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झारखंड विधानसभा मानसून सत्रः जय श्री राम और हर-हर महादेव के नारों से गूंजा सदन, जानिए क्यों

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Published : Sep 6, 2021, 8:09 PM IST

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सदन के बाहर और भीतर बीजेपी विधायकों की ओर से खूब हंगामा किया गया. सदन में जय श्री राम और हर-हर महादेव के नारे लगाए गए. हंगामा को देखते हुए एक बार 12ः45 बजे तक सदन स्थगित करना पड़ा. लंच के बाद भी बीजेपी विधायकों का आक्रामक तेवर जारी रहा जिसके बाद मंगलवार 11 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.

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झारखंड विधानसभा मानसून सत्र

रांचीः झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन परिसर में जय श्रीराम और हर हर महादेव के नारे खूब गूंजे. सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले कुछ देर तक तो ऐसा लगा कि यह लोकतंत्र का मंदिर नहीं, बल्कि कोई हिन्दू देवी-देवता का मंदिर है. सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे बीजेपी विधायक इतने से संतुष्ठ नहीं हुए. सदन की कार्यवाही 11 बजे जैसे ही शुरू हुई, सदन में भी नारेबाजी करने लगे.

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बीजेपी विधायक सरकार की ओर से नमाज रूम आवंटन के मुद्दे पर घेरने की कोशिश करते रहे. सदन में कार्यवाही के दौरान बीजेपी विधायकों की ओर से खूब हल्ला और हंगामा किया गया. सदन के भीतर हंगामा को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12.45 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.

हंगामे के बीच अनुपूरक बजट पेश

विपक्ष के हंगामे के बीच दोपहर 12ः45 बजे से दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई. वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने सदन में चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 का 4684 करोड़ 93 लाख का पहला अनुपूरक बजट सदन के पटल पर रखा. भोजनावकाश के बाद 2ः00 बजे से सदन की कार्यवाही जैसे शुरू हुई, तो बीजेपी विधायक महंगाई के साथ साथ रोजगार पर भी बहश की मांग करने लगे.

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रिपोर्टिंग टेबल पर चढ़कर नारेबाजी

बीजेपी विधायकों ने सरकार पर कार्यमंत्रणा समिति की हुई बैठक में लिए गये निर्णय को नजरअंदाज कर सिर्फ महंगाई पर चर्चा कराने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. सदन में बीजेपी विधायक भानूप्रताप शाही, रणधीर सिंह सहित कई बीजेपी विधायक रिपोर्टिंग टेबल पर चढ़कर नारेबाजी करते दिखे. आरोप-प्रत्यारोप के साथ साथ फिर हंगामा शुरू हुआ, तो स्पीकर ने मंगलवार 11 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.

हंगामा का भेंट चढ़ा मानसून सत्र का दूसरा दिन

सदन में जोरदार हंगामा होने की वजह से ना मुख्यमंत्री प्रश्नकाल हुआ और ना ही महंगाई, रोजगार जैसे मुद्दे पर विशेष चर्चा. 9 सितंबर तक चलनेवाले इस मानसून सत्र में पांच कार्यदिवस हैं, जिसमें दो दिन बिना कोई खास उपलब्धि के बीत गए. मानसून सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले नमाज रुम का आवंटन के आदेश ने विपक्ष को बैठे बिठाये मुद्दा दे दिया है, जो फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. विपक्ष सरकार को इस मुद्दे पर छोड़ने के मूड में नहीं है. संभावना है कि मंगलवार को भी सदन के अंदर और बाहर बीजेपी विधायक हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे. वहीं, सत्ता पक्ष के नेताओं ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी को जनहित की मद्दे से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि नमाज रूम की व्यवस्था बाबूलाल के मुख्यमंत्रीत्वकाल से है. ऐसे में सदन को इस मुद्दे पर नहीं चलने देना ठीक है.

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मूल बजट में कितनी राशि हुई खर्च

आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने अनुपूरक बजट को लेकर कहा कि सरकार की ओर से अनुपूरक बजट लाना ठीक है. सदन शुरू होती है, तो अनुपूरक बजट लाया जाता है. उन्होंने कहा कि पहले मूल बजट की उपयोगिता की प्रति सदन में रखना चाहिए था, ताकि कितना खर्च हुआ और कितना राशि शेष बचा है ये पता चल सके.

अनुपूरक बजट पर नेताओं के प्रतिक्रिया

सरकार से उम्मीद करना बेइमानी

विपक्ष के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने अनुपूरक बजट पर सवाल उठाते हुए कहा कि मौजूदा सरकार से किसी भी प्रकार की उम्मीद करना बेइमानी है. उन्होंने कहा कि मूल बजट से कितना प्रतिशत काम किया गया, यह भी बताना चाहिए. 1 अप्रैल से आज तक 1 किलोमीटर भी ग्रामीण सड़कें नहीं बनी है. एक भी पुल का शिलान्यास नहीं किया गया.

परंपरा के अनुरूप लाया गया बजट

सत्तापक्ष के सचेतक मथुरा प्रसाद महतो ने कहा कि अनुपूरक बजट लाने की परंपरा रही है. हेमंत सरकार भी अनुपूरक बजट सदन में रखी है. उन्होंने कहा कि सदन में जिस तरीके से विपक्ष हंगामा कर रही है. इससे बीजेपी की मंशा समझा जा सकता है.

स्वास्थ्य और ग्रामीण सड़कों पर खर्च करने की जरूरत

वामदल के विधायक विनोद सिंह ने कहा कि अनुपूरक बजट की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जितनी डिमांड है, उतनी राशि अनुपूरक बजट भी पूर्ति नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि अभी स्वास्थ्य और ग्रामीण सड़क पर बड़ी राशि खर्च करने की जरूरत है.

नए नियोजन नीति में हिंदी, संस्कृत और भोजपुरी जोड़ने की मांग

बीजेपी विधायक शशिभूषण मेहता ने नए नियोजन नीति में हिंदी, संस्कृत, भोजपुरी, अंगिका, मगही को शामिल करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उर्दू सिर्फ मदरसा में पढ़ाई होती है. झारखंड में 99.9 प्रतिशत बच्चे हिंदी, संस्कृत और भोजपुरी पढ़ने वाले हैं. उन्होंने सरकार से मांग कि है कि इस भाषा को जल्द से जल्द पाठ्यक्रम में जोड़ा जाए. विधायक शशिभूषण मेहता के बयान के बाद कांग्रेस के विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि उर्दू कोई क्षेत्रीय भाषा नहीं है. उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि यदि किसी को लेकर आपत्ति है तो राज्य सरकार और सदन में इसका सुधार देना चाहिए.

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