्छा होता. स्थिति यह है कि अब तक बिना एनओसी के ही अस्पताल फायर इंस्टिगुइशर के सहारे राम भरोसे चल रहा है.
क्यों नहीं मिला एनओसी
सदर अस्पताल में अग्निशमन विभाग की ओर से फायर फाइटिंग को लेकर नहीं पूरी तैयारी की गई है और नहीं कोई गंभीर प्रयास. अग्निशमन के अधिकारी सूत्रों ने बताया कि अब सिंगल विंडो में ऑनलाइन एनओसी के लिए आवेदन करना पड़ता है. सदर अस्पताल की ओर से ऑनलाइन आवेदन नहीं दिया गया है. इससे एनओसी नहीं दिया गया है. पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग की ओर से राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट कराने और एनओसी लेने का निर्देश दिया था. इसके बावजूद एनओसी नहीं लिया जा रहा है.