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अब मौसम की तरह बीमारियों के प्रकोप का पूर्वानुमान जारी करेगा मौसम केंद्र! डाटाबेस तैयार कर हो रही रिसर्च की तैयारी

झारखंड का मौसम केंद्र अब मौसम की तरह बीमारियों का भी पुर्वानुमान की जानकारी देगा. इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. गंभीर बीमारियों की रोकथाम में इससे मदद मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. Forecast of disease outbreak

Forecast of disease outbreak
Forecast of disease outbreak

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 6, 2023, 8:25 PM IST

रांची: झारखंड में अब तक रांची का मौसम केंद्र शीतलहर, लू, आंधी, बारिश को लेकर पूर्वानुमान जारी करता रहा है. लेकिन जरा सोचिए जब रांची के मौसम केंद्र से यह जानकारी पहले ही मिल जाए कि आने वाले दिनों में राज्य के किसी खास इलाके में किस बीमारी का प्रकोप हो सकता है, तो उस बीमारी की रोकथाम में कितनी सुविधा होगी?

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मौसम विज्ञान केंद्र रांची के प्रभारी निदेशक अभिषेक आनंद ने राज्य के विभिन्न इलाकों में होने वाली बीमारियों जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया के बारे में बताया कि किस मौसम में जापानी इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियां अधिक गंभीर हो जाती हैं? उस समय किसी क्षेत्र विशेष की जलवायु परिस्थितियां क्या हैं, इसका डेटाबेस तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक ने राज्य के विभिन्न इलाकों में होने वाली बीमारियों की पूरी जानकारी लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग से मदद लेने की बात कही है.

पिछले पांच से 10 सालों का किया जाएगा अध्ययन:ईटीवी भारत को यह जानकारी देते हुए अभिषेक आनंद ने कहा कि जब हम पिछले 05 या 10 वर्षों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में हुई बीमारियों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे, तो उन बीमारियों का क्षेत्र विशेष में बीमारी बढ़ने के समय में मौसम की स्थिति के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया जायेगा. जिसके नतीजे से पता चलेगा कि आने वाले दिनों में किस मौसम में और किस क्षेत्र में कौन सी बीमारी का असर हो सकता है, इसका पूर्वानुमान जारी किया जा सकता है.

अलग-अलग हिस्सों में होता है बीमारी का प्रकोप:झारखंड घने जंगलों वाला एक पठारी राज्य है. हर साल अलग-अलग इलाकों में किसी न किसी बीमारी का प्रकोप होता है. मानसून के बाद राज्य के कोल्हान और सारंडा इलाके में बड़ी संख्या में मलेरिया के मामले सामने आते हैं. इसी तरह, जमशेदपुर, रांची और साहिबगंज समेत कई जिलों में भी पिछले एक दशक से डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप बना हुआ है. यह बीमारी भी किसी खास मौसम में गंभीर रूप धारण कर लेती है और फिर धीरे-धीरे कम हो जाती है.

इसी तरह कालाजार का प्रकोप भी सिर्फ संथाल के कुछ जिलों में ही मिलता है. जब ये बीमारियां तेजी से बढ़ती हैं तो वहां की जलवायु परिस्थितियां क्या होती हैं, इस पर शोध कर मौसम विज्ञान केंद्र रांची एक ऐसा सिस्टम विकसित करने की कोशिश कर रहा है, जिससे समय रहते वह पूर्वानुमान जारी कर सके कि कौन से मौसम में कौन से क्षेत्र में किस बीमारी का खतरा है.

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