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अब भारत में हो सकेगी सेमी क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग, रांची के मेकॉन में तैयार डिजाइन पर जल्द होगा काम शुरू

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Published : Dec 16, 2020, 7:02 PM IST

Updated : Dec 16, 2020, 8:50 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो की कामयाबी की फेहरिस्त में एक और उपलब्धि जुड़ने वाली है. इस उपलब्धि में अहम भूमिका निभा रहा है रांची में स्थापित केंद्र सरकार का उपक्रम मेकॉन. जिसने सेमी क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग फैसिलिटी का डिजाइन तैयार कर लिया है और बहुत जल्द इंजन की टेस्टिंग भी शुरू हो जाएगी. इससे पहले सेमी क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग रूस या यूक्रेन जैसे देशों में होती थी. इसके बदले मोटी रकम देनी पड़ती थी. सबकुछ प्लान के मुताबिक रहा तो कुछ माह के भीतर भारत इस मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा.

indian Semi cryogenic engine
रांची मेकॉन

रांची: अब भारत दूसरे देशों को सेमी क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग फैसिलिटी दे सकेगा. इससे अच्छी रकम भी मिलेगी. मेकॉन के मुख्य महाप्रबंधक नीरज कुमार ने ईटीवी भारत को पूरे प्रोजेक्ट की विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु स्थित महेंद्रगिरी में मेकॉन द्वारा तैयार डिजाइन की बदौलत आने वाले कुछ माह के भीतर सेमी क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग शुरू हो जाएगी.

रांची मेकॉन कार्यालय

सेमी क्रायोजेनिक इंजन और टेस्टिंग फैसिलिटी में अंतर

यह समझना जरूरी है कि सेमी क्रायोजेनिक इंजन एक ऐसा इंजन है जो देश में पहली बार निर्मित हो रहा है. इसके तैयार होने के बाद इसकी क्षमता आंकने के लिए टेस्टिंग होनी है. जिसे टेस्टिंग फैसिलिटी कहा जाता है. मेकॉन के मुताबिक सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन की बदौलत भारी रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 की पे-लोड क्षमता बढ़ जाएगी. इसकी बदौलत 6 से 10 टन वजनी उपग्रह को जीटीओ में पहुंचाया जा सकेगा.

आपको बता दें कि मेकॉन ने ही चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग पैड का डिज़ाइन तैयार किया था. कोरोना काल में मेकॉन को 1600 करोड़ का वर्कआर्डर मिल चुका है. अब तक मेकॉन में कई रक्षा उपकरण के डिजाइन भी तैयार हो चुके हैं. इस बार कोविड-19 संक्रमण के कारण प्रोजेक्ट की गति थोड़ी प्रभावित हुई थी. अब इस पर जोर शोर से काम चल रहा है.

Last Updated :Dec 16, 2020, 8:50 PM IST

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