रांची: राज्य में वेक्टर बोर्न डिजीज का खतरा लगातार बढ़ रहा है. पहले मलेरिया की वजह से बदनाम झारखंड में डेंगू, चिकनगुनिया और जापानी इंसेफेलाइटिस भी स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का कारण बनता जा रहा है. 2018-19 के बाद इस वर्ष राज्य में डेंगू एक बार फिर इस वर्ष बड़ी संख्या में लोगों को चपेट में लिया है. राज्य के 24 में से 22 जिलों में डेंगू के मामले मिल चुके हैं.
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क्या कहते हैं आंकड़ेः स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष झारखंड में 2101 डेंगू के कंफर्म मामले मिल चुके हैं. 01 जनवरी 2023 से लेकर 19 अक्टूबर 2023 तक राज्य में मिले 2101 डेंगू मरीज में से आधे से अधिक संख्या पूर्वी सिंहभूम जिले की है. जहां सबसे अधिक 1124 केस मिले हैं. राजधानी रांची में 112, साहिबगंज में 221, सरायकेला-खरसावां में 130, दुमका में 85, देवघर में 69, धनबाद में 55, हजारीबाग में 63, पश्चिमी सिंहभूम में 33 डेंगू के कंफर्म केस मिल चुके हैं. इसके अलावा अन्य जिलों में भी डेंगू के केस मिले हैं. राज्य में गिरिडीह और लातेहार ही ऐसे दो जिले हैं जहां अब तक डेंगू का कोई केस नहीं मिला है. राज्य में इस वर्ष जनवरी से लेकर 20 अक्टूबर तक डेंगू से सात लोगों की मौत भी हुई है. जिसमें 6 मौतें जमशेदपुर में और एक मौत दुमका में हुई है.
किस जिले में कितने चिकनगुनिया के केसः राज्य में इस वर्ष डेंगू की तरह ही चिकनगुनिया ने भी पांव पसार दिया है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में अभी तक 327 चिकनगुनिया के कंफर्म कैसे मिले हैं. इसमें सबसे अधिक 221 कैसे रांची में मिले हैं. वहीं पूर्वी सिंहभूम में 76, देवघर में 23 और लोहरदगा में 07 चिकनगुनिया के केस मिले हैं.
राज्य में चिकनगुनिया और डेंगू के साथ साथ अब जापानी इंसेफलाइटिस का भी खतरा बढ़ा है. राज्य में अभी तक करीब 67 कंफर्म मामले इस वर्ष मिल चुके हैं.
मच्छर से बचाव जरूरीः स्वास्थ्य विभाग में कीट विज्ञान विशेषज्ञ सज्ञा सिंह कहती हैं कि डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफलाइटिस, मलेरिया इन सभी का कैरियर मच्छर ही होता है. ऐसे में सबसे जरूरी है कि मच्छर से बचाव के उपाय किये जायें. मच्छरदानी का उपयोग, मच्छर भगाने वाला कॉयल, क्रीम का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ साथ मच्छर पनपने वाले स्रोत को भी रोकना अहम है. घर और उसके आसपास साफ सफाई रखना, पानी जमा नहीं होने देना, जमा पानी में दवा या केरोसिन का छिड़काव अच्छा विकल्प हो सकता है.