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झारखंड में अभिशाप बनता जा रहा है कुपोषण, हालात से निपटने के तरीकों पर हुआ मंथन

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Published : Jan 12, 2023, 9:23 AM IST

झारखंड में कुपोषित बच्चों (Malnourished children in Jharkhand) और एनीमिया पीड़ित महिलाओं का सर्वे कर डाटा तैयार किया जाएगा. यह जिम्मेदारी हेल्थ वर्कर्स को दी गई है.

malnourished children in Jharkhand
झारखंड में अभिशाप बनता जा रहा है कुपोषण

जानकारी देते झारखंड राज्य पोषण मिशन की महानिदेशक

रांचीः झारखंड में कुपोषित बच्चों (Malnourished children in Jharkhand) और एनीमिया पीड़ित महिलाओं का सर्वे कर पहचान करने पर जोर दिया जाएगा. यह जिम्मेदारी हेल्थ वर्कर्स को दी गई है कि उनका मेडिकल चेकअप करा कर डाटा तैयार करें. महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की ओर से राज्य अनुश्रवण क्रियान्वयन समिति की बैठक में इसपर मंथन किया गया. विभागीय सचिव कृपा नंद झा ने कहा कि झारखंड राज्य गठन के 22 वर्ष बाद भी राज्य कुपोषण की बड़ी आपदा से घिरा है. हाल में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ सर्वेक्षण 5 के अनुसार झारखंड के अधिकतर बच्चे कुपोषण से ग्रसित हैं. एनीमिया से 69 प्रतिशत बच्चे और 65 प्रतिशत महिलाएं प्रभावित हैं.

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सरकार राज्य ने कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ महाअभियान शुरू किया गया है, जिसका नाम समर अभियान है. इस अभियन का उद्देश्य अति गंभीर कुपोषण और एनेमिया से ग्रसित बच्चों और महिलाओं की पहचान कर उनका उपचार करना है. इसके साथ ही उन्हें पर्याप्त पौष्टिक भोजन उपलब्ध करना है. इस अभियान को लेकर सरकार काफी गंभीर है.

15 फरवरी 2021 को कमेटी की हुई मीटिंग में कुपोषण और एनिमिया दूर करने के लिए एक स्पेशल प्लान तैयार किया गया था. इसके तहत चतरा, लातेहार, सिमडेगा, साहिबगंज और पश्चिमी सिंहभूम में विशेष अभियान चलाया गया. इस दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स के जरिए सभी परिवारों को दो पम्पलेट दिए गये. पांचों जिलों में जांच के दौरान 16,266 बच्चे SAM यानी सिवियर एक्यूट मालन्यूट्रिशन पाए गये, जो कुल संख्या का 6 प्रतिशत था. इनमें से 63 प्रतिशत बच्चों को MTC भेजा गया. वहीं, 37 प्रतिशत बच्चों का इलाज STC में हुआ. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत SAM यानी सिवियर एक्यूट मालन्यूट्रिशन बच्चों को MTC की जरूरत पड़ती है. शेष का उपचार एसटीसी यानी स्पेशल ट्रिटमेंट सेंटर में किया जाता है.

सबसे खास बात है कि सिवियर एक्यूट मालन्यूट्रिशन से ग्रसित 48 प्रतिशत बच्चे अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं. जबकि 4 प्रतिशत बच्चे सामान्य कैटेगरी के हैं. ऐसे में जनजातीय कल्याण विभाग को न्यूट्रिशन प्रोग्राम पर फोकस करने की जरूरत है. पांच जिलों में बच्चों के कुपोषण से बाहर निकलने का प्रतिशत 57 रहा है. फिर भी 43 प्रतिशत बच्चों का डिफॉल्टर होना चिंता का विषय है. सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि पश्चिमी सिंहभूम में कुपोषित बच्चों के ठीक होने का प्रतिशत महज 24 है, जिसपर फोकस किया जा रहा है. MTC यानी माल न्यूट्रिशन ट्रिटमेंट सेंटर में इलाज के बाद ठीक हो चुके बच्चों को SAAMAR यानी Strategic Action for Alleviation of Malnutrition and Anemia Reduction से जोड़ा जाए. SAAMAR को दूसरे सात जिलों मसलन गिरिडीह, सरायकेला, पाकुड़, पूर्वी सिंहभूम, रांची, गोड्डा और गुमला में जोड़ने की जरूरत है.

झारखंड राज्य पोषण मिशन की महानिदेशक राजेश्वरी बी ने कहा कि राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों में पूरक पोषाहार कार्यक्रम के तहत बच्चों को अंडा खिलाने की भी व्यवस्था की जायेगी. बच्चों को गुणवत्तापूर्ण पोषक आहार मिले. इसको लेकर कार्ययोजना तैयार किया जा रहा है. जो बच्चे शाकाहारी हैं, उन्हें मौसमी फल वगैरह उपलब्ध कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि बच्चे, गर्भवती महिलाएं, धात्री माताओं को पूरक पोषाहार उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. बैठक में महानिदेशक ने जिलावार सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत बच्चों के वजन माप की स्थिति की समीक्षा की और आवश्यक दिशा निदेश दिये.

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