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Naxal Operation: बड़े माओवादी अब पुलिस के निशाने पर, चलेगा टारगेट बेस्ड अभियान

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Published : Nov 13, 2021, 8:07 PM IST

Updated : Nov 13, 2021, 8:18 PM IST

एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) नक्सलियों के खिलाफ फ्रंटफुट पर है. राज्य में पहली बार एक करोड़ का इनामी नक्सली पुलिस की पकड़ में आया है. झारखंड पुलिस अपनी इस कामयाबी को और बड़ा करने के लिए टारगेट बेस्ट अभियान (Naxal Operation) चलाएगी. जिसमें बड़े नक्सल कमांडरों को टारगेट किया जाएगा.

Naxal Operation in Jharkhand
Naxal Operation in Jharkhand

रांची: झारखंड में भाकपा माओवादियों के खिलाफ बड़ी सफलताओं को लेकर पुलिस उत्साहित है. राज्य के बड़े ईनामी उग्रवादियों के साथ-साथ कोयला व अफीम के जरिए अपने अर्थतंत्र को मजबूत करने वाले उग्रवादियों को टारगेट कर झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) जिलावार अभियान (Naxal Operation) चलाएगी. राज्य में वर्तमान 142 इनामी उग्रवादी है. इन इनामी उग्रवादियों में तीन भाकपा माओवादी उग्रवादियों पर एक करोड़ का इनाम है. पहले यह संख्या चार थी लेकिन प्रशांत बोस (Prashant Bose) के गिरफ्तार होने के बाद यह संख्या अब तीन हो गई है. राज्य पुलिस के द्वारा बड़े इनामी उग्रवादियों पर शिकंजा कसने की रणनीति पर काम किया जा रहा है. वहीं कुछ बड़े उग्रवादी पुलिस के संपर्क में भी हैं.

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वर्तमान में राज्य में दो पोलित ब्यूरो व दो सेंट्रल कमेटी मेंबर

राज्य में वर्तमान में दो भाकपा माओवादी पोलित ब्यूरो मेंबर व तीन सेंट्रल कमेटी मेंबर हैं. प्रशांत बोस उर्फ किशन दास उर्फ मनीष व मिसिर बेसरा उर्फ भास्कर पोलित ब्यूरो मेंबर हैं. दोनों पर एक करोड़ का इनाम है. प्रशांत अब पुलिस के कब्जे में है. वहीं असीम मंडल, पतिराम मांझी व मिथलेश महतो सेंटल कमेटी मेंबर के तौर पर राज्य में सक्रिय हैं. राज्य पुलिस मुख्यालय के द्वारा सभी सेंट्रल व पोलित ब्यूरो मेंबर के बारे में पूरी जानकारी जमा की गई है. मसलन ये कब कब जेल गए, जेल जाने के बाद उनका जमानतदार कौन बना, परिवार के लोगों की संपत्ति समेत सभी पहलूओं पर जानकारी जुटायी जा रही है. वहीं माओवादियों के प्रोटेक्शन दस्ता में कौन कौन है, मूवमेंट की क्या स्थित है, इन पहलूओं पर भी पुलिसिया जानकारी जूटायी जा रही है.

पांच राज्यों की बैठक के दौरान भी बनी है रणनीति

बीते दिनों झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छतीसगढ़ पुलिस के डीजीपी व नक्सल अभियान से जुड़े अधिकारियों की बैठक हुई थी. इस्टर्न कमांड की बैठक में राज्यों ने एक दूसरे के राज्यों में सक्रिय उग्रवादियों के बारे में जानकारी दी थी. पश्चिम बंगाल, बिहार और छतीसगढ़ के वैसे उग्रवादियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी, जो झारखंड में सक्रिय है. बैठक के बाद संबंधित राज्य की पुलिस से अलग से पत्राचार भी किया गया है. ताकि पुलिस बाहर के सक्रिय उग्रवादियों पर कार्रवाई कर सके.

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कौन कौन है टारगेट पर

भाकपा माओवादियों में सेंट्रल कमेटी मेंबर के अलावे सरायकेला-खरसांवा, चाईबासा और रांची ट्राइजंक्शन पर सक्रिय अमित मुंडा, लातेहार-लोहरदगा में सक्रिय व बूढ़ापहाड़ के इलाके में कैंप कर रहा रवींद्र गंझू, नवीन यादव जैसे माओवादियों के अलावे खूंटी में सक्रिय पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप, टीपीसी सरगना ब्रजेश गंझू, टीपीसी के मुकेश गंझू, भीखन गंझू, आक्रमण उर्फ रविंद्र जैसे उग्रवादियों की सक्रियता पर भी पुलिस की नजर है. अलग-अलग जिलों में सक्रिय इन उग्रवादियों की गतिविधि को लेकर पुलिस ने रणनीति बनायी है.

लगातार मिल रही सफलताएं

झारखंड में भाकपा माओवादियों व अन्य उग्रवादी संगठनों के खिलाफ अभियान में बड़ी सफलताएं मिली हैं. अगस्त 2021 में पुलिस ने अबतक कुल 249 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया है. इस साल गिरफ्तार बड़े नामों में एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस, सैक सदस्य प्रद्युमन शर्मा, आजाद जैसे बड़े नाम शामिल हैं. वहीं इस साल पुलिस ने तीन सबजोनल कमांडर, 15 एरिया कमांडरों को भी गिरफ्तार किया है. राज्य पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 से अबतक अभियान के दौरान राज्य में कुल 3556 उग्रवादी गिरफ्तार हुए हैं.

लेवी की राशि की बरामदगी करोड़ों में

राज्य पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में नवम्बर महीने तक पुलिस ने लेवी की 18.04 लाख रुपये की राशि बरामद की है. वहीं साल 2014 से लेकर अबतक विभिन्न उग्रवादी संगठनों के पास से लेवी की कुल 6 करोड़ 40 लाख 27 हजार रुपये बरामद किए गए हैं. एक साल में सर्वाधिक 3.02 करोड़ की राशि साल 2016 में बरामद की गई थी.

इनामी नक्सलियों ने संगठन छोड़ा, अब करेंगे सरेंडर

झारखंड पुलिस एक साथ कई बड़े नक्सलियों के आत्मसमर्पण की योजना पर काम कर रही है. मिली जानकारी के अनुसार 25 लाख से लेकर 5 लाख तक के कई इनामी नक्सली पुलिस के संपर्क में हैं. आत्मसमर्पण करने वाले जो बड़े नाम हैं उनमें सैक कमांडर विमल यादव, रीजनल कमांडर महाराज प्रमाणिक के अलावा माओवादियों के कई छोटे कैडर भी शामिल हैं.

Last Updated : Nov 13, 2021, 8:18 PM IST

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